Friday , 22 November 2024
Breaking News

उत्तराखंड : गुलदार का फिर हमला, एक के बाद एक कई हमले, क्षेत्र में आक्रोश

पौड़ी: पौड़ी जिले के चौबट्टाखाल क्षेत्र में कई जगहों पर गुलदार का आतंक है। गुलदार लगातार हमले कर रहा है। कल फिर एक युवक पर गुलदार ने हमला कर दिया। गनीमत रही कि उसने किसी तरह अपनी जान बचा ली। पोखड़ा ब्लाक के गडोली गांव में सूरज नेगी अपनी बकरी चराने गया था। इस दौरान उस पर गुलदार ने हमला कर दिया। उसने किसी तरह अपनी जान बचाई।

सूरज के उसके हाथ और पीठ पर दांत व नाखून से घाव हैं। लगातार हो रहे गुलदार के हमलों के कारण लोगों में भारी आक्रोश है। पिंजरा लगाने की मांग की जा रही है, लेकिन वन विभाग के कर्मचारी कह रहे हैं कि रेंज क्षेत्र में केवल तीन ही पिंजरे हैं। सवाल यह है कि आखिरी इतनी बड़ी रेंज में तीन ही पिंजरे क्यों हैं? जबकि लगातार गुलदार गांवों के आसपास नजर आ रहे हैं।

पिजरों के लिए भी तीन दिन का इंतजार करना होगा, तब तक गुलदार किसी और पर हमला कर देगा। कांग्रेस प्रदेश सचिव युवा नेता कविंद्र इष्टवाल का कहना है कि सरकार को क्षेत्र के लिए एक रेस्क्यू टीत तैनात करनी चाहिए। आए दिन हो रहे हमलों के कारण लोगों में दहशत है। लोग अपने घरों से बाहर निकलने में घबरा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है, लेकिन खतों में गुलदार के हमलों से लोग अब खेतों में जाने से भी डर रहे हैं। अगर इसी तरह चलता रहा, तो लोग खेती करना बंद कर देंगे। सरकार की जिम्मेदारी है कि वो लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी कमद उठाए, लेकिन सरकार कुछ करने को तैयार नहीं हैं। इष्टवाल ने युवक के गांव जाकर उसका हाल जाना। इस दौरान गुडडू, रतन सिंह, युद्धवीर सिंह नेगी, हर्षपाल, दिगम्बर रावत, मनीष, दीपक नेगी, दिलबर सिंह रावत, दिगम्बर सिह और अनिल नेगी आदी मौजूद रहे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

Check Also

उत्तराखंड: 1842 में बना, 182 साल बाद बदला उत्तराखंड के इस फेमस गार्डन का नाम, ये है नई पहचान

मसूरी : नाम बदलने का सिलसिला जारी है। सरकार हर उस चीज का नाम बदलना …

error: Content is protected !!