Sunday , 27 July 2025
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उत्तराखंड : पहले पिता फिर बेटी और बेटा भी बना सेना में अफसर, ऐसे ही ‘वीरभूमि’ नहीं कहलाती ‘देवभूमि’

देहरादून: उत्तराखंड की समृद्ध सैन्य परंपरा रही है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी सेना में अपने सेवाएं दे रहे हैं। कई परिवार की तो तीन-चार पीढ़ियां तक सेना का हिस्सा रही हैं। उत्तराखंड का शायद ही कोई गांव ऐसा होगा, जहां से कोई सेना के किसी अंग में शामिल ना हो। ऐसा ही एक परिवार देहरादून का भी है।

देहरादून निवासी लेफ्टिनेंट ईशान डेविड वाशिंगटन अपने पिता कर्नल संजय वाशिंगटन के ही नक्शे कदम पर चल निकले हैं। वह आफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पास आउट हो गए हैं। ईशान ने बचपन में ही ठान लिया था कि वो भी अपने पिता की तरह ही सेना में अफसर बनेगा और उसे वह मुकाम हासिल कर दिखाया।

बड़ी बात यह है कि लेफ्टिनेंट ईशान उसी सिख रेजिमेंट में कमीशन हुए हैं, जिसमें 32 वर्ष पूर्व उनके पिता कमीशन हुए थे। केवल ईशन और उनके पिता ही नहीं। उनकी बहन इशिका डेविड वाशिंगटन भी सेना में अफसर हैं। इशिका 2022 में ओटीए से पासआउट हुई हैं। वह लेफ्टिनेंट हैं और उत्तर पूर्व में तैनात हैं।

लेफ्टिनेंट ईशान बहन को अपनी प्रेरणा बताते हैं। वह कहते हैं कि किसी भी माता-पिता के लिए अपने बच्चे को फौजी वर्दी में देख गर्व की अनुभूति होती है। मुझे बेहद गर्व महसूस होता है कि पिता और बहन की ही तरह आज फौज में अफसर बन गया हूं।

कर्नल संजय वाशिंगटन ने कहा कि अपने दोनों बच्चों को फौजी वर्दी में देखना मेरे और मेरी पत्नी के लिए सपना सच होने जैसा है। मुझे खुशी है कि मेरे बच्चों ने देश रक्षा का संकल्प लिया और उत्तराखंड की सैन्य परंपरा का हिस्सा बने हैं।

उत्तराखंड ने अनगिनत वीर सैनिक दिए हैं और उन्हीं की वीरता की बदौलत राज्य को वीर भूमि कहा जाता है। यह अच्छी बात है कि मेरे बच्चे उत्तराखंड की इस समृद्ध विरासत का हिस्सा बने हैं। उत्तराखंड के कई परिवारों की ऐसी ही कहानियां हैं। उत्तराखंड को देश्वभूमि के साथ ही वीर भूमि भी कहा जाता है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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