Sunday , 8 June 2025
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टैक्सी बोलेरो पर सफेद नंबर प्लेट और “उत्तराखण्ड सरकार” लिखकर कौन उड़ा रहा कानून की धज्जियां

हल्द्वानी : उत्तराखण्ड में एक बार फिर शासन-सत्ता के संरक्षण में नियम-कानूनों की अनदेखी और दुरुपयोग का मामला सामने आया है। हल्द्वानी में पंजीकृत एक बोलेरो वाहन (UK-04-TB-2625) पर मोटर वाहन अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS-2023) का गंभीर उल्लंघन किया गया है, लेकिन जिम्मेदार विभाग परिवहन, ट्रैफिक पुलिस और सीपीयू अब तक चुप्पी साधे बैठे हैं।

टैक्सी का वाहन, लेकिन बना ‘सरकारी’

उक्त बोलेरो वाहन टैक्सी श्रेणी में पंजीकृत है, जिसे परिवहन विभाग द्वारा पीले रंग की नंबर प्लेट लगाने के निर्देशों के साथ रजिस्ट्रेशन दिया गया था। टैक्सी वाहनों पर पीली नंबर प्लेट का होना अनिवार्य है। बावजूद इसके, इस बोलेरो पर बिना किसी वैध अनुमति के सफेद नंबर प्लेट लगाई गई है, जिस पर लाल अक्षरों में “उत्तराखण्ड सरकार” अंकित है।

संगीन अपराध की श्रेणी में आता है

यह न केवल मोटर व्हीकल एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है, बल्कि यह कई आपराधिक धाराओं के अंतर्गत संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। भारतीय न्याय संहिता-2023 के अनुसार, यह कार्य भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की पुरानी धाराओं—205, 467, 468 और 471 के स्थान पर अब BNS की धाराएं 242, 336, 337 व 338 के अंतर्गत दंडनीय है।

जिम्मेदार कौन?

इस अवैध कार्य के लिए न केवल वाहन का पंजीकृत स्वामी जिम्मेदार है, बल्कि बोलेरो को चलाने वाला ड्राइवर और उस वाहन में प्रतिदिन यात्रा करने वाला अधिकारी भी अपराध में सहभागी माना जाएगा। यह मामला न केवल प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने योग्य है, बल्कि कानूनी प्रावधानों के अनुसार इस वाहन का रजिस्ट्रेशन भी निरस्त किया जा सकता है।

ट्रैफिक नियम आम जनता के लिए?

शहर में आम नागरिक यदि सफेद पट्टी के अंदर सड़क किनारे वाहन खड़ा करें, तो ट्रैफिक पुलिस, सीपीयू और आरटीओ बिना देर किए 500-500 रुपये के चालान थमा देते हैं। लेकिन पोस्टर में दिखाई दे रही यह बोलेरो, जो नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम घूम रही है। शायद इन विभागों की नजर में आती ही नहीं और अगर आती भी होगी, तो ‘बड़े साहब’ के रौब के आगे कानून भी बेबस नजर आता है।

सवालों के घेरे में ट्रैफिक व्यवस्था

क्या कानून केवल आम जनता के लिए है? क्या सरकारी अधिकारी खुलेआम नियमों को ताक पर रखकर अपने रसूख का दुरुपयोग कर सकते हैं? यह सवाल इसलिए भी अहम हैं क्योंकि उत्तराखण्ड सरकार की ओर से भ्रष्टाचार और अनियमितता के खिलाफ सख्त कार्रवाई के दावे लगातार किए जाते हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद भ्रष्टाचारमुक्त शासन की बात करते हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति इसके ठीक उलट है।

पीआर में उलझे कलमकार, खामोश मीडिया

सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में सरकार के प्रचार अभियान चलाने वाले तथाकथित कलमकार इस तरह के वास्तविक कदाचार पर मौन साधे रहते हैं। ऐसे मुद्दों पर रिपोर्टिंग तो दूर, वे कभी सवाल तक नहीं उठाते।

साभार-चंद्रशेखर करगेती

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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