देहरादून: युवाओं को उम्मीद थी कि युवा मुख्यमंत्री उनकी भावनाओं को समझेंगे। सीएम धामी ने पहली ही कैबिनेट में 24 हजार पदों पर भर्ती का ऐलान भी किया। उन्होंने अपने ऐलान के अनुरूप सभी विभागों से अधियोचन देने का कहा। कई विभागों में भर्ती प्रक्रिया चल रही है। उनके कार्यकाल में ही फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा का परिणाम निकला, लेकिन सीएम धामी के अब तक के प्रयसों पर विधानसभा में निकली भर्ती ने पानी फेर दिया।
सीएम धामी ने समूह ग और ख के पदों पर आवेदन शुल्क नहीं लेने का ऐलान किया था। लेकिन, विधानसभा की भर्ती में सीएम के इस वादे को सिरे से खारिज कर दिया गया। बड़ा सवाल यह है कि क्या विधानसभा सरकार के दायरे से बाहर है? क्या विधानसभा में उत्तराखंड सरकार के नियम नहीं चलते? जबकि विधानसभा ही वह जगह है, जहां से राज्य को वर्तमान और भविष्य तय किया जाता है।
बेरोजगारों में इसको लेकर भारी गुस्सा है। उनका कहना है कि यह बेरोजगारों के साथ मजाक है। फीस भी करीब हजार रुपये तय की गई है। सोशल मीडिया कई तरह के सवाल और आशंकाएं भी तैर रही हैं। इन आशंकाओं और सवालों का आधार भी है।
विधानसभा में पहले भी भर्तियां सवालों के घरे में रही हैं। उन सवालों का आजतक जवाब नहीं मिल पाया है। विधानसभा में अब तक भी हुई सभी भर्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। उन आरोपों को भी आज तक कोई जवाब नहीं मिला।
सवालों के जवाब कौन देगा
1.सवाल यह है कि इतने विवादों के बाद भी विधानसभा को ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि खुद को भर्ती एजेंसी बना लिया?
2.पहला सवाल यह है कि आखिरी ऐसी क्या जरूरत पड़ी जो चुनाव से ठीक पहले विधानसभा में भर्तियां की जा रही हैं?
3.एक सवाल यह भी है कि राज्य में यूकेएसएसएससी भार्ती एजेंसी है, उसको क्यों इन पदों पर भर्ती नहीं करने दी गई?
4.जब ने अधियाचन भेजने के निर्देश दिए थे, तब अधियाचन क्यों नहीं भेजे गए?
5.दूसरा सवाल यह है कि विधानसभा को भर्ती एजेंसी क्यों बनाया गया?