देहरादून: कांग्रेस चुनाव में हार के बाद फिर से जनता की आवाज बनने की तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस की नई टीम के कप्तान भी पूरी तरह से अब अपना-अपना जिम्मा संभाल चुके हैं। कांग्रेस ने करन माहरा तो प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाया। भवन कापड़ी को उप नेता सदन। लेकिन, असल चुनौती इनकी अब शुरू होने जा रही है।
सदन के भीतर जहां नेता प्रतिपक्ष और उप नेता सदन को जनता के हितों की बात उठानी है। वहीं, सदन के बाहर सड़क पर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी है। उनको सड़क पर उतर कर एक तरफ जनता की आवाज बनना है। वहीं, दूसरी तरफ उनको संगठन को भी मजबूत करना है। संगठन को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि संगठन जिस टीम के साथ मैदान में उतरेगा, वो टीम केसी होगी।
क्रिकेट के मैदान में जहां कप्तान अपने खिलाड़ियों का सही उपयोग कर मैच को अपनी मुट्ठी में करता है। कांग्रेस के नए कप्तान को भी कुछ ऐसी ही करना होगा। उनको सबसे पहले अपनी टीम तैयार करनी होगी। उस टीम में जहां अच्छी रणनीतिकार होने चाहिए। वहीं, कुछ ऐसे भी पदाधिकारी शामिल हों, ऑलराउंडर का काम करेंगे।
मौका मिलने पर जब भी पार्टी को जरूरत होगी, तो आपनिंग भी कर सकें और तूफानी पारी भी खेल सकें। अच्छे फिल्डर हमेशा अपनी टीम को मैच जिताने का काम करते हैं। आपके गेंदबाज भले ही कितने ही तेज क्यों ना हो, लेकिन, कैच अच्छा फिल्डर ही पकड़ सकता है। विकेट कीपिंग खुद प्रदेश अध्यक्ष मरन माहरा को करनी होगी।
अब करन के अर्जुन करने की बात करते हैं। जिस दिन से करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का ऐलान हुआ। उस दिन से कांग्रेस में सियासी तूफान उठा हुआ है। नाराजगी की खबरें सामने आई। नाराजगी दिखाई भी। एक वक्त लग रहा था कि अब कांग्रेस पूरी तरह से बिखर जाएगी, लेकिन करन माहरा ने सभी विधायकों को एकजुट कर लिया। उसका असर ये हुआ कि कांग्रेस के सभी विधायक पूरी तरह से अब पार्टी के साथ नहीं आ रहे हैं।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि करन माहरा और यशपाल आर्य के कार्यभार संभालने के बाद कांग्रेस के सीनियर लीडर पूरी तरह से एकजुट नजर आए। चुनाव के बाद एकांतवास में नजर आ रहे पूर्व सीएम हरीश रावत भी अब उनके साथ नजर आ रहे हैं। कांग्रेस में फिर से नया जोश नजर आने लगा है।
करन माहरा कांग्रेस के लिए अर्जुन बनकर हर निशाने के साधते हुए कांग्रेस में नई ताकत देने का काम कर रहे हैं। उनका ये मिशन हालांकि, अभी शुरूआती है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने आगाज किया है, उससे एक बात तो साफ है कि उनके तेवर संगठन को मजबूत करेंगे। संगठन की मजबूती का मतलब पार्टी का मजबूत होना तय है।
अब करन के अर्जुन करने की बात करते हैं। जिस दिन से करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का ऐलान हुआ। उस दिन से कांग्रेस में सियासी तूफान उठा हुआ है। नाराजगी की खबरें सामने आई। नाराजगी दिखाई भी। एक वक्त लग रहा था कि अब कांग्रेस पूरी तरह से बिखर जाएगी, लेकिन करन माहरा ने सभी विधायकों को एकजुट कर लिया। उसका असर ये हुआ कि कांग्रेस के सभी विधायक पूरी तरह से अब पार्टी के साथ नजर आ रहे हैं।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि करन माहरा और यशपाल आर्य के कार्यभार संभालने के बाद कांग्रेस के सीनियर लीडर पूरी तरह से एकजुट नजर आए। चुनाव के बाद एकांतवास में नजर आ रहे पूर्व सीएम हरीश रावत भी अब उनके साथ नजर आ रहे हैं। कांग्रेस में फिर से नया जोश नजर आने लगा है।
करन माहरा कांग्रेस के लिए अर्जुन बनकर हर निशाने के साधते हुए कांग्रेस में नई ताकत देने का काम कर रहे हैं। उनका ये मिशन हालांकि, अभी शुरूआती है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने आगाज किया है, उससे एक बात तो साफ है कि उनके तेवर संगठन को मजबूत करेंगे। संगठन की मजबूती का मतलब पार्टी का मजबूत होना तय है।