देहरादून: केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में नीट में फेल होने वाले छात्र यूक्रेन में पढ़ने जाते हैं। उनके इस बयान पर जहां सोशल मीडिया में उनको ट्रोल किया जा रहा है। वहीं, कई लोगों ने उनके बयान को घटिया बताया है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी उनके बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
हरदा ने कहा कि कहा कि बयान बहुत ही कष्ट पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा कि प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि रुयूक्रेन में पढ़ रहे बच्चे जो वहां मेडिकल एजुकेशन लेने के लिए गए हैं वो अक्षम हैं, वो भारत में नीट की परीक्षा भी पास नहीं कर सकते हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि प्रीह्लाद जोशी इस समय प्रश्न यह नहीं है कि वो नीट की परीक्षा पास कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं।
प्रश्न यह है कि उनकी जिंदगी को बचाने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है? पहले ही आपने बहुत विलंब कर दिया और जब साक्षात उनके सर पर मौत खड़ी है तो आप इस तरीके का बेहयाईपूर्ण बयान देकर भारत के प्रबुद्धजन मानस को कष्ट पहुंचा रहे हैं।
हरदा ने कहा कि प्रह्लाद जोशी को अपने इस बयान के लिए क्षमा मांगनी चाहिए, वो संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते केंद्र सरकार के प्रवक्ता भी हैं। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिन बच्चों की निकासी की व्यवस्था एक माह पहले से प्रारंभ हो जानी चाहिए थी, उनकी आज जिंदगी खतरे में है, तब भी बहुत कम संख्या में उनको बाहर निकाला जा सक रहा है।
एक कर्नाटक के विद्यार्थी की जान भी चली गई है। हरदा ने प्रह्लाद जोशी जो जवाब देते हुए कहा कि लोग यूक्रेन या बाहर अध्ययन करने इसलिए नहीं जाते हैं कि वो परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सकते हैं, वो इसलिये भी जाते हैं क्योंकि वहां कम खर्च लाख रुपये में मेडिकल शिक्षा मिल जाती है और भारत सरकार ने भी उसको मान्यता दे रखी है।
भारत में वही शिक्षा उनको डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा रुपया खर्च करके मिल पाती है। यह एक निम्न मध्यम वर्ग परिवार के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की व्यवस्था करना एवरेस्ट चढ़ने जैसा कठिन कार्य है। आप लोगों की बेबसी का मजाक मत उड़ाइये, उस मां का मजाक मत उड़ाइये जो अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए हर पल आंखों में आंसू भरे हुए हैं या टेलीविजन को निहार रही है। अखबार खोज रही है कि कब मेरा बेटा, मेरी बेटी यूक्रेन से सकुशल वापस भारत आ जाएंगे।