Friday , 22 November 2024
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VIDEO : प्राण की इतनी ही परवाह थी तो राजनीति में काहे आये विधायक जी?

प्राण की इतनी ही परवाह थी तो राजनीति में काहे आये विधायक जी? परचून की दुकान खोल लिए होते और आराम से सौदा बेचते। न रोज-रोज पब्लिक से मिलने का झंझट होता और न ही प्राणों की चिन्ता।

देश और दुनिया में लाखों लोग विभिन्न तरह से अपनी जान की बाजी लगाकर कोरोना से संघर्ष कर रहे हैं, यदि उन्होंने भी आपकी तरह से अपने प्राणों की परवाह की होती तो अब तक दुनिया खत्म हो गयी होती।

जान पर खेलने वाला ही सिकंदर कहलाता है और उनकी वजह से ही जीवन गतिमान है। बाकी राजनीति के खोखले शेरों ने हमेशा ही दुम दबाकर पीठ ही दिखाई है।

विधायक जी! इस संकट की घड़ी में कोरोना वारियर्स का साहस नहीं बढ़ा सकते तो कम से कम कायराना बोल तो न बोलो। जनता और कोरोना की वजह से क्वारंटाइन हुए लोगों की सुध नहीं ले सकते तो कम से कम उनसे दूरी की बात तो न करो।

आप भूल क्यों गये, ” बीमारी से लड़ना है बीमार से नहीं।”

क्षेत्र की जनता जानती है कि आप बोलते वक्त संयम खो बैठते हैं और कुछ भी बेढ़ंगा और उटपटांग बयां कर देते हैं। जिस जनता की सेवा के लिए आप अपने घर की एक-एक ईंट बिक जाने की बात कह रहे हैं, वो आपकी अपनी ही जनता है साहब, वोटर हैं आपके। ऐसी बात भी भला कोई कहता है? आप जताना क्या चाहते हैं, जनता की सेवा करने से नेताओं के घर की ईंट तक बिक जाती है? हमने तो नेता बनने के बाद सामान्य लोगों को करोड़पति और अरबपति बनते देखा है। आप भी उनमें से एक हैं। “सबको राशन दूंगा तो मेरे घर की एक-एक ईंट तक बिक जाएगी।” इस बयान की जरूरत नहीं थी विधायक जी। यदि आप मदद करने में असमर्थ हैं तो चुपचाप घर बैठो, जनता की परेशानी का माखौल उड़ाना तो सही नहीं है।

देश में हजारों डाॅक्टर, लाखों नर्स, लाखों सफाईकर्मी, लाखों मेडिकल लाइन से जुड़े लोग, लाखों पुलिस वाले और लाखों सामाजिक कार्यकर्ता दिन रात कोरोना से लड़ रहे हैं। इस संघर्ष में सैकड़ों योद्धाओं ने अपनी जान तक गवाई है। यदि वो कायर ही बने रहते तो हम लोग सुरक्षित नहीं रहते। यह बात सत्य है कि व्यक्ति पहले खुद को बचाएगा फिर दूसरे को, लेकिन अपने फर्ज के लिए जो प्राण तक गंवा देता है वो असल मायने में योद्धा होता है। उसके मुंह से कायराना बात नहीं निकलती है। अपने बयान में आपको इस तरह की भाषा बोलने की जरूरत ही क्या थी? जनता ने आपको चुना है तो वो उम्मीद किससे करेगी?

अपनी परेशानी किससे कहेगी?

उनकी जरूरतें नेता/विधायक पूरा नहीं करेगा तो कौन करेगा? आपकी जनता आपसे सवाल करे तो आप उन्हें ठीक से सांत्वना देने के बजाए और उलझा दें यह तो न्याय नहीं है।

वैसे भी कोरोना काल में लोगों को राहत पहुँचाने में देश की तमाम सरकारें फैल रही हैं, मोर्चा तो सामाजिक संस्थाओं और कार्यकर्ताओं ने ही संभाला है।

-रूपेश कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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