- प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’
उत्तराखंड की राजनीति में कैबिनेट विस्तार की चर्चा अब किसी पौराणिक कथा से कम नहीं। जब भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली की ओर कूच करते हैं, तो चर्चा का चक्रव्यूह फिर से रच दिया जाता है। अख़बारों और पोर्टलों में इतनी बार ये खबरें छपी हैं कि अब लोगों को शक होने लगा है – कहीं “मंत्रीमंडल विस्तार” नाम का कोई अदृश्य देवता तो नहीं, जो केवल चर्चा से प्रसन्न होता है, लेकिन अवतरित नहीं होता?
इस बार भी चर्चाओं का वही बाज़ार एक बार फिर गर्म है – “इस बार पक्का होगा!” लेकिन कब? कैसे? कौन अंदर? कौन बाहर? इसका कोई ठोस जवाब नहीं। केवल एक नाम चर्चा में है, प्रेमचंद अग्रवाल। कहते हैं, प्रेम का प्रभाव बड़ा होता है, लेकिन, सीएम पुष्कर सिंह धामी शायद इस प्रेम में बंधने को तैयार नहीं। मैदान-पहाड़ की सियासी खींचतान में उनका नाम सबसे ऊपर तैर रहा है।
असल सवाल यह है कि क्या इस बार धामी जी दिल्ली से लौटकर सच में कुछ बदलाव करेंगे, या फिर चर्चाओं का ये पुराना टेप रिकॉर्डर यूं ही बजता रहेगा? फिलहाल, मंत्रीमंडल विस्तार की कहानी का अगला अध्याय लिखने का जिम्मा फिर से ‘चर्चाओं’ पर छोड़ दिया गया है!