Friday , 22 November 2024
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दवाई असली है या नकली? QR कोड स्कैन करते ही चल जाएगा पता, पढ़ें पूरी खबर

डॉक्टर जो दवाई लिख कर देता है। आपको यह पता नहीं होता आप जो दवाई ले रहे हैं, वो असली है या नकली? कहीं आपके शरीर के लिए नुकसानदेह तो नहीं? अक्सर मेडिकल स्टोर से दवाई लेते वक्त हमारे मन में ये सवाल जरूर आते है कि कहीं दवा नकली तो नहीं! उत्तराखंड में पिछले कुछ समय में बड़ी संख्या में नकली दवाइयां पकड़ी जा चुकी हैं।

उत्तराखंड में बड़ा कारोबार

नकली दवाओं का कारोबार उत्तराखंड में भी खूब फल फल रहा है। हरिद्वार जिले में नकली दवाइयां बड़ी मात्रा में पकड़ी गई। एंटी ड्रग्स विभाग के अलावा STF ने भी कई जगहों पर छापेमारी कर बड़ी संख्या में नकली दवाइयां पकड़ी। उत्तराखंड में बनने वाली नकली दवाइयां ने केवल राज्य में बल्कि, देश के कई दूसरे राज्यों में भी सप्लाई होती हैं।

नकली दवाओं के इस मायाजाल को भेदने की लगातार कोशिश तो कर रहे हैं। लेकिन, पकड़े जाने के बाद कुछ समय के लिए चुप रहते हैं। लेकिन, कुछ महीनों बाद ड्रग्स माफिया फिर उठ खड़ा होता है।

क्यूआर कोड प्रिंट

केंद्र सरकार ने नकली और घटिया दवाओं के उपयोग को रोकने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं के लिए ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ सिस्टम शुरू करने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में, 300 सबसे अधिक बिकने वाली दवाएं अपने पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड प्रिंट करेगी।

ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम

केंद्र सरकार जल्द ही मेडिसीन को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, नकली दवाईयों की पहचान और उनके उपयोग को रोकने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम शुरू होने वाला है। पहले चरण में 300 से अधिक सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाईयों के निर्माता अपनी पैकेजिंग में बारकोड प्रिंट करेगी। इसके बाद इसे अन्य दवाईयों में प्राथमिकता के साथ लगाया जाएगा।

ये है प्लानिंग

मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि दवाईयों की प्राथमिक स्तर की उत्पाद पैकेजिंग है। जैसे बोतल, कैन, जार या ट्यूब जिसमें बिक्री योग्य वस्तुएं होती हैं। 100 रुपये से अधिक के एमआरपी के साथ व्यापक रूप से बिकने वाली एंटीबायोटिक्स, कार्डिएक, पेन किलर और एंटी-एलर्जी शामिल होने की उम्मीद है।

नकली दवाइयों का काला कारोबार

बाजार में नकली और घटिया दवाओं के कई मामले सामने आए हैं। जिनमें से कुछ को राज्य के दवा नियामकों ने जब्त भी किया है। इस काले कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने यह महत्वपूर्ण योजना की तरफ कदम आगे बढ़ाए हैं। इसी साल जून में, सरकार ने फार्मा कंपनियों को अपने प्राथमिक या द्वितीयक पैकेज लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड चिपकाने के लिए कहा था।

एक बार सॉफ्टवेयर लागू होने के बाद, उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा विकसित एक पोर्टल (वेबसाइट) पर यूनिक आईडी कोड फीड करके दवा की वास्तविकता की जांच होगी और बाद में इसे मोबाइल फोन या टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी ट्रैक किया जा सकेगा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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