देहरादून : उत्तराखंड पिछले लंबे समय से भर्ती घोटालों के लिए चर्चाओं में है। राज्य में एक के बाद एक कई परीक्षाओं में पेपर लीक और अन्य तरह की धांधली के मामले सामने आए। इन मामलों में STF ने कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया। कुछ को बेल मिल चुकी है। जबकि कुछ अब भी जेल में हैं, कुछ फरार चल रहे हैं। इस बीच सरकार ने एक ऐसा एक्शन लिया है, जिससे पंचायती राज विभाग सवालों के घेरे में है। सरकार से भी सवाल पूछे जा रहे हैं।
दरअसल, सरकार ने UKPSC की JE-AE की परीक्षा भर्ती घोटाले में फरार 50 हजार के इनामी भाजपा के मंगलौर ग्रामीण के पूर्व मंडल अध्यक्ष और मोहम्मदपुर जट के प्रधान संजय धारीवाल के ग्राम प्रधान के सभी अधिकारी सीज कर दिए हैं। प्रधान की जिम्मेदारी उप प्रधान को सौंप दी गई है। परीक्षा भर्ती घोटाले में BJP के मंडल अध्यक्ष संजय धारीवाल का नाम आने के बाद पार्टी ने उससे किनारा कर लिया था।
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इस एक्शन के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि जब संजय धारिवाल की प्रधानी जा सकती है, तो UKSSSC पेपर लीक मामले में जेल में बंद हाकम सिंह की जिला पंचायत सदस्ता अब तक क्यों नहीं गई है? हाकम सिंह अब तक भी जिला पंचायत सदस्य बना हुआ है? सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हाकम सिंह का हाकिम कौन है?
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हाकम सिंह को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं उसके संबंध पूर्व मुख्यमंत्री समेत राज्य के कई मंत्रियों और नेताओं से रहे हैं। विधायकों से भी उसकी नजदीकी रही है। इसके अलावा कई अधिकारियों की फोटो भी उसके साथ वायरल हो चुकी हैं। दरोगा भर्ती मामले में हाकम के साथ फोटो सामने आने के बाद जांच में दरोगाओं की नौकरी तक जा चुकी है, फिर हाकम सिंह अब तक जिला पंचायत सदस्य कैसे बना हुआ है?
इससे एक बात को साफ है कि कोई तो है, जो हाकम पर हाथ रखे हुए है। पेपर लीक जैसा बड़ा कांड करने के बाद भी अब तक उसकी सदस्यता बरकरार है। आखिर किसके कहने पर हाकम सिंह पर ऐसी मेहरबानी हो रही है।
ये है नियम
पंचायतीराज विभाग नियमावली के अनुसार, किसी मामले में गिरफ्तारी के बाद विभाग निर्वाचित प्रतिनिधि के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। इसमें कार्यालय संभालने वाले प्रधान, ब्लॉक प्रमुख या जिला पंचायत अध्यक्ष को निलंबित करने का भी प्रावधान है, लेकिन सामान्य पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत सदस्य के मामले में सीधे बर्खास्त किए जाने का भी प्रावधान है।