हल्द्वानी: ट्रांसपोटरों की हड़ताल समाप्त हो गई है। दो दिन चली हड़ताल के कारण कुमाऊं की सप्लाई लगभग ठप हो गई थी। इसको देखते हुए डीआईजी निलेश आनंद भरणे ने पहल की और ट्रांसपोटरों के साथ बैठक पर मामले को सुलझाया। उनके आश्वासन के बाद फिलहाल हड़ताल समाप्त हो गई है। डीआईजी ने सीपीयू को बाजार में ही ट्रैफिकल कंट्रोल करने के निर्देश दिए हैं।
हल्द्वानी के ट्रांसपोर्ट कारोबारियों ने पुलिस और सीपीयू के चालान की जो कहानी बयां की है, वो बेहद चौंकाने वाली है। व्यापारियों के बयान और दावे सिस्टम की पोल खोलने के लिए काफी हैं। ट्रांसपोटरों का कहना है कि ट्रक चालकों पर छोटे-छोटे गलतियां निकालकर दबाव बनाया जाता है। चालान न भुगतने पर गाड़ी सीज करने की बात कही जाती है।
शहर से काफी दूर तक पुलिस और सीपीयू चालन करती है, जबकि वहां ट्रैफिक की कोई समस्या भी नहीं रहती है। ट्रांसपोटरों का कहना है कि हर चक्कर में 2500 से 3000 रुपये तक चालान काटा जाता है। महीने में होने वाली बचत में से 20 से 30 हजार रुपये पुलिस के लिए ही चाहिए होते हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि पुलिस और सीपीयू को ट्रक चेक करने का कोई अधिकार नहीं है। आरटीओ चेकिंग करें और कोई कमी हो तो कार्रवाई हो।
देवभूमि ट्रक ऑनर यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार नेगी पुलिस और सीपीयू उगाही कर रहे हैं। एक गाड़ी के दो महीने में 40 चालान यह तो हैरानी की बात है। हल्द्वानी से काठगोदाम के बीच 9 स्थानों पर अनाधिकृत चेकिंग होती है। उनका कहना है कि इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कारोबारी क्या बचाएगा, क्या खाएगा।