Sunday , 27 July 2025
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सांप और नेवले का मिलन, क्या गुल खिलाएगी हरीश-हरक की जुबानी सुलह!

  • प्रदीप रावत (रवांल्टा)

हरक और हरदा…। सियासी पिच के दो ऐसे खिलाड़ी, जो राजनीति के हर फन में माहिर हैं। राजनीतिक दांव-पेच ऐसे कि सामने वाला समझने से पहले ही मात खा जाए। हरक ने हरदा की सरकार को लंगड़ी देने का दांव चला तो, हरदा ने अपना दांव खेला और सरकार को गिरते-पड़ते बचा लिया। तब से लेकर आज तक इन दोनों सियासत के दिग्गजों के बीच जुबानी जंग जारी थी। इन दोनों के बीच जुबानी युद्ध केवल सियासी मसलों पर नहीं लड़ा गया। बल्कि, दोनों ने एक-दूसरे की दुखती रगों को भी दबाया। हरक ने सीज-फायर का ऐलान किया है। देखते हैं कब तक और सीज-पायर का पालन कर सकते हैं।

हरक के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी और कांग्रेस में रहते भी हरदा से ठनी रही। 2022 के लिए चुनावी मैदान तैयार है। भाजपा और कांग्रेस चुनावी मैदान में अपने सिपाहियों को उतारने की तैयारी में जुटे हैं। मैदान में उतारने से पहले उनको परखा जा रहा है। इन तैयारियों की एक खास रणनीति दलबदल की रणनीति है। भाजपा में इसके लिए कोई शर्त नहीं है। कांग्रेस में भी नहीं है, लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत की ‘वीटो’ और माफी की शर्त बागियों के आड़े आ रही है।

सियासत के माहिर खिलाड़ी हरदा ने ऐसा दांव चला कि कांग्रेस में वापसी की राह देख रहे बागियों की गर्मी भी अब नरमी में बदल रही है। यह भी कह सकते हैं कि सियासी गर्मी की बर्फ पिघलने लगी है। हदरा पर बयानों की बौछार से कोई भी निशाना नहीं चूकने वाले हरक सिंह रावत अचानक ऐसे बदल गए कि हाथ जोड़कर नतमस्तक होने लगे। माना जा रहा है कि उत्तराखंड की राजनीति के पितामह की भूमिका में नजर आ रहे हरदा ने फिर हरक को अपने मोहपास के तीर से मोहित कर लिया है।

इस पटकथा का एक और सीन भी लिख दिया गया है। यह पटकथा वापसी की पटकथा है। सियासी योद्धा हरक ने भले ही यह कहा हो कि यह उनकी कांग्रेस में वापसी की माफी नहीं है, लेकिन पिक्चर के सीन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं, वापसी की पटकथा भी उतनी ही मजबूत होती जा रही है। इस पटकथा का सबसे बड़ा सीन खुद हरदा ने क्रिएट किया। गणेश गोदियाल के मोबाइल से हरक के मोबाइल की घंटी बजी। हाय-हैलो हुआ…और फिर हुई हरदा की एंट्री।

हरदा हमेशा से ही अपने खास अंदाज के लिए जाने जाते हैं। इस बार भी उन्होंने अपने बयानी तरकश से एक और तीर निकाला और हरक पर दे मारा। ये तीर भावनात्मक तो जरूर था, लेकिन असर नागफास की तरह। हरक के फोन उठाते ही हरदा ने कहा कि सांप और नेवले को साथ मिल जाना चाहिए। इस मिलन का बहाना भले ही अपदा और चमुक गांव के विस्थापन का हो, लेकिन हरदा का असल निशाना कहीं और ही था। एक तीर से दो-दो शिकार करने की कला में माहिर खिलाड़ी हरदा ने तीर तो चला दिया। अब देखना यह होगा कि इसका असर कितना होता है।

हालांकि अभी यह भी तय होना बाकी है कि सांप कौन था और नेवला कौन? सियासी खेल के बीच हरदा की इस शतरंजी चाल में कितने राजा, सिपाही और प्यादे धराशाई होंगे, इसका परिणाम आने में कुछ वक्त लगेगा। लेकिन, हरदा के तीर का असर नजर आने लगा है। हरदा ने जिस तरह से हरक से बातचीत को खुद ही सोशल मीडिया के जरिए पेश किया। उससे समझा जा सकता है कि उनका निशाना और इशारा बिल्कुल सटीक भी है और अचूक भी। हरदा की ओर से छोड़ा गया ये तीर राज्य की सियासी गणित को जरूर गड़बड़ा देगा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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