Friday , 22 November 2024
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Exclusive: पार्ट-1 : आठ साल! रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र बदहाल, कौन है जिम्मेदार, कुछ तो बोलो ‘ठुकराल’ ?

-रूपेश कुमार सिंह
लम्बी-चौड़ी कद-काठी, गठीला शरीर, गोरा रंग, आँखों पर रेबन का काला चश्मा, गले में भगुवा गमछा, हाथों की अँगुलियों में चार-छः अँगुठियां, माथे पर लम्बा लाल सुर्ख तिलक, हाथ की कलाई में कलावे की राखी, मोदीनुमा कुर्ता-पैजामा, धाकड़ आवाज, लच्छेदार भाषण, मनोरंजक एक्टिंग, वाक्पटुता, मुसलिम विरोधी, दण्डवत प्रणाम करने की कला में माहिर राज कुमार ठुकराल अपने इन्हीं गुणों के दम पर 2012 में पहली बार रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक बने थे।

इसी आस में पहले पाँच साल गुजर गये

जनता को उम्मीद थी, निजाम बदला है तो किस्मत भी बदलेगी। विकास का अनोखा सब्जबाग मूर्त रूप लेगा और नये गाँव का उदय होगा। इसी आस में पहले पाँच साल गुजर गये। परिणाम सिफर ही रहा। ऐसा नहीं कि लोगों ने सवाल नहीं किये बहुत किये, कई बार किये, पर जवाब में नये जुमलों से जनता को संतुष्ट करने की कला में पारंगत ठुकराल 2017 में हिन्दू-मुस्लिम प्रोपेगेन्डा और मोदी लहर के बलबूते पुनः विधायक चुन लिये गये। इस बार 25 हजार ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। जाहिर था कि नये सिरे से जनता ने उम्मीद पाल ली थी। अब तो गाँव का कायाकल्प हो ही जाएगा, इस दिव्य इच्छा को लेकर जनता ने ठुकराल पर फिर से भरोसा जताया।

ठुकराल खरे नहीं उतर सके

मार्च 2020 में तीन साल बीत गये, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। आम जन मानस की अपेक्षाओं पर विधायक ठुकराल खरे नहीं उतर सके। जनता की अपेक्षाएं कुछ तो परवान चढ़तीं इन आठ सालों में! हालात ये हंै कि पूरे विधानसभा क्षेत्र में किसी भी गाँव की मुख्य सड़क का जीर्णोद्धार नहीं हो सका। ऐसे में लोगों का सवाल करना जायज है। आखिर आठ साल में सड़क क्यों नहीं बनी, यह ग्रामीणों के बीच बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। जनता के सवालों का जवाब राजकुमार ठुकराल को देना चाहिए।

अपनी इनोवा गाड़ी छोड़ कर

ठुकराल साहब आप अपनी इनोवा गाड़ी छोड़ कर किसी दिन अपने विधानसभा क्षेत्र के गाँवों का भ्रमण मोटर साइकिल या पैदल करके देखिए, आपको असल तकलीफ का अंदाजा हो जाएगा। यदि 20-30 किमी का सफर मोटर साइकिल से तय कर लिया तो स्लिप डिस्क का खतरा भी हो सकता है। धूल के आगोश में आकर व्यक्ति की पहचान तक बदल जाती है। पत्थर उछलकर जो नुकसान पहुँचाते हैं सो अलग। मैं पहले भाग में रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के पश्चिमी गाँवों की सड़क की दुर्दशा पर फोकस कर रहा हूँ। आइए देखते हैं कहाँ क्या हाल है।

नयी गाड़ी को घसीटना

शनिवार का दिन है। दोपहर के ढाई बजे हैं। विकास स्वर्णकार अपनी स्विफ्ट डिजायर लेकर मेरे घर पर आ गये हैं। दरअसल मेरे पास पुरानी अल्टो कार है, जो रूद्रपुर के गाँवों की सड़क के गड्डों को झेलने लायक नहीं है। इसलिए विकास दा की नयी गाड़ी को घसीटना ज्यादा मुनासिब लगा। इसमें तेल की बचत भी है। अब मैं ठहरा साधारण पत्रकार। रिपोर्ट कवर करने के लिए कहीं से फाइनेंस तो होता नहीं है, जो है वो मित्रों से ही जुटाना होता है। पहले विचार मोटर साइकिल से चलने का था, लेकिन गर्मी को देखकर इरादा बदलना पड़ा।

खैर, हम दिनेशपुर शमशान घाट से दुर्गापुर न.-1 की ओर बढ़ चले। यहीं से रूद्रपुर विधानसभा शुरू होती है। गाँव की तरफ से मेन रोड़ की ओर एक लोडेड ट्रक आ रहा था। सड़क पूरी तरह टूटी हुई है। बड़े-बड़े गड्डे ट्रक को हिचकोले खिला रहे थे। गनीमत इसमें ही थी कि हम अपनी गाड़ी कच्चे में उतार कर ट्रक के गुजरने का इंतजार करते। मेन रोड से दुर्गापुर की दूरी 200 मीटर है। गाड़ी पहले या फिर दूसरे गियर के अलावा चल ही नहीं सकती। रफ्तार 10 किलोमीटर प्रति घंटा।

गाँव वालों की कोई सुनता नहीं

कुछ महिलाएं मुँह और सिर को कपड़े से बांध कर गाँव की ओर जाने को पैदल चल रही हैं। मीना मण्डल उनमें सबसे सयानी हैं। वो कहती हैं, ‘‘चार साल पहले सड़क बनी थी, लेकिन पहली बरसात में ही पूरी तरह से उधड़ गयी। गाँव वालों की कोई सुनता नहीं है। नेता लोगों के सामने बोलने की हिम्मत गाँव वाले नहीं कर पाते हैं। चार साल में जिन्दगी नर्क हो चुकी है।’’ सुनाने को उनके पास बहुत कुछ था। उन्हें ऐसा लग रहा था कि हमारे सामने दुखड़ा रोने से सड़क बन जाएगी। मैंने उन्हें बताया कि हम कोई अधिकारी या नेता नहीं हैं। अदने से पत्रकार हैं, आपकी बात को उठा सकते हैं। बाकी जनता को स्वयं अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।

कहीं-कहीं सड़क ज्यादा खराब है

दुर्गापुर न.-1 से बुक्सौरा लगभग 6 सौ मीटर है। रास्ता कुछ ठीक है। कहीं-कहीं सड़क ज्यादा खराब है। बुक्सौरा तिराहे से हम बुक्सा बस्ती की ओर बढ़े। सदियों से सड़क वैसी की वैसी ही है। हरि सिंह ने बताया, ‘‘तीन साल पहले विधानसभा चुनाव से कुछ माह पूर्व विधायक ठुकराल आये थे। नयी सड़क बनाने का वायदा किया था। तब पुरानी सड़क को उधेड़ कर पत्थर डाला गया था। तीन साल हो गये आज तक सड़क नहीं बनी। विधायक जी कहते हैं कि बजट नहीं पास हो पा रहा है।’’

आज तक नहीं बनी

पंचाननपुर की तरफ से हम विजयनगर गाँव पहुँचे। गाँव के बाहर की सड़क तो चकाचक है, लेकिन भीतर तीन सौ मीटर सड़क कभी दशकों पहले बनी थी, उसके बाद आज तक नहीं बनी। गाँव के नुक्कड़ पर कुछ बुजुर्ग ताश खेल रहे थे। हमने उनसे बात की। अमूमन लोग विधायक ठुकराल की कार्यप्रणाली से संतुष्ट दिखे। उन्होंने कहा, ‘‘गाँव के आसपास की सड़क विधायक ने बना दी हैं, भीतर की सड़क भी बन जाएगी।’’ आगे दुकान पर पता चला कि वहाँ बैठे लोग भाजपा के कार्यकर्ता हैं। खैर, सबको अपनी बात कहने की आजादी है।

गाँव के हालात क्यों नहीं बदले

‘‘73 सालों में गाँव के हालात क्यों नहीं बदले’’, चर्चा करते हुए विकास दा ने सवाल किया, ‘‘आखिर जनता अपने अधिकार के लिए कब जागरूक होगी?’’ ‘‘राजनीतिज्ञ बहुत धूर्त होते हैं। उन्होंने देश की जनता को कभी राजनीतिक बनने ही नहीं दिया। वोट के रूप में इस्तेमाल करके हमेशा तमाम तरह से बांट कर जातिगत और क्षेत्रवाद की राजनीति को बढ़ावा दिया है। इस कारण जनता मासूम बनी हुई है।’’

सड़क को लेकर खासी नाराजगी है

बातचीत करते हुए हम आनन्दखेड़ा न.-1 पहुँचे। जिला पंचायत सदस्य पति सुदर्शन विश्वास गाँव में मिल गये। इस गाँव में सड़क को लेकर खासी नाराजगी है। राजकुमार ठुकराल से अनेक शिकायतें हैं। खास तौर पर महिलाओं ने हमें घेर लिया। बोलीं, ‘‘पिछले आठ साल से विधायक ठुकराल हर साल सड़क बनाने का वायदा करते हैं। जब भी वो गाँव में आते हैं तब उनके सामने यह मुद्दा उठाया जाता है, लेकिन झूठ के अलावा ग्रामीणों को कुछ नहीं मिला। अब लाकडाउन का बहाना बना कर साल भर के लिए टाल दिया है। हमें नहीं लगता कि सड़क बन पाएगी।’’ महिलाओं का आरोप है कि सांसद ने भी इस विषय में दिलचस्पी नहीं ली। बता दूँ कि गाँव के भीतर लगभग पाँच सौ मीटर सड़क की आवश्यकता है। इस समय स्थिति यह है कि रात के अँधेरे में छोड़िए, दिन में पैदल चलना भी दूभर है।

और भी बुरे हाल हैं

आनन्दखेड़ा न.-2 में तो और भी बुरे हाल हैं। गाँव की प्रवेश सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। सालों से यही हाल है। कोई पूछने वाला नहीं है। गाँव को लिंक मार्ग से जोड़ने वाली दो सड़क हैं, जिनकी दूरी तकरीबन 12 सौ मीटर है। हंसलता और हरिनाम विश्वास ने बताया, ‘‘बच्चे जवान हो गये, लेकिन सड़क नहीं बनी। हर बार वोट के वक्त यह भरोसा दिया जाता है कि सड़क बनेगी, लेकिन चुनाव के बाद किसी नेता का कोई अता-पता नहीं होता है। ठुकराल साहब कई बार पैमाईश करा चुके हैं, पर उससे आगे कार्यवाही आज तक नहीं हुई। पिछली दफा युवकों ने ठुकराल ये यह सवाल किया तो उन्होंने डांट दिया, बोले-बजट आएगा तभी तो सड़क बनेगी। अपने घर से थोड़े न बनाऊँगा? गाँव के लोग बहुत परेशान हैं।’’

मुख्य सड़क उधड़ रही है

मकरन्दपुर में कुछ स्थिति ठीक है। हालांकि मुख्य सड़क उधड़ रही है। गाँव के भीतर कुछ सड़क आरसीसी की हैं, कुछ पर काम होना शेष है। पिपलिया न0-2 होते हुए पाँच नम्बर तक की लगभग तीन किमी की दूरी तय करना तो एवरेस्ट फतह करने जैसा है। कुन्दन नगर, लंगड़ाभोज, मुकंदपुर के हालात भी ज्यादा अच्छे नहीं हैं। वहाँ से हम प्रेमनगर होते हुए अलखदेवी, अलखदेवा पहुँचे। प्रेमनगर में तो स्थिति संतोषजनक है, लेकिन अलखदेवी और अलखदेवा में सड़क की हालत दयनीय है। कुलविन्दर सिंह कहते हैं, ‘‘उन्हें किसी से कोई उम्मीद नहीं है। सरकार में शर्म है तो सड़क बना दे नहीं तो गाँव के लोगों का जीवन तो कट ही रहा है।’’ जगदीश कुमार कहते हैं, ‘‘गरीब आदमी की कौन सुनता है? सांसद, विधायक सब अपना पेट भरने में लगे हैं। इस क्षेत्र की उपेक्षा तो हर पार्टी के नेता करते आ रहे हैं।’’ इसी गाँव के वकील अली, मोनू प्रसाद, अरूण कुमार कहते हैं, ‘‘विधायक उन्हें आठ साल से छल रहे हैं। हर बार वो सड़क बनाने की बात कहते हैं, लेकिन पता नहीं कहाँ बात अटकी हुई है?’’

सड़क चलने लायक नहीं हैं

महेशपुर, धौलपुर में भी कमोवेश स्थिति अन्य गाँवों की तरह ही है। मोहनपुर न.-1 और 2 में सड़क बेहतर हैं। लेकिन मोहनपुर न.-2 से धर्मनगर आने और धर्मनगर से आनन्दखेड़ा व खानपुर की सारी सड़क चलने लायक नहीं हैं। दशकों से किसी ने इन सड़कों की सुध नहीं ली। ममता सरदार और मानसी मण्डल बताती हैं, ‘‘नेता जनता को ठगने में माहिर हैं। लोग भी कुछ नहीं कहते हैं। बच्चे-बूढ़े सब परेशान हैं। गाँव की कोई भी सड़क चलने लायक नहीं है। नेताओं को गरीब जनता से कोई लेना देना नहीं है।’’ इन गाँवों में तकरीबन 12 किमी सड़क पूरी तरह से टूटी हुई हैं।

रोड़ तो नर्क का रास्ता है

शिवपुर, जाफरपुर में हालात संतोषजनक हैं। संपतपुर और बागवाला की सड़क दयनीय हैं। अमरपुर आने की रोड़ तो नर्क का रास्ता है। वहाँ से बसन्तीपुर तक का सफर जान निकाल देता है। नयी गाड़ी भी चुर्र-चुर्र करने लगी। खेत से घर जा रहे मंगत सिंह ने बताया, ‘‘1988 में यह सड़क बनी थी। तब से आज तक इस पर कोई काम नहीं हुआ। चलना दुशबार है, लेकिन कभी भी नेताओं का दिल नहीं पसीजता है। राजकुमार ठुकराल ने गाँव के भीतर दो किमी सड़क बनायी थी, लेकिन यह महत्वपूर्ण सड़क है, इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

ठुकराल से नाखुश हैं

बसंतीपुर में ग्रामीण विधायक ठुकराल से नाखुश हैं। पिछले आठ सालों में हर बार ठुकराल ने 23 जनवरी को सुभाष जयन्ती के कार्यक्रम में सड़क बनाने का वायदा किया, लेकिन पूरा नहीं हो सका। अब सड़क उधेड़कर पत्थर डाला है, लेकिन लाकडाउन में काम आगे बढ़ेगा इसकी उम्मीद कम है। संजीत विश्वास ने कहा, ‘‘विधायक की हीलाहवाली के चलते सड़क का काम अधर में लटका हुआ है। इस सड़क को सालों पहले बन जाना चाहिए था। देर आये दरूस्त आये, अब तो सड़क बन ही जाए तो बेहतर है।’’

शाम ढलने लगी है

हम दोनों तीन घंटे तक गाड़ी में झटके खाते-खाते टूट चुके हैं। शाम ढलने लगी है। अब घर की ओर निकल जाना ही होगा। सवाल बहुत से हैं, लेकिन जवाब आखिर देगा कौन? नेता? विधायक? सांसद? व्यवस्था? सरकार? कौन है जो टूटी सड़कों की जिम्मेदारी लेगा? विधायक राज कुमार ठुकराल जी आप माने या न माने वास्तव में आपके विधानसभा क्षेत्र के गाँवों में सड़कें बदहाल हैं। आप सोचिए जरूर। मेरी किसी बात का आप बुरा नहीं मानेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है। मेरा काम है जनता की आवाज को उठाना और उसका सम्मान करते हुए आप मुझसे संवाद बनाये रखेंगे। 

स्वतंत्र पत्रकार
9412946162

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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