Friday , 20 September 2024
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देर से सोने वालों, गहरी नींद सोना है तो पढ़ें ये टिप्स

लाइफस्टाइल : देर से सोने वालों, गहरी नींद सोना है तो पढ़ें ये टिप्स

लाइफस्टाइल : अगर आप भी लेट नाइट सोते हैं, तो पहले जागिए और उस आर्टिकल को पूरा पढ़िए। इस पढ़ने के बाद आप रातों को जागेंगे नहीं, चैन की नींद सोना शुरू कर देंगे। देर रात 1 बजे तक जागने वालों को मनोरोग की समस्या हो सकती है। मानसिक रूप से परेशान रह सकते हैं। कई अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। अच्छी नींद स्वास्थ्य की आवश्यकता है। समय पर सोना व कम से कम सात-आठ घंटे की नींद लेना ज़रूरी है। एक-दो दिन की नींद की कमी ठीक है। लेकिन अगर महीनों या सालों तक नींद की कमी बनी रहे, तो दिल की सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।

कम सोने वाले लोगों को ख़राब मानसिक स्वास्थ्य की दिक्क्त 

जैसे-जैसे दौर बदल रहा है, लोगों के जीने के तरीके भी बदल रहे हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी पटरी पर आ ही नहीं पा रही है। काम की व्यस्तता के चलते आजकल ज़्यादातर लोग देर रात तक जागते हैं। देर रात तक जागने वालो पर एक शोध में सामने आया है कि रात को एक बजे के बाद सोने वाले लोगों को ख़राब मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति झेलनी पड़ सकती है।

यह है वजह

ज़्यादातर मामलों में देर रात सोने से अक्सर नींद की कुल अवधि कम हो जाती है। हम कहेंगे कि गुणवत्तापूर्ण नींद की मियाद कम हो जाती है, यानी रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) नींद प्रभावित होती है। रैपिड आई मूवमेंट वाली नींद, नींद की वह अवस्था है जिसमें सबसे ज़्यादा सपने आते हैं, जो रात के दूसरे भाग के दौरान सबसे अधिक होता है। देर रात तक जागने पर रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) वाली गहरी नींद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इंपीरियल कॉलेज का  रिसर्च

लंदन के इंपीरियल कॉलेज की ओर से किए एक रिसर्च में बताया गया कि आरईएम यानी गहरी नींद दिमाग़ के बेहतर काम करने के लिए ज़रूरी होती है। देर से सोने के कारण यह नींद कम हो जाती है। आरईएम नींद का मूड के साथ एक गहरा और मज़बूत संबंध है- यानी, कम आरईएम होने पर आपका मूड ख़राब हो सकता है। आरईएम नींद में बदलाव के कारण कई तरह के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विकारों के होने का ख़तरा रहता है।

गहरी नींद सुबह छह बजे तक पूरी हो जाती है

गहरी नींद की स्थिति जो कि रात एक बजे के बाद ही बन पाती है, उसके बनने और बने रहने के लिए कुछ पहले सो जाना ज़रूरी है। आरईएम नींद स्वस्थ अवधि तक तभी बनी रह सकती है, जब उसे शोर और रोशनी से बाधित ना होना पड़े, जो कि सुबह होते-होते होने लगता है। अगर गहरी नींद सुबह छह बजे तक पूरी हो जाती है, तो व्यक्ति तरोताज़ा महसूस करता है, जो अच्छी मानसिक सेहत देगा। अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग रात एक बजे से पहले सो जाते हैं, वे आमतौर पर मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ होते हैं तथा उनमें मानसिक, व्यावहारिक और तंत्रिका-विकास संबंधी विकार, अवसाद और सामान्य चिंता व विकार के मामले कम होते हैं।

रात में देर से सोना कई बीमारियों को दावत 

  • हृदय रोग
  • मधुमेह
  • तनाव में वृद्धि
  • प्रेरणा में कमी
  • दिन में सक्रियता में कमी

बेहतर नींद के लिए ऐसा करना जरूरी 

  • समय पर सोने जाएं, साथ ही गुणवत्तापूर्ण नींद भी लें। 
  • भूखे पेट या खाना खाने के तुरंत बाद बिस्तर पर न जाएं।
  • ख़ासतौर पर, सोने से कुछ घंटे पहले भारी या बहुत ज़्यादा खाना खाने से बचें।
  • सोने से पहले निकोटीन, कैफ़ीन और शराब का सेवन न करें।
  • सोने से पहले कुछ शांतिदायक गतिविधियां करना।
  • जैसे नहाना या विश्राम तकनीक का प्रयोग करना।
  • अपने तनाव और चिंताओं का प्रबंधन करें।
  • सोने से पहले अधिक सोचना आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है।
  • सोने से पहले दिन में घटी अच्छी बातों के बारे में सोचें।
  • पालथी लगाकर बैठें, आंखें बंद करके सांस की सामान्य गति पर ध्यान लगाएं।
  • दिन में लंबी झपकी रात की नींद में बाधा डाल सकती है।
  • झपकी आधा-पौन घंटे से ज़्यादा न लें और देर तक झपकी लेने से बचें।
  • नियमित व्यायाम बेहतर नींद को बढ़ावा दे सकता है। 
  • अपने कमरे को ठंडा, अंधेरा और शांत रखें।
  • रात को रोशनी के संपर्क में आने से नींद आना मुश्किल हो सकता है।
  • सोने से ठीक पहले टीवी, मोबाइल और लैपटॉप के इस्तेमाल से बचें।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
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