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उत्तराखंड: ध्याणियों को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम है “दिशा-ध्याण”, जानें क्यों है खास

कवींद्र ईष्टवाल। ये नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव हैं। लेकिन, इससे ज्यादा इनकी पहचान एक समाजसेवक के रूप में है। हर सुख-दुख में लोगों के साथ खड़े नजर आते हैं। जब भी किसी पर संकट आता है, कवींद्र वहां मदद के लिए पहुंच जाते हैं। उनकी चिंता हमेशा ही पहाड़ की बेहतरी के लिए रहती है। लोगों के काम आने का कोई मौक़ा नहीं चूकते।

कवींद्र ईष्टवाल पहाड़ के उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए कई अभियान चला चुके हैं। उन्होंने रिंगाल की कंडियां बनवाई। जहां त्योहारों में लोग महंगी-महंगी मिठाइयों के गिफ्ट देते हैं। वहीं, कवींद्र ने रिंगाल की कंडियां बनाकर उनमें अरसे और दूसरे पहाड़ी उत्पाद लोगों को भेंट किए।

अब उन्होंने एक और मुहिम शुरू की है। उन्होंने जैविक उत्पादों को आउटलेट शुरू किया है। जहां आपको पूरे उत्तराखंड के पहाड़ी जैविक उत्पाद मिल जाएंगे। उनका कहना है कि उनका इसको शुरू करने के पीछे केवल इतना लक्ष्य है कि गांव में उत्पाद बनाने वाली महिलाओं के उत्पदों को बाजार मिले।

उनका माल बाजार पहुंचेगा तो उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। इसके लिए उन्होंने अब “दिशा-ध्याण” नाम से संस्था भी बनाई है। इसके जरिए महिलाओं को सरकारी योजनाओं को लाभ पहुंचाया जाएगा। महिलाएं जो भी प्रोडक्ट बनाएंगी, उससे जो भी कमाई होगी, उससे उनके रोजगार का एक माध्यम बनेगा।

“बालावाला में पीलीकोठी” के साथ आपको राज्य के हर हिस्से उत्तरकाशी से लेकर पिथौरागढ़ तक के जैविक उत्पाद मिल जाएंगे। ये उत्पाद पहाड़ की महिलाएं पहाड़ में रहकर बना रही हैं। लेकिन, बाजार नहीं मिलने के कारण उनका रोजगार नहीं बढ़ पा रहा था। आउटलेट खुलने से अब उनके उत्पादों को बाजार मिलने लगा है।

कवींद्र ईष्टवाल का कहना है कि धीरे-धीरे इसे और बड़ा किया जाएगा। बड़े स्तर पर पहाड़ में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों से उत्पाद खरीदकर उनको बाजार तक पहुंचाने काम किया जाएगा। इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। भविष्ट में दिशा-ध्याण नाम से आउटलेट खोले जाने की भी योजना है।

कुलमिलाकर देखा जाए तो कवींद्र ईष्टवाल की सोच पहाड़ी की उन महिलाओं को मजबूत करने की है, जो कड़ी मेहनत तो करती हैं, लेकिन उनको उतना लाभ नहीं हो पाता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ही उन्होंने यह मुहिम शुरू की है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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