नैनीताल: नैनीताल की नैनी झील को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। नैनी झील से रिसाव और भूस्खलन को लेकर कई सालों से ट्रीटमेंट और जांच चल रही है। लेकिन आज तक यह पता नहीं चल पाया था कि पानी का रिसाव नैनी झील से हो रहा है या फिर कहीं और से? इन सवालों का जवाब अब मिल गया है। आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें इसका खुलासा किया गया है।
एक नई भूमिगत झील
रिपोर्ट में कहा गया है कि नैनी झील से करीब 400 मीटर दूर भीमताल की ओर एक नई भूमिगत झील है। नई झील करीब 200 मीटर लंबी और पांच मीटर तक गहरी है। नैनीताल का निचला हिस्सा करीब 40 साल से खतरनाक बना हुआ है। 1980 में बलिया नाले में भूस्खलन के बाद इसके ट्रीटमेंट और सर्वे का काम शुरू हुआ था। तब यह माना जा रहा था कि भूस्खलन नैनीझील में पानी रिसाव के कारण हो रहा है। इसके सर्वे के लिए आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट, देहरादून, जीएसआई समेत कई एजेंसियां को जिम्मेदारी दी गई थी।
भूस्खलन को रोकने में मदद मिलेगी
आईआईटी रुड़की की सर्वे टीम ने नैनी झील से करीब 400 मीटर दूर भवाली की तरफ 70 मीटर इलाके का भूमिगत सर्वे किया। अब इसकी रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट से पता चला है कि यहां जो पानी का रिसाव हो रहा है, वह नैनीझील से नहीं बल्कि भूमिगत नई झील के कारण हो रहा है। इससे अब यह उम्मीद भी जगी है कि लगातार हो रहे भूस्खलन को रोकने में मदद मिलेगी। करोड़ों खर्च करने के बाद भी भूस्खलन से लोगों को निजात नहीं मिल पाई थी। कई लोगों को मकान तक छोड़ने पड़े।
डीएम धीराज गर्बयाल ने ये कहा
नई झील का पता चलने से बलियानाले के बड़े इलाके में चार दशकों से भूस्खलन रोकने में भी मदद मिलेगी। नैनीताल डीएम धीराज गर्बयाल ने बताया कि इस भूमिगत झील के पानी को अपलिफ्ट कर नैनीताल तक पहुंचाने की योजना पर काम चल रहा है। इस इलाके का संयुक्त सर्वे हो चुका है। सिंचाई और नलकूप विभाग, जलनिगम आदि विभागों की आठ सदस्यीय कमेटी गठित की है। जो इस परिक्षेत्र में ट्यूबवेल स्थापित करेगी।