Friday , 22 November 2024
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डॉ. मनोज सुंद्रीयाल : आज मन बहुत दुखी है, हादसे ने हमसे अनमोल रत्न छीन लिया…

  • प्रदीप रावत (रवांल्टा)

हादसे…ने आज बदहवास कर दिया…। ऐसा हादसा, जिसने भीतर तक हिलाकर रख दिया। भरोसा नहीं हो पा रहा है कि यह सच है। पेशे से पत्रकार हूं…। खबर आई थी। पहली बार ऐसा हुआ कि मैंने किसी खबर को इग्नोर कर दिया। ऐसी खबर, जिसने मुझसे बहुत कुछ छीन लिया। उस खबर को मैंने इग्नोर कर दिया। यह सब हादसे की वजह से हुआ। एक युवा प्रोफेसर डॉ. मनोज सुंद्रीयाल। अब हमारे बीच में नहीं हैं।

ऐसा नाम, जिन्होंने संविदा पर गढ़वाल विश्वविद्यालय में लंबे वक्त का पढ़ाया और देश के लिए बेहतरीन पत्रकार तैयार किए। उनके पढ़ाए स्टूडेंट आज देश के बड़े मीडिया संस्थानों में सेवाएं दे रहे हैं। श्रीनगर पत्रकारिता विभाग में जिसने भी पढ़ाई की होगी वो हर स्टूडेंट आज रो रहा होगा। सभी उनको अच्छे से जानते थे। केवल वही नहीं। पत्रकारिता जगत में डॉ. मनोज सुंद्रीयाल एक पहचान थे। आज वो हमारे बीच में नहीं रहे। उन्होंने अमर उजाला में भी अपनी सेवाएं दीं। जानलेवा तोता घाटी में पहाड़ी से पत्थर गिरा और एक युवा प्रोफेसर को हमसे, इस राज्य से हमेशा के लिए छीन ले गया।

डॉ.मनोज सुंद्रीयाल ऐसे इंसान थे, जो हर वक्त कुछ ना कुछ नया सोचते रहते थे। आइडिया की भरमार थी उनके पास। मदद का भंडार था उनके पास। जब भी कहीं कोई जॉब की संभावनाएं होती थीं। तुरंत अपने स्टूडेंट्स को फोन करते थे। उनका लक्ष्य होता था कि उनके स्टूडेंट्स को नौकरी मिले और वो बेहतर भविष्य बना सकेें। उनकी बदौलात कई युवाओं को नौकरी मिली और आज पत्रकारिता में अपना नाम कमा रहे हैं।

मेरा नाता उनसे शिक्षक और स्टूडेंट का तो था ही। उसके इतर भी उनसे मेरा एक नाता था। वह नाथा था बड़े भाई और छोटे भाई का। एक दोस्त की तरह हमेशा बात करते थे। वो थे तो मेरे गुरु जी, लेकिन मुझे हमेशा अपना दोस्त समझते थे। एक बात में अपना सीनियर कहते थे। वो बात यह थी कि मेरी शादी उनसे पहले हो गई थी। उम्र का फासला भी बहुत ज्यादा नहीं था…।

हमारा नाता केवल कॉलेज तक ही नहीं रहा। लगातार बना रहा। आज उनके जाने के 3 दिन पहले ही उनसे बात हुई थी। उन्होंने कुछ समय पहले ही एक यूट्यबू चैनल बनाया था। उसको लेकर चर्चा हो रही थी कि कैसे उसे और बेहतर बनाया जा सकता है। काफी समय से यह प्लानिंग भी कर रहे थे कि कैसे युवाओं के लिए यूनिवर्सिटी से जुड़ी जानकारियां आसानी से उन तक पहुंच सकें। उसे हम एक वेबसाइट के रूप में लाना चाहते थे। काल की कुछ ऐसी चाल रही कि अब हम कभी उस प्रोजेक्ट का पूरा नहीं कर सकेंगे।

एलुमनी एसोसिएशन का एक बड़ा प्रोग्राम करने की योजना थी। उसमें पत्रकारिता विभाग के सभी पूर्व छात्रों को बुलाने का प्लान था। योजना थी कि सभी पूर्व छात्र कुछ ना कुछ लिखेंगे और एक किताब के रूप में उन दस्तावेजों को लाएंगे, जो भविष्य में पत्रकारिता और अन्य छात्रों के काम आए। वो हमेशा कुछ ना कुछ बेहतर करने का प्लान बनाते रहते थे। हम ये सब कर भी पाते, लेकिन पहले कोरोना ने राह रोकी और काल ने हमसे हमेशा से उस प्लानर को छीन लिया।

आज मन बहुत दुखी है…। बहुत से साथियों के फोन आए। उनके सबसे करीबी लोगों में से एक वरिष्ठ पत्रकार बिपिन बनियाल जी से फोन पर बात हुई। जैसे उनको फोन किया…उनकी आवाज में अपने छोटे भाई को खोने का गम साफ महसूस किया जा सकता था।

अल्मोड़ा के साथ सीनियर जर्नलिस्ट प्रमोद डालाकोटी का फोन आया…। मन दुखी था। उन्होंने हौसला दिया। मेरे छोटे भाई और सुंद्रीयाल जी के बेहद करीब लिखवार गांव टिहरी के प्रधान चंद्रशेख पैन्यूली का फोन आया…। शेखर ने हादसे का वीडियो भेजा…। उसे देखकर ऐसा लग रहा था सुंद्रीयाल जी अभी बोल पड़ेंगे…लेकिन अब वो कभी नहीं बोलेंगे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
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