इंडियन आर्मी में मेजर सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएन) की तरफ से प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यूएन के महानिदेशक एंटोनिया गुटारेशे की तरफ से उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है। मेजर सुमन को इंटरनेशनल डे ऑफ यूनाइटेड नेशंस पीसकीपर्स के मौके पर यह पुरस्कार दिया गया है। सेना की तरफ से एक आधिकारिक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई है।
मेजर सुमन गवानी इस समय यूनाइटेड नेशंस मिशन इन साउथ सूडान (यूएनमिस) में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। वह साल 2019 तक यहां पर तैनात रही हैं। शुक्रवार को यूएन के हेडक्वार्टर न्यूयॉर्क में हुई एक ऑनलाइन सेरेमनी में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मेजर सुमन के अलावा ब्राजील के नेवी ऑफिसर कार्ला मोन्टेरियो डी कास्त्रो अराउजो को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यूएन की तरफ से इस सम्मान को हासिल करने के बाद मेजर सुमन ने कहा, ‘काम, पद या रैंक जो भी हो एक शांतिदूत होने के नाते हमारा यह कर्तव्य है कि हमारे काम में हम महिला-पुरुष सभी की सोच और नजरिए को बराबरी से शामिल करें।’ मेजर सुमन नवंबर 2018 से दिसंबर 2019 तक यूएनमिस में बतौर सैन्य पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात थीं।
उन्हें मिशन में सैन्य पर्यवेक्षकों के साथ होने वाली यौन हिंसा के विरोध में चलाए गए अभियान में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही लैंगिक मुद्दों के समाधान में उनकी भूमिका को भी अहम माना गया है। यह पहली मौका था जब किसी इंडियन आर्मी ऑफिसर को यूएन के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सेना की तरफ से बयान में कहा गया है, ‘ऑफिसर ने लैंगिक संतुलन बनाए रखने के लिए साझा सैन्य गश्त में हिस्सेदारी को प्रोत्साहित किया, फील्ड की असीमित मुश्किल परिस्थितियों के बाद भी वह अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हटीं।’ सेना की तरफ से कहा गया है कि मेजर सुमन को नैरोबी में अलग-अलग यूएन मंचों पर यौन हिंसा से जुड़े ट्रेनिंग कार्यक्रमों के लिए चुना गया था।