- प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’
उत्तराखंड कांग्रेस में पिछले कुछ दिनों से सब कुछ ठीक-ठाक सा नजर आ रहा था। नेताओं के बीच तालमेल भी दिखाई पड़ रहा था। उसके कांग्रेस को बेहतर नतीजे भी मिले। कांग्रेस ने बद्रीनाथ और हरिद्वार की एक सीट का उपचुनाव भी अपने नाम किया। इससे कांग्रेस खासी उत्साहित भी नजर आई और कांग्रेस का उत्साह सड़कों पर सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध के रूप में भी नजर आया।
इस बीच दिल्ली में श्री केदारनाथ मंदिर बनाने का मसला चर्चाओं में आया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उसके बाद उत्तराखंड कांग्रेस संगठन भी सक्रिय हो गया। इसके विरोध में कांग्रेस ने केदार प्रतिष्ठा यात्रा निकलने का फैसला किया। यात्रा ऋषिकेश से केदारनाथ तक निकाली जानी थी। केदार प्रतिष्ठा यात्रा सीतापुर तक पहुंची भी। लेकिन, 31 जुलाई को आपदा ने कांग्रेस की यात्रा की राह रोक दी। कांग्रेस ने तब ऐलान किया था कि केदार प्रतिष्ठा यात्रा को बाद में पूरा किया जाएगा। कांग्रेस ने यात्रा को सीतापुर से आगे शुरू किया और केदारनाथ धाम में समापन भी किया।
जब तक कांग्रेस की यात्रा चल रही थी, तब सबकुछ ठीक-ठाक ही था। लेकिन, अब जैसे ही केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव नजदीक आ रहा है। कांग्रेस के भीतर फिर से कलह शुरू होती नजर रही है। इस कलह की वजह भी केदार प्रतिष्ठा यात्रा ही मानी जा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा राजनीतिक नहीं थी। लेकिन, इसी बयान में उन्होंने केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत पर एक बयान दिया, जिससे कांग्रेस में शीत युद्ध के संकेत मिल रहे हैं।
उनसे एक सवाल पूछा गया था कि क्या इस यात्रा से मनोज रावत को लाभ पहुंचाया जाना था। इस पर उन्होंने कहा कि मनोज रावत तो 300 किलोमीटर की यात्रा में महज तीन किलोमीटर ही चले। उनको अगर राजनीतिक लाभ ही लेना था, तो हरिद्वार से ही यात्रा में शामिल होना चाहिए था। इस बात को आगे बढ़ाते हुए माहरा ने कहा कि हो सकता है कि चमचागिरी या ‘गणेश’ परिक्रमा से कुछ मिल जाए।
उनके इस बयान को भाजपा ने कांग्रेस में कलह के तौर पर पेश किया है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के नेता आपस में ही लड़ रहे हैं। गणेश परिक्रमा के जरिए प्रदेश अध्यक्ष ने सीधेतौर पर गणेश गोदियाल पर निशाना साधा है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि कांग्रेस केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा के बहाने राजनीतिक यात्रा निकाल रही थी। जिसका खुलासा खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कर रहे हैं।
दरअसल, यह विवाद हरक सिंह रावत और कुछ नेताओं की ओर से गणेश गोदियाल जिंदाबाद के नारे लगाने के बाद खड़ा हुआ। इससे कांग्रेस की गुटबाजी भी सामने आ गई है। जिस तरह से करन माहरा ने गणेश परिक्रमा की बात कही है, वह गणेश गोदियाल के समर्थकों को पसंद नहीं आई। इसी को विवाद की बड़ी वजह मानी जा रही है।
करना माहरा का कहना है कि अभी केदारनाथ सीट पर टिकट की कोई चर्चा ही शुरू नहीं हुई है। किसी ने मनोज रावत की दावेदारी को नकारा नहीं है। लेकिन, इस पूरी यात्रा के दौरान कुंवर सजवान का चेहरा चर्चाओं में रहा। कुंवर सजवान एनएसयूआई से निकलकर कांग्रेस की मुख्यधारा में पहुंचे हैं। केदारनाथ चुनाव में उनको एक बड़ा दावेदार माना जा रहा है। हालांकि, ऊंट किस करवट बैठता है, इसके लिए कुछ इंतजार करना पड़ेगा।