Wednesday , 18 June 2025
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उत्तराखंड : हाईकोर्ट पहुंचा सरकारी स्कूलों का ये मामला

नैनीताल : उत्तराखंड शिक्षा विभाग में स्कूलों में प्रधानाचार्यों की भारी कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए भर्ती को लेकर सरकार द्वारा एक फॉर्मूला तैयार किया गया था। लेकिन इसका विरोध होने के बाद ये मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। जिसके बाद अब एक बार फिर से भर्ती का मामला लटक गया है। सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य के बड़े स्तर पर पद रिक्त चल रहे हैं। जिसको लेकर शिक्षा मंत्री से लेकर शिक्षा विभाग गंभीर तो नजर आया लेकिन जो नियमावली प्रधानाचार्य के पदों को भरने को लेकर बनाई गई है उसमें कुछ कमी शिक्षक निकल रहे हैं। जिसके चलते ये मामला अब हाईकोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है।

प्रधानाचार्य के पदों को भरने को लेकर सरकार के द्वारा नई नियमावली बनाई गई है, जिसको मंजूरी भी मिल चुकी है। अभी तक उत्तराखंड में प्रधानाचार्य के पदों पर शत-प्रतिशत प्रमोशन होते थे। लेकिन अब बड़े स्तर पर प्रधानाचार्य के पदों पर रिक्ति को देखते हुए सरकार के द्वारा 50% प्रधानाचार्यों के पदों को सीधी भर्ती से भरे जाने को लेकर नियमावली बनाई गई है। जिसका विरोध शिक्षक संगठन तो कर ही रहा है इसके साथ ही शिक्षक डॉक्टर अंकित जोशी के द्वारा इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई है।

उत्तराखंड के राजकीय इंटर कॉलेज की बात की जाए तो पूरे प्रदेश में 1385 इंटर कॉलेज में 1385 प्रिंसिपल के पद स्वीकृत है जिनमें से वर्तमान समय में 1024 स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद रिक्त चल रहे हैं। मात्र 361 राजकीय इंटर कॉलेज ही ऐसे हैं जहां पर प्रिंसिपल के पद भरे हुए हैं बाकी 1024 स्कूल प्रभारी प्रधानाचार्य के भरोसे चल रहे हैं। वहीं हाई स्कूल में हेड मास्टरों की बात करें तो 911 पद स्वीकृत हैं। जिनमें से 715 हेड मास्टर के पद रिक्त हैं। केवल 196 स्कूलों में ही हेड मास्टर के पदों पर हेड मास्टर नियुक्त है।

ऊपर दिए गए आंकड़ों से आप समझ गए होंगे कि आखिरकार किस तरीके से राजकीय इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्ययों की बड़ी कमी है,तो वहीं हाई स्कूलों में भी हेड मास्टर के पद भी बड़ी मात्रा में खाली है, इन्हीं पदों को भरने को लेकर सरकार कवायत शुरू कर रही है, लेकिन मामला हाई कोर्ट पहुंच चुका है।

प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों में खाली पड़े प्रधानाचार्यों के इन पदों को प्रमोशन से भी इन पदों को भरा जा सकता था। लेकिन वरिष्ठता का विवाद शिक्षा विभाग में जी का जंजाल बना हुआ है। एलटी से प्रवक्ता पदों पर प्रमोशन का विवाद हो या फिर प्रधानाचार्य के पदों पर प्रमोशन का मामला सब जगह पेंच ही फंसे नजर आ रहे हैं। लेकिन विभाग इन उलझन से पार नहीं पा रहा है।

प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती के मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले डॉक्टर अंकित जोशी का कहना है कि जो नई नियमावली सरकार के द्वारा बनाई गई है उसमें सीधी भर्ती में एलटी शिक्षकों को स्क्रीनिंग परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं दिया गया है। इसके साथ ही जो प्रवक्ता नॉन बीएड है उनको भी स्क्रीनिंग परीक्षा से बाहर रखा गया है जो की न्यायोचित नहीं है। नियमावली तैयार होते समय उन्होंने शिक्षा सचिव से भी मांग की थी की एलटी शिक्षकों और नॉन बीएड प्रवक्ताओं को भी मौका दिया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।

वहीँ, प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती को लेकर राजकीय शिक्षक संगठन भी कोर्ट जाने की बात कर रहा था, यहां तक कि संगठन के द्वारा सभी शिक्षकों से 20-20 रुपए भी कोर्ट में पैरवी को लेकर मांगे गए थे,लेकिन शिक्षक संगठन से दो कदम आगे निकलते हुए अंकित जोशी ने अकेले ही दम पर नियमावली को चुनौती दे दी।

इस पर शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि 20 सालों से प्रिंसिपल के पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसी को लेकर उन्होंने शिक्षक संगठनों से भी राय ली थी और सहमति बनी थी कि 50% पदों पर सीधी भर्ती से पद भर जाए। वो भी शिक्षकों को ही सीधी भर्ती में प्रिंसिपल बनने का मौका मिलना है। लेकिन मामला कोर्ट में ले जाने की बात सामने आई है। कोर्ट के जो भी सुझाव होंगे उन पर भी अमल किया जाएगा। वहीं शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी का कहना है कि छात्र हित को देखते हुए नई नियमावली बनाई गई है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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