भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। लेकिन, एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बड़ा दावा किया गया है। ऐसा दवा, जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। उसे दावे के अनुसार इस सदी के अंत तक भारत बूढ़ों का देश बन सकता है। देश में बूढ़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उसके आधार पर यह दावा किया गया है।
UNPF की “इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023”
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNPF) की ‘इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023’ में किया गया है. रिपोर्ट कहती है, भारत में तेजी से बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है. वर्तमान में भारत युवाओं की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में शामिल है, लेकिन बदलते आंकड़े बताते हैं कि यह तस्वीर बदल सकती है.
2050 तक 20.8 फीसदी
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में 60 साल से अधिक बुजुर्गों की संख्या करीब 15 करोड़ है. ये देश की आबादी का 10.5 फीसदी हिस्सा हैं. 2021 में 60 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों की आबादी 10.1 फीसदी थी जो 2036 बढ़कर 15 फीसदी और 2050 तक 20.8 फीसदी होने का अनुमान है. रिपोर्ट कहती है, सदी के अंत तक बुजुर्गों की आबादी 36 फीसदी से अधिक हो जाएगी.
ऐसा क्यों हुआ
देश में युवाओं की संख्या घट रही और बुजुर्गों की संख्या कैसे बढ़ रही है? रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब दिया गया है. दरअसल, भारत में 1961 के बाद से बुजुर्गों की आबादी दशक दर दशक बढ़ी. हालांकि, 2001 तक यह धीमी गति से बढ़ी थी, लेकिन इसके बाद से दर में बढ़ोतरी हुई. आंकड़े बताते हैं कि 2010 के बाद से 15 साल से कम उम्र के लोगों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई और बुजुर्गों की संख्या बढ़ती गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि यही हाल रहा तो भारत बूढ़ों का देश बन जाएगा.
भारत में युवाओं की संख्या
अब तक यही माना जाता है कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा युवा भारत में है. सबसे ज्यादा आबादी वाले चीन से तुलना करें तो भारत में युवाओं की संख्या वहां से 47 फीसदी तक ज्यादा है. वर्तमान में देश में 138 करोड़ की आबादी में 25 करोड़ युवा ऐसे हैं जिनकी उम्र 15 से 25 साल के बीच है. आसान भाषा में समझें तो आबादी का 18 हिस्सा युवा हैं. जबकि चीन में मात्र 17 करोड़ ही ऐसे युवा हैं जो संयुक्त राष्ट्र के मानकों पर फिट बैठते हैं. इस तरह देखें तो चीन की मात्र 12 फीसदी आबादी ही युवा है.
युवा होने के मानक
भारत में 2014 तक 13 से 35 साल के लोगों को युवाओं की कैटेगरी में रखा जाता था, लेकिन 2014 में आई नेशनल यूथ पॉलिसी ने इस मानक को बदल दिया. नई पॉलिसी के मुताबिक, सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें ही युवा माना गया, जिनकी उम्र 15 से 30 साल है. इस तरह से देखें तो देश की 37 करोड़ से अधिक आबादी युवा है. वहीं, चीन का यूथ डेवलपमेंट प्लान 35 साल तक के लोगों को युवा मानता है. दक्षिणी अफ्रीकी देशों में भी 35 साल तक के लोगों को युवा कहा गया है. इस तरह से देखेंगे तो भारत में करीब 48 करोड़ युवाओं की आबादी है.
इसलिए घट रही युवाओं की आबादी
युवाओं को लेकर केंद्र सरकार की रिपोर्ट ‘यूथ इन इंडिया 2022’ में यही बात कही गई है. रिपोर्ट कहती है, भारत अब बूढ़े लोगों का देश बनता जा रहा है. 2036 तक देश 34.55 करोड़ आबादी ही युवा होगी. अगले 15 सालों में युवाओं की संख्या कम होगी और बुजुर्गों की आबादी बढ़ेगी. अब इसकी वजह भी जान लेते हैं.
ये हैं 3 बड़ी वजह
गिरता फर्टिलिटी रेट: साल दर साल देश में फर्टिलिटी रेट गिर रहा है. आसान भाषा में समझें तो एक महिला औसतन कितने बच्चों को जन्म देती है, इससे फर्टिलिटी रेट कहते हैं. 2011 में फर्टिलिटी रेट 2.4 था जो 2019 में घटकर 2.1 पर आ आया. यानी और घट गया.
डेथ रेट: भारत में मौत होने की दर में कमी आ रही है. इसे क्रूड डेथ रेट से समझ सकते हैं. क्रूड डेथ रेट यानी हर 1 हजार लोगों पर होने वाली मौत का आंकड़ा. 2011 में ये 7.1 और 2019 में क्रूड डेथ रेट घटकर 6.0 पहुंच गया.
इन्फैंट मोर्टेलिटी रेटः इन्फैंट मोर्टेलिटी रेट यानी नवजात की मृत्यु दर. इससे यह जानकारी मिलती है कि 1 हजार बच्चों के जन्म पर कितने नवजातों की मौत हुई. पहले से इसकी स्थिति सुधरी है, लेकिन बहुत बड़ा बदलाव नहीं आया है.