Saturday , 31 May 2025
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श्री राजा रघुनाथ जी-मां भीमाकाली बदरी-केदार यात्रा पार्ट-3 : बाबा केदार के दर्शनों चाह और कठिन आस्था की राह

  • प्रदीप रावत “रवांल्टा”

16 मई 2025 को शुरू हुई श्री राजा रघुनाथ जी और मां भीमाकाली की पवित्र बदरी-केदार यात्रा अपने तीसरे दिन गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की ओर बढ़ रही थी। यह यात्रा श्रद्धा, चुनौतियों और आध्यात्मिक उत्साह का अनूठा संगम थी। रामपुर और सीतापुर से श्रद्धालु सुबह-सुबह गौरीकुंड के लिए रवाना हो चुके थे, जहां से बाबा केदार के दर्शन का सपना साकार होने वाला था।

गौरीकुंड: यात्रा का प्रारंभ

सोनप्रयाग पहुंचकर गौरीकुंड के लिए शटल सेवा की प्रतीक्षा थी, लेकिन वहां की भीड़ ने सभी को हैरान कर दिया। टैक्सियां आते ही भर जा रही थीं, और एक-एक सीट के लिए श्रद्धालुओं में होड़ थी। हर कोई जल्द से जल्द बाबा केदार के दर्शन के लिए उत्सुक था। हमारी कोशिशें नाकाम रहीं, लेकिन दिनेश रावत जी ने स्थानीय टैक्सी यूनियन के एक पदाधिकारी से बात कर एक गाड़ी रुकवाई, जिसमें हम सवार होकर गौरीकुंड पहुंचे।

गौरीकुंड में गर्मकुंड में स्नान के लिए भीड़ थी। हमने भी स्नान किया, और दिनेश जी ने पितरों के लिए पिंडदान किया। इसके बाद श्री राजा रघुनाथ जी और मां भीमाकाली के दर्शन का सौभाग्य मिला। मंदिर परिसर में दर्शन के दौरान मन में अनोखी शांति का अनुभव हुआ। यह अवसर जीवन के पुण्य को संजोने जैसा था।

केदारनाथ की कठिन चढ़ाई

गौरीकुंड से 22 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई शुरू हुई। रास्ता कठिन था, लेकिन बाबा केदार के प्रति श्रद्धा ने हर कदम को आसान बना दिया। रास्ते में मेरी पत्नी संतोषी की तबीयत बिगड़ गई। पेट दर्द और थकान के कारण वह चलने में असमर्थ थी। सरकारी क्लीनिक में दवा लेने के बाद उन्हें राहत मिली, और हम आगे बढ़े।

मेरे हाई ब्लड प्रेशर के बावजूद, श्री राजा रघुनाथ जी और बाबा केदार की कृपा से मुझे कोई खास परेशानी नहीं हुई। कुछ जगहों पर मैंने दौड़ तक लगाई, जिसे देखकर दिनेश भाई हैरान थे। ललिता भाभी और आंटी जी भी थकान के बावजूद डटी रहीं। रास्ते में बुजुर्ग श्रद्धालुओं को देखकर प्रेरणा मिली। मैं अपने साथियों से पहले केदारनाथ धाम पहुंच गया।

बाबा केदार के दर्शन

केदारनाथ पहुंचकर मैं श्री राजा रघुनाथ जी और मां भीमाकाली के साथ आए श्रद्धालुओं की लाइन में लग गया। रात की आरती के समय गर्भगृह के दर्शन बाहर से हुए। बाबा का श्रृंगार और आरती मन को मोह लेने वाली थी। रात को टेंट में ठहरने की व्यवस्था की, हालांकि किराया ऊंचा था।

सुबह तीन-चार बजे उठकर हम फिर से दर्शन के लिए लाइन में लगे। सोमवार का दिन होने से उत्साह और बढ़ गया। गर्भगृह में प्रवेश कर बाबा केदार के दर्शन और बेलपत्री का प्रसाद प्राप्त हुआ। यह पल ऐसा था कि सारी थकान गायब हो गई।

भकुंट भैरों के दर्शन

दर्शन के बाद हम भकुंट भैरों मंदिर के लिए रवाना हुए। बैग एक पांस की दुकान में रखकर हम मंदिर पहुंचे। यहां से केदारपुरी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। कहा जाता है कि भैरों बाबा यहीं से केदारपुरी की रक्षा करते हैं। दर्शन के बाद पास की बाबा की कुटिया में आशीर्वाद लिया और मंदिर परिसर में लौट आए। इस दौरान कई यादगार तस्वीरें खींचीं।

त्रिजुगीनारायण: अखंड सौभाग्य की पूजा

केदारनाथ से वापसी के बाद हम त्रिजुगीनारायण मंदिर के लिए रवाना हुए। 13 किलोमीटर की यात्रा के बाद वहां पहुंचे। मंदिर में पंचस्नान के बाद अखंड सौभाग्य की पूजा की, जो विवाहित जोड़ों के लिए विशेष थी। जयमाला और सिंदूर की रस्म ने इस अनुभव को और खास बना दिया। युगों से जल रही धुनी को प्रणाम कर भगवान श्री हरी के दर्शन किए।

पंडित जी ने मंदिर की पोथी दिखाई, जिसमें दिनेश भाई के पूर्वजों और रथ देवता का नाम दर्ज था। हमारी यात्रा को भी पोथी में दर्ज किया गया, जो एक ऐतिहासिक क्षण था। यह जानकर रोमांच हुआ कि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस पोथी में हमारा नाम देखेंगी।

वापसी और चुनौतियां

केदारनाथ से उतराई में संतोषी ने सबको पीछे छोड़कर गौरीकुंड पहुंची। सोनप्रयाग में पार्किंग शुल्क को लेकर विवाद देखा गया, जहां 12 घंटे से कम समय के लिए 400 रुपये वसूले जा रहे थे। फिर भी, हमने अपनी यात्रा जारी रखी और रामपुर लौटे। वहां संदीप जी के रेस्टोरेंट में भोजन और विश्राम किया।

अगला पड़ाव: बदरीनाथ

रामपुर में रात बिताने के बाद, हमने बदरीनाथ धाम के लिए तैयारी की। यह यात्रा श्रद्धा, हिम्मत और ईश्वरीय कृपा का एक अनमोल अनुभव थी। श्री राजा रघुनाथ जी, मां भीमाकाली और बाबा केदार का आशीर्वाद इस सफर को अविस्मरणीय बना गया।

नोट: केदारनाथ मार्ग का विस्तृत वर्णन अगले भाग में होगा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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