Friday , 22 November 2024
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एक्सक्लूसिव : रवांई घाटी के लिए खास होगा उत्तराखंड BJP कार्यालय, दून में बनेगा कोटी-बनाल का प्रसिद्ध चौकट

देहरादून : उत्तराखंड भाजपा का कार्यालय बनने जा रहा हैै। ये भवन भले ही भाजपा का हो, लेकिन रवांई घाटी के लिए यह खास होगा। इस भवन के लिए जो प्लान भाजपा ने तैयार किया है। उसके अनुसार ये भवन चौकट की तर्ज पर बनाया जाएगा और इसकी शैली कोटी-बनाल शैली होगी। कोटी-बनाल भवन निर्माण शैली खास तरह की भवन निर्माण शैली है। यह रवांई की कोटी-बनाल शैली को नई पहचान देगा।

 

कोटी-बनाल भवन निर्माण शैली में भाजपा कार्यालय
सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि भाजपा का कार्यालय तीन मंजीला होगा और इसका निर्माण पहाड़ी की वास्तुकला और भवन निर्माण शैली के अनुसार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भवन का निर्माण कोटी-बनाल भवन निर्माण शैली से किया जाएगा। कोटी गांव उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लाॅक में पड़ता है। इस गांव में बने चैकट देश की नहीं दुनिया के कई वैज्ञानिकों के शोध का विषय हैं। कई साइंटिस्ट इन पर शोध कर चुके हैं।

यह निर्माण शैली 1000 साल पुरानी
पुरातन और पारंपरिक कोटी-बनाल वास्तुकला शैली से बने मकान भूकंप रोधी हैं और उनकी लाइफ भी बहुत लंबी होती है। ये भवन कई बड़े भूकंपों को सहने के बाद भी पूरी शान से खड़े हैं। बहुमंजिला मकानों पर उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र (डीएमएमसी) ने भी अध्ययन किया है। अध्ययन से पता चला है कि मकान बनाने की यह निर्माण शैली 1000 साल पुरानी है। यह वास्तुकला स्थान चयन से लेकर मकान निर्माण तक एक वृहद प्रक्रिया पर आधारित है।

लकड़ी और पत्थरों से बने
खास बात यह है कि शैली आज की आधुनिक भूकंप रोधी तकनीक से कहीं ज्यादा मजबूत है। जिस वक्त ये कमान बनाए गए, लोगों ने इसके लिए तत्कालीन समय में लकड़ी और पत्थरों से इन कमानों को बनाया है। मिट्टी के साथ ही कुछ जगहों पर उड़द के दाल का प्रयोग भी चिनाई में पत्थरों के बीच लगाने के लिए किया गया है। कोटी-बनाल वास्तुकला शैली का ले आउट बहुत सादा है। इसमें जटिलता नहीं है। उत्तराखंड में 1720 और 1803 में आये भूकंपों के अलावा 1991 में उत्तरकाशी का भीषण भूकंप और 1999 में चमोली में आए बड़े भूकंप आ चुके हैं।

350 से 500 साल की उम्र
उत्तरकाशी जिले में यमुना और भागीरथी नदी घाटी में बने चार-पांच मंजिला मकान बिना देखरेख के अब भले ही जीर्ण होने लगे हों, लेकिन ये मकान करीब 350 से 500 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं। सही देखभाल और संरक्षण से इनकी उम्र और इस गौरव करने वाली कला को बचाया जा सकता है। हालांकि सरकारों ने इस ओर कुछ खास ध्यान नहीं दिया है। आपदा प्रबंधन विभाग हो या फिर संस्कृति विभाग उनका फोकस भी केवल शोध तक ही सीमित रहा। शोधों के बाद क्या कदम उठाए गए, आज तक किसी को इसकी जानकारी नहीं है।

 

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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