नैनीताल: जब भी नैनीताल का नाम आता है। नैनीझील में बोटिंग के नजारे भी आंखों के सामने तैरने लगते हैं। मैंगो शेफ नैनीझील लोगों के आकर्षण का केंद्र है। देश-दुनिया के लोग केवल इसी खूबसूरती को देखने यहां पहुंचते हैं। लेकिन, मौसम की बेरुखी के चलते नैनीझील पर ही संकट मंडराने लगा है।
पिछले साल बारिश कम हुई, जिसका असर इस साल अप्रैल में ही दिखने लगा था। मई आते-आते पानी का स्तर और कम होने लगा है। आलाम यह है कि पिछले साल के मुकाबले पानी का स्तर इस साल आधा रह गया है। इस साल करीब 10-12 फीट कम हो गया है। जबकि, पिछले साल करीब 4-6 फीट पानी कम हुआ था।
नैनीझील का घटता जलस्तर केवल झील के लिए संकट नहीं है। इससे कई दूसरे संकट भी उभर सकते हैं। सबसे बड़ा संकट पेयजल संकट का हो सकता है। अगर पानी और कम हुआ तो नैनीताल में पर्यटन व्यवसाय को भी नुकसान हो सकता है। गर्मियों की छुट्टियां जैसे ही होंगे, नैनीताल में पर्यटकों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाएगा। ऐसे में पानी की खपत भी और बढ़ जाएगी, जिसका सीधा असर झील के जलस्तर पर पड़ेगा।
नैनीझील में पानी का जलस्तर पूरी तरह से बारिश पर निर्भर रहता है। मौसम विभाग ने इस साल मानसून में अच्छी बारिश होने का अनुमान लगाया है। ऐसे में थोड़ी चिंता जरूर कम होती है। लेकिन, जब तक बारिश नहीं होती तब तक दिक्कतें बढ़ती रहेंगी। पहली बार नहीं है कि नैनी झील में इस तरह की स्थिति देखने को मिली हो। लेकिन, बहुत ज्यादा दिक्कतें इससे पहले 2017 में हुई थी। तब भी पानी का स्तर काफी कम हो गया था। इस साल भी कुछ उसी तरह की तस्वीरें सामने आई हैं।
सिंचाई विभाग के ईई अनिल कुमार वर्मा की मानें तो इसमें विभाग कुछ नहीं सकता। विभाग के पास बारिश के अलावा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। नैनीझील में पानी के जलस्तर को मेंटेन करने के लिए बादलों के बरसने के अलावा कोई दूसरा चारा है। उनका कहना है कि नैनीझील का जलस्तर 2.8 फीट है, जो सामान्य स्थिति से काफी कम है।
अब आप खुद अंदाजा लगाइए कि अगर जल्द बारिश नहीं होती है, तो आने वाले दिनों में नैनीझील का जलस्तर और कम हो सकता है। झील के किनारों पर दिखने वाले डेल्टा और दिखने लगेंगे। ऐसे में चिताएं बढ़ रही हैं कि पानी की आपूर्ति कैसे पूरी की जाएगी। हालांकि, दूसरी ओर जल संस्थान का कहना है कि विभाग दूसरी योजना पर काम कर रहा है, जिसे जल्द धरातल पर उतारा जाएगा।