Thursday , 19 June 2025
Breaking News

माफिया या सरकार : किसकी मित्र है उत्तराखंड पुलिस…?

कोटद्वार खनन प्रकरण के चिंताजनक पहलू…

कोटद्वार में बीते दिनों सुखरो नदी में हो रहे खनन की तस्वीरें फ़ेसबुक लाइव के जरिये सार्वजनिक करने वाले सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता मुजीब नैथानी और पत्रकार राजीव गौड़ पर लाइव के दौरान ही खनन माफिया द्वारा हमला कर दिया गया. इस पूरे प्रकरण से कुछ ऐसे संकेत निकलते हैं,जिनके खिलाफ अभी तत्काल खड़े नहीं हुए तो न केवल कोटद्वार के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के लिए ये भयावह सिद्ध हो सकता है.

मार्च के महीने में त्रिवेंद्र रावत सरकार ने खनन की सीमा बढ़ा कर तीन मीटर कर दी. साथ ही मशीनों द्वारा खनन की अनुमति भी दे दी. लेकिन जो दृश्य मुजीब नैथानी के फ़ेसबुक लाइव में दिखाई दिये,उससे एकदम साफ है कि खनन माफिया तो बरसों-बरस से मशीनों से ही नदियां खोद रहे हैं और तीन मीटर की हद तो वे कभी की पार कर चुके हैं.नदियों छह से लेकर आठ मीटर या उससे अधिक तक खोद डालने वालों को यदि कोई नहीं रोक रहा है तो ये “ज़ीरो टॉलरेंस” के नारे वाली सरकार के ज़ीरो होने के चिन्ह हैं.

नदियों का खाइयों, तालाबों और गहरे गड्ढों में तब्दील करना खनन माफियाओं के लिए तो मुनाफे का सौदा हो सकता है,लेकिन पर्यावरण और लोगों के जानमाल के हिसाब से यह कभी भी भयानक दुर्घटना का सबब बन सकता है. खनन माफिया की चाहत, हर कीमत पर मुनाफे की चाहत हो सकती है. लेकिन यदि सरकार और प्रशासन भी खनन माफिया की चाहत को अपनी चाहत बना लें तो यह प्रदेश के लिए गंभीर खतरे की घंटी है.

मुजीब नैथानी और राजीव गौड़ फ़ेसबुक लाइव के दौरान पौड़ी जिले के पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों को फोन कर रहे थे. आश्चर्यजनक रूप से इनमें से किसी अफसर को अवैध खनन की बात सुन कर गुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वे ऐसे असहज हो रहे थे,जैसे उनसे किसी अपने सगे के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा जा रहा हो. कोरोना पर गाना लिखना,गाना तो ठीक है पर अवैध खनन की बात सुनकर भी चैन की बांसुरी बजाते रहना बेहद दिक्कततलब है.

उत्तराखंड पुलिस का नारा है-मित्र पुलिस. जाहिरा तौर पर इसका मतलब होगा-जनता की मित्र पुलिस. लेकिन कोटद्वार में पुलिस ने जिस तरह सिर फूटे और फ़ेसबुक लाइव करने वालों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया,वह और जो बाकी कुछ भी हो, जनता की मित्र पुलिस तो उसे नहीं दर्शाता. खनन वाले गाली-गलौच,फ़ाइरिंग करें,आदमी को उठा ले जाएँ और लॉकडाउन काल में पुलिस के सामने ही जुलूस भी निकाल दें तो उत्तराखंड पुलिस के आला अफसरों को दरियाफ़्त करना चाहिए कि कोटद्वार में उनकी पुलिस, किसकी मित्र हुई जा रही है ! पुलिस निष्पक्ष न हो,लेकिन वह निष्पक्ष दिखना भी न चाहे तो समझिए कि कोई ऐसी बड़ी चीज या बड़ा याराना है,जिसके लिए “मित्र पुलिस” के आधिकारिक स्लोगन को भी किनारे फेंकने के लिए कोटद्वार में पुलिस सहर्ष नजर आई. “मित्र पुलिस” जनता के अतिरिक्त किसी और की मित्र है या नहीं, पर नजर आ रही है तो यह जनता के लिए ही नहीं पुलिस के लिए भी गंभीर स्थिति है.

जिस तरह से अवैध खनन वालों ने मुजीब नैथानी और राजीव गौड़ पर फ़ेसबुक लाइव के दौरान ही हमला बोल दिया,वह खनन वालों की बौखलाहट तो दिखाता ही है. यह भी दिखाता है कि वे सरकार और प्रशासन के वरदहस्त के प्रति इस कदर आश्वस्त हैं कि सार्वजनिक रूप से गाली-गलौच,मारपीट,फ़ाइरिंग और उठा ले जाने में भी उन्हें कोई हिचक महसूस नहीं हो रही है. उत्तराखंड जैसे अपेक्षाकृत शांत प्रदेश में यदि खनन वाले किसी एक इलाके में खुलेआम गुंडागर्दी पर उतर रहे हैं तो प्रदेश की बेहतरी चाहने वालों के लिए चिंता का सबब है. खनन माफियाओं का यह “कोटद्वार मॉडल” प्रदेश में गलत के खिलाफ लड़ने-बोलने वालों के लिए संकट होगा और प्रदेश में माफिया की तूती बोलेगी. उत्तराखंड की सभी जनपक्षधर ताकतों को माफिया राज के इस संभावित खतरे को बीज रूप में ही ध्वस्त करने के लिए उठ खड़ा होना होगा वरना माफिया और उनके सत्ताधारी संरक्षक इस प्रदेश को तबाह कर देंगे.

– कॉमरेड इंद्रेश मैखुरी

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
error: Content is protected !!