Tuesday , 17 June 2025
Breaking News

उत्तरकाशी : 18 किलोमीटर की दूरी पर दो अस्पताल, एक डॉक्टर, कई काम

  • प्रदीप रावत (रवांल्टा)

बड़कोट: रवांई घाटी घाटी उत्तराखंड में खास पहचान रखती है। लेकिन, सुविधाओं के मामले में रवांई घाटी का बुरा हाल है। आलम यह है कि 2 लाख से अधिक की आबादी पर केवल एक डॉक्टर तैनात है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि लोगों का क्या हाल होता होगा।

सुविधाओं का बड़ा संकट
राजनीतिक दल और जनप्रतिनिधि विकास के दावे जरूर करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि रंवाई क्षेत्र में स्वास्थ्य के साथ शिक्षा और अन्य सुविधाओं का बड़ा संकट है। कई गांव ऐसे हैं, जहां सड़क नहीं पहुंच पाई। बिजली के लिए भी लोगों को अब तक इंतजार है। बुखार की गोली परचून की दुकान से लेते हैं।

दो स्पतालों के लिए एक डॉक्टर
रवांई घाटी में पुरोला और नौगांव अस्पताल के लिए एक ही डॉक्टर तैनात हैं। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा खबरें गर्भवती महिलाओं की जाने की यामने आती हैं। गर्भवती को समय पर इलाज नहीं मिलना इसका बड़ा कारण है। उसमें एक कमी तो महिला डॉक्टर की और दूसरी कमी समय पर सही जांच नहीं होना है। समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण रैफर कर दिया जाता है। नतीजा यह होता है कि कई महिलाओं की देहरादून पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है।

सरकार की बदइंतजामी
इलाज नहीं मिलने के पीछे का कारण सरकारी की बदइंतजामी है। रंवाई घाटी में 2 लाख से अधिक की आबादी पर एक मात्र रेडियोलॉजिस्ट तैनात हैं। उनके पास क्षेत्र के डिप्टी सीएमओ का भी चार्ज है। डॉक्टर तीन दिन पुरोला और तीन दिन नौगांव अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करते हैं।

कैसे मिलेगा सही उपचार
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा। पुरोला अस्पताल में डॉक्टर निर्धारित दिनों में 50 से 60 लोगों की जांच करते हैं। जबकि नौगांव अस्पताल में यह संख्या काफी बढ़ जाती है। एक डॉक्टर के जिम्मे दो-दो अस्पताल हैं। ऐसे में कैसे लोगों को सही उपचार मिल पाएगा।

डिप्टी सीएमओ का काम भी देख रहे हैं
एक और बात यह है कि रेडियोलॉजिस्ट डॉ. आर्य डिप्टी सीएमओ का काम भी देख रहे हैं। इसके चलते उनको कार्यालय से जुड़े कार्य भी करने होते हैं। क्षेत्र में अस्पतालों से जुड़ी रिपोर्टें और प्रकरणों की जांच भी वही करते हैं। कई बार उनको उत्तरकाशी मुख्यालय में बैठकों के लिए भी जाना पड़ता है। कुलमिलाकर देखा जाए तो रेडियोलॉस्टि को बहुत कम समय मिल पाता है। उसी समय में वो बेहतर काम करने का प्रयास करते हैं।

श्रेय लेने की होड़ मच गई थी
पिछले दिनों डॉक्टर की तैनाती को लेकर श्रेय लेने की होड़ मच गई थी। लंबे समय से बड़कोट, नौगांव और पुरोला अस्पतालों में डॉक्टरों की तैनाती की मांग हो रही है। पुरोला अस्पताल में दो डॉक्टरों की तैनाती के आदेश भी जारी हो चुके हैं। लेकिन, सवाल यह है कि क्या पुरोला में डॉक्टर तैनात होने से मोरी, सांकरी और आरकोट के लोगों को समय पर सही उपचार मिल पाएगा।

अस्पताल हैं, डॉक्टर नहीं
पुरोला से कई किलोमीटर दूर यमुनोत्री के खरसाली, हनुमान चट्टी औद दूसरे क्षेत्र के लोगों को कब डॉक्टर मिल पाएंगे। बड़कोट और नौगांव दो सबसे बड़े केंद्र हैं। दोनों ही जगहों पर अस्पताल भी हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण लोगों को देहरादून जाना पड़ता है। कई बार रास्ते में ही लोग दम तोड़ देते हैं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

Check Also

उत्तराखंड: BJP ने झोंकी ताकत, CM धामी ने बड़कोट, पुरोला और नौगांव में की जनसभा

बड़कोट: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज बड़कोट बाजार में जनसभा को संबोधित करते हुए …

error: Content is protected !!