Friday , 22 November 2024
Breaking News

उत्तराखंड: चौबट्टाखाल का चुनावी समर, कविंद्र इष्टवाल या फिर कोई और, ये है जिताऊ कैंडिडेट 

पौड़ी: चुनावी घमासान के बीच राजनीतिक दल अपने लिए जिताऊ प्रत्योशी खोज रहे हैं। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। सभी राजनीतिक दल जीतने वाले पर ही दांव लगाना चाहते हैं। पौड़ी जिले में कांग्रेस के पास कई आवेदन आए हैं। इन सीटों में चौबट्टाखाल सीट की भी खूब चर्चाएं हो रही हैं। इस सीट पर भाजपा की ओर से हैवीवेट नेता सतपाल महाराज वर्तमान में विधायक हैं और वो कैबिनेट में भार-भरकम विभागों वाले मंत्री भी हैं।

भाजपा की ओर से साफ है कि फिलहाल महाराज की वहां से चुनाव लड़ेंगे। माना यह भी जा रहा है कि महाराज अपने बड़े सुयश रावत को भी मैदान में उतार सकते हैं। वो राजनीति में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। पिछले दिनों महाराज यह साफ भी कर चुके हैं। उनकी पत्नी चुनाव नहीं लड़ेंगी। तब महाराज ने कहा था कि अगर उनके बेटे की इच्छा होगी तो उस पर विचार किया जाएगा।

कांग्रेस की बात करें तो यहां सात-आठ दावेदारों ने यहां से टिकट मांगा है। कांग्रेस में जिन लोगों ने दावेदारी की है। उनमें एक चेहरा ऐसा है, जिस पर कांग्रेस दांव लगा सकती है। ये वही चेहरा है, जो रात-दिन यहीं अपने लोगों के बीच में लगातार काम करता रहता है। यह वो चेहरा है, जो लोगों के सुख-दुख में उनके साथ खड़ा होता है।

उस चेहरे का नाम कविंद्र इंष्टवाल है। ये वही कविंद्र इष्टवाल हैं, जिन्होंने 2017 में सतपाल महाराज और कांग्रेस के कैंडिडेट राजपाल बिष्ट को कड़ी टक्कर दी थी। लोगों तब कविंद्र को खूब प्यार दिया था। कविंद्र अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने हारने के बाद भी लगातार क्षेत्र में अपने लोगों के बीच मौजूदगी बनाए रखी। उनकी हर समस्या के लिए दिन-रात संघर्ष किया।

तब भाजपा ने कविंद्र इष्टवाल को प्रलोभन भी दिया था, लेकिन कविंद्र इष्टवाल ने अपने समर्थकों की बात मानी और निर्दलीय ही चुनावी समर में उतर गए। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस को हिला कर रख दिया था। इस बार कविंद्र इष्टवाल कांग्रेस में हैं। उन्होंने दावेदारी भी की है। उनका मुकाबला दो बार चुनाव लड़ चुके राजपाल बिष्ट से माना जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि इन्हीं दोनों में से किसी एक को कांग्रेस मैदान में उतारेगी।

दोनों की बात करें तो समीकरण कविंद्र इष्टवाल के पक्ष में जाते नजर आ रहे हैं। उसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि कविंद्र इष्टवाल स्थानीय नेता हैं। हर गांव और प्रत्येक घर तक उनकी सीधी पहुंच है। कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने वाले नेता हैं। सामाजिक क्षेत्र में भी कविंद्र इष्टवाल ने लोगों की खूब मदद की है।

बात चाहे कोरोना काल की हो या उससे पहले की। कविंद्र इष्टवाल हमेशा ही लोगों की मदद करते रहे। कोरोना के दौरान जब नेता और मंत्री अपने घरों में कैद थे, कविंद्र इष्टवाल अकेले ऐसे व्यक्ति थे, जो लगातार लोगों की मदद के लिए खबरों के बीच दिन-रात जुटे रहे। लोगों तक राशन पहुंचाना हो या फिर मेडिकल किट या लोगों को जागरूक करना। हर जगह कविंद्र की मौजूदगी नजर आईं।

अब यह कांग्रेस को तय करना है कि कांग्रेस जिताऊ कैंडिटेट वाले फॉर्मूले पर आगे बढ़ती है या फिर हाईकमान में पहुंच रखने वाले नेताओं की लॉबिंग में मजबूत नेताओं पर दांव लगाती है। स्थानीय लोगों की मानें तो कंिवंद्र इष्टवाल कांग्रेस के लिए जिताऊ उम्मीदवार साबित हो सकते हैं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

Check Also

‘रेवड़ी पे चर्चा’ : ‘जनता का पैसा, जनता की रेवड़ी’, AAP चलायेगी अभियान

आम आदमी पार्टी (आप) का ‘रेवड़ी पे चर्चा’ अभियान आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पूरी …

error: Content is protected !!