देहरादून: आदि शंकराचार्य की तप स्थली और भगवान बद्रीनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल जोशीमठ भू-धंसाव से खतरे में हैं। 700 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं। कुछ घर ऐसे हैं, जो पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर हैं। इनमें रह रहे लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। लेकिन, सवाल यह है कि ये लोग कब तक राहत शिविरों में रहेंगे। सरकार के पास फिलहाल कोई प्लान नहीं है।
सरकार मुआवजा देने तक की स्थिति में नहीं है। लोगों की सबसे बड़ी मांग भी यही है कि उनको यहां से हटाने से पहले उनकी संपत्ति का वन टाइम सेटलमेंट किया जाना चाहिए। सरकार के अधिकारी लोगों को आश्वासन तो दे रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस प्लान सरकार के पास नहीं है।
लोग अपनी ओर से सरकार को प्लान बता रहे हैं। अब यह सरकार को तय करना है कि वो आम लोगों के प्लान को मानती है या फिर अपना कोई नया प्लान तैयार करती है। लोगों के विस्थापन को लेकर भी अब तक सरकार नतीजे पर नहीं पहुंची है। कई लोग ऐसे हैं, जो जोशीमठ को नहीं छोड़ना चाहते हैं। कई ऐसे हैं, जो पीपीलकोटी में बसने के लिए तैयार हैं।
इस बीच एक बड़ा सुझाव यह आया कि जोशीमठ को न्यू टिहरी (New Tehri) के रूप में बसाया जाना चाहिए। जिस तरह से न्यू टिहरी बनाया गया था। ठीक उसी तर्ज पर न्यू जोशीमठ (New Joshimath) बसाया जाना चाहिए। लोग सरकार को लगातार प्लान बता रहे हैं। कई सुझाव भी दिए गए हैं, लेकिन सरकार फिलहाल जांच टीमों की रिपोर्टों का इंतजार कर रही है। रिपोर्टें आने के बाद ही कुछ प्लान बनाया जाएगा।
सरकार को केंद्र सरकार पहले ही पूरी मदद का भरोसा दे चुकी है। लोगों के विस्थापन के लिए सरकार के पास बजट भी नहीं है। राज्य सरकार केंद्र सरकार ने करीब 1000 करोड़ की डिमांड कर सकती है। हालांकि, अब तक इस पर साफतौर पर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन, सचिव मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार केंद्र से मदद मांग रही है।