Sunday , 24 November 2024
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उत्तराखंड शिक्षा विभाग में गजब कारनामा, 14 को अटैचमेंट समाप्त, 15 को फिर अटैच

देहरादून: शिक्षा विभाग हमेशा से ही ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए बदनाम रहा है। ईमानदारी से काम करने वाले शिक्षक योग्यता रखने के बाद भी वर्षों तक दुर्गम में सेवाएं देते रहते हैं। लेकिन, ऊंची पहुंच रखने वाले शिक्षक आसानी से जीवनभर सुगम में नौकरी करते हैं। नियम-कायदे भी आम शिक्षकों के लिए ही लागू होते हैं। पहुंच वालों के लिए नियमों के कोई मायने नहीं हैं। वो मनमानी पोस्टिंग हासिल कर लेते हैं।

पोस्टिंग हासिल करने के लिए उनके पास कई तरह के जुगाड़ भी होते हैं। ऐसे ही एक जुगाड़ को लेकर शिक्षकों में आक्रोश नजर आ रहा है। सोशल मीडिया में हर आदेश तो तोड़ निकालने वाले अधिकारियों को लेकर शिक्षकों में काफी गुस्सा है। फेसबुक और शिक्षक संगठनों के सोशल मीडिया ग्रुपों में सरकार के और अधिकारियों के दोहरे रवैये के खिलाफ शिक्षक अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

सोशल मीडिया में एक आदेश वायरल हो रहा है। दरअसल, शिक्षा सचिव ने अटैचमेंट को पूरी तरह समाप्त करने के आदेश दिए थे। शिक्षकों को अपने मूल विद्यालयों में जाने के निर्देश दिए गए। इस आदेश के जारी होने के बाद शिक्षा निदेशालय के शिकायत और सुझाव प्रकोष्ठ में तैनात शिक्षिका ने आदेश जारी होने के बाद तत्काल बाद अपने मूल स्कूल में ज्वाइन किया और अगले ही दिन 15 सितंबर को फिर कार्यमुक्त कर फिर अटैच कर दिया गया।

शिक्षक नेता अनिल बडोनी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है…वाह साहेब तो आपका आदेश शिकायत एवं सुझाव प्रकोष्ठ, विद्यालयी शिक्षा, उत्तराखंड पर इस तरह लागू होगा। डायट की सेवा नियमावली की कौन सी शर्तें ये सभी महोदय पूरी करते हैं। एक शिक्षक होने के नाते मेरा सवाल है कि क्या यही आपका ज़ीरो-टोलरेंस है? एक आम शिक्षक इसी डायट में जाने के लिए कठिन परीक्षा से गुजरता है और खास लोगों के लिए कोई नियम नही।

उन्होंने आगे लिखा है कि आदेशों की गति तो देखो 14 सितंबर को विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया और 15 को कार्यमुक्त भी हो गये। धन्य है राजकीय शिक्षक संघ के विद्यालय से प्रांत तक के पदाधिकारियों की चुप्पी। सीधे लड़ने से डरते हो तो माननीय न्यायालय का सहारा ही ले लो।

इसी तरह कई अन्य शिक्षकों ने भी इस आदेश को लेकर सवाल खड़े किए हैं। सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ ही शिक्षक संगठनों को भी आड़े हाथों लिया है। शिक्षकों का कहना है कि ऐसे मामलों में शिक्षक संगठनों को खुलकर सामने आना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सब चुप्पी साधकर बैठे हैं। अब देखना होगा कि शिक्षकों के गुस्से के बाद सरकार इस पर क्या फैसला लेती है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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