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उत्तराखंड : डाक टिकट वाला कुत्ता, इससे डरता है शेर, इसलिए है खास

  • प्रदीप रावत (रवांल्टा)

कुत्ता पालना लोगों का शौक बन गया है। शौक के चक्कर में लोग कई तरह की प्रजाति के कुत्तों को पालते हैं। कुत्तों का शौक रखने वाले लाग इनके लिए लाखों खर्च कर देते हैं। कई कुत्ते खूंखार तो कुछ कुत्ते बेहद डरपोक होते हैं। कहा जाता है कि कुत्ता अपने मालिक का वफादार होता है। असल में कुत्तों का इतिहास देखा जाए तो कुत्ते भेड़िये की एक प्रजाति हैं। कुत्ते की उम्र औसतन 12 साल होती है।

दुनियाभर में चाहे कितने ही तरह के कुत्ते क्यों ना हों? चाहे कितने ही महंगे हों? कितना ही ताकतवर क्यों ना हो, लेकिन बाघ (शेर) के सामने सब बौने साबित हो जाते हैं। खतरनाक, ताकतवर और महंगे से महंगे कुत्ते भी शिकार हो जाते हैं। लेकिन, उत्तराखंड का एक ऐसा कुत्ता है, जिसके आगे बाघ भी पानी मांगता है।

खास और भरोसमंद पहरेदार

ऐसा कुत्ता जिसका सामना होने पर या तो बाघ मारा जाता है या फिर भागने को मजबूर हो जाता है। यह कुत्ता कोई और नहीं, बल्कि भोटिया प्रजाति का कुत्ता है। यह कुत्ता खासकर उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाया जाता है। पशु पालन और भेड़-बकरी पालन करने वालों का ये सबसे खास और भरोसमंद पहरेदार होता है। जिनके पास भोटिया कुत्तों का जोड़ा होता है, उनको पशुओं और भेड़-बकरियों की चिंता ही नहीं रहती है। भोटिया कुत्ते अकेले ही सब संभाल लेते हैं।

भोटिया कुत्ते बेहद शांत होते हैं। लेकिन, ये जितने शांत होते हैं, उससे कहीं ज्यादा खूंखार होते हैं। यह बकरियों के झुंड को सही सलामत घर लेकर लौटता है। जब तक यह बकरियों के झुंड के आसपास होते हैं, तब तक बाघ और अन्य जंगली जानवर बकरियों के पास तक नहीं भटकते हैं। इन कुत्तों के स्वभाव में ही लीडरशिप है, इनके स्वभाव को कोई भी डॉग ट्रेनर आसानी से नहीं बदल सकता है। यह एक हिमालयन शीपडॉग है, यानी हिमालयी राज्यों में भेड़ों का रखवाला।

सीधा मुकाबला करने से डरते हैं

बाघ, गुलदार और तेंदुए भोटिया कुत्तों से नहीं उलझते हैं। दरअसल इनके विशाल रूप को देखकर वह इन्हें कोई जंगली नस्ल का भेडिया समझ लेते हैं और सीधा मुकाबला करने से डरते हैं। अगर इनका मुकाबला बाघ से हो भी जाए तो यह बाघ को पटखनी दे देते हैं। भोटिया कुत्ते का शिकार करना बाघ के लिए आसान नहीं होता है।

अगर इनके मालिक पर कोई हमला करे तो यह उस इंसान या जानवर पर कोई दया नहीं दिखाते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, भोटिया कुत्तों का झुंड आपस में काफी तालमेल के साथ काम करते हैं। यह पालतू मवेशियों को अपने सुरक्षा घेरे में लेकर चलता है। भेड़ों को यह एक साथ बीच में रख देते हैं और चारों तरफ से सुरक्षा देते हुए चलते हैं। इनकी व्यू रचना को तोड़ना बाघ के लिए आसान नहीं होता है।

भोटिया कुत्ते की पहचान
यह काले या अन्य गहरे रंगों के होते हैं. इनमें कई बार लाल, भूरे तथा काले-सफेद मिक्स भी देखने को मिल जाते हैं। एक नर कुत्ते की ऊंचाई 28 से 34 इंच तक तथा मादा की 26 से 32 इंच के बीच होती है। नर भोटिया कुत्ते का वेट 45 से 80 किग्रा और मादा का 35 से 60 किग्रा होता है। इसकी पहचान का एक अन्य तरीका यह भी है कि लगभग हर भोटिया कुत्ता ताकतवर होने के साथ शांत स्वभाव का भी होता है। यह अकारण किसी इंसान या जानवर से नहीं उलझता है। लेकिन, अगर कोई इसके लिए खतरा बन जाये तो यह बहुत आक्रमक हो जाता है।

तिब्बती मास्टिफ की प्रजाति
भोटिया कुत्ता तिब्बती मास्टिफ की एक प्रजाति है, लेकिन यह डील-डौल और आकार में तिब्बती मास्टिफ से कम होता है। यह एक हिमालयन शीपडॉग है। यानी हिमालीय राज्यों में भेड़ों का रखवाला। इन्हें यह नाम इसलिए भी दिया गया है, क्योंकि यह भेड़- बकरियों के न केवल संरक्षक होते हैं। बल्कि, जानवरों और इंसानों के छोटे बच्चों को बहुत प्यार भी करते हैं।

जारी हो चुकी डाक टिकट
भोटिया कुत्तों की खूबियां देख इनकी फोटो वाली डाक टिकट तक जारी हो चुकी है। भारतीय डाक विभाग ने हिमालयन शीप डॉग या भोटिया की फोटो वाली डाक टिकट विगत 9 जनवरी 2005 को जारी की थी। इससे इनकी लोकप्रियता का पता चल सकता है।

 

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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