Wednesday , 6 August 2025
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यहां तो सिस्टम को ही सांप डस चुका है…

नैनीताल के क्वारंटीन सेंटर में बच्ची की मौत सांप के डसने से हो गई। सरकार ने अपनी पीठ थप-थपाने के लिए तत्काल राजकीय इंटर काॅलेज के टीचर और दो अन्य कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज कर लिया। बच्ची की मौत का जिम्मेदार ना तो शिक्षक हैं और ना कोई दूसरा कर्मचारी। मौत का जिम्मेदार या तो सरकार है या फिर पूरा सिस्टम। सांप ने केवल बच्ची को ही नहीं डसा…। पूरे सिस्टम को ही डस लिया है। पूरा सिस्टम ही मूर्छा में है। ऐसी मूर्छा जो टूटने का नाम ही नहीं ले रही। सिस्टम की मूर्छा शादय तब टूटेगी, जब किसी और को साप डसेगा या कोई जर्जर स्कूल की छत के नीचे दब मरेगा…। वैसे आज भी किसी पर मुकदमा होना चाहिए था…क्योंकि सांप फिर बिल से बाहर निकल आया था..। सरकार कर्मचारी तैनात किए हैंं…सपेरे नहीं।

क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। बेहद बदहाल और खस्ताहाल क्वारंटीन सेंटरों में लोग रह भी रहे हैं…सरकार को उनका शुक्रगुजार होना चाहिए। सरकार को खैर मनानी चाहिए कि लोग मुकदामों के डर से डरे हुए हैं। लेकिन, सोशल मीडिया पर तैर रहे क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली बयां करते वीडियो खूब टीआरपी बटोर रहे हैं। ठीक उसी तरह, जैसे सीएम साबह लंबे लाॅकडाउन के बाद अब जिलों में बैठकों के लिए निकलकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। अधिकारियों को नसीहत दे रहे हैं। आदेश-निर्देश दे रहे हैं।



सवाल ये है कि क्वारंटीन सेंटर में बच्ची को सांप के डसने के लिए शिक्षक कैसे जिम्मेदार हुए ? आखिर कैसे वो सांंप के डसने से बच्ची को बचा पाते ? क्या जिला प्रशासन और सरकार इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं ? जिम्मेदारी सरकार की है कि वो क्वारंटीन सेंटरों में सुविधाएं दें। इन दिनों सांपों के निकलने और ब्रीडिंग का समय चल रहा है। उनको निकलना ही है। उनको कोई रोक नहीं सकता। लेकिन, सरकार व्यवस्था तो कर सकती थी ? सरकार क्वारंटीन सेंटरों में लोगों को जमीन पर सोने के लिए मजबूर तो नहीं करती ? क्या सरकार इसकी जिम्मेदारी लेगी कि क्वारंटीन सेंटर में बेड की व्यवस्था वो नहीं कर पाई ? क्या सरकार स्वीकार करेगी कि मौत के लिए शिक्षक और अन्य दो कर्मचारी जिम्मेदार नहीं हैं, सरकार है या सिस्टम ?



अब कुछ और सवालों की ओर बढ़ते हैं। केंद्र ने राज्य सरकार को पर्याप्त बजट दिया है। लोगों ने भी खूब डोनेट किया, लेकिन सरकार ने हाथ खड़े किए हुए हैं। गांव के क्वारंटीन सेंटरों में और तो और बिस्तर तक नहीं दिए गए हैं। लोग अपने घरों से ही बिस्तर ला रहे हैं…खाना भी हर घर से आ ही आ रहा है। हालांकि कुछ जिलों के क्वारंटीन सेंटरों में खाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन खाने की गुणवत्ता बेहद घटिया है। चिंता की बात ये है कि जिन ग्राम प्रधानों को सरकार ने जिम्मेदारी दी है। उनको बजट के नाम पर कुछ नहीं दिया गया। हां अब 15वें वित्त के लिए बजट की व्यवस्था तो की गई है। मिलेगा कब…कुछ पता नहीं। ग्राम प्रधानों की मानें तो पंचायती राज विभाग ने अपने अधिकारियों किसी भी वित्त का फंड कोरोना पर खर्च ना करें।

सांप ने पूरे सिस्टम को डसा हुआ है। बच्ची की मौत का जिम्मेदार भी सिस्टम को ही ठहराया जाना चाहिए। शिक्षक या किसी दूसरे कर्मचारी को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है ? क्या सांप उनको बताकर क्वारंटीन सेंटर में घुसेगा ? सरकार ने क्वारंटी सेंटरों में मेडिकल की सुविधा उपलब्ध क्यों नहीं कराई ? सवाल यह है कि अपनी नाकामी और लापरवाही को छुपाने के लिए सरकार दूसरों पर मुकदमें क्यों थोप रही है ? सरकार के पास लोगों के सवालों का हमेशा की तरह गोल-मोल जवाब जरूर होगा, लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार और सिस्टम फिलहाल फेल है…। हालात चिंताजनक हैं और सरकार नियंत्रण में बता रही है। आपको और हमें खुद ही सचेत और सुरक्षित रहना होगा…। सरकार और सरकारी दावे हमेशा हवाई होते हैं…। आपको और हमें खुद ही अपना धरातल संभालना होगा…।

 

….प्रदीप रावत (रवांल्टा)

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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