Tuesday , 14 October 2025
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DRDO की नई तैयारी : भविष्य की जंग में रोबोट सैनिक और AI हथियार तैयार

नई दिल्ली : भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तेजी से उन्नत तकनीकों पर काम कर रही है। रोबोटिक सिस्टम, स्वचालित उपकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI ) आधारित प्रणालियों का विकास सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाने, खतरनाक परिस्थितियों में नुकसान न्यूनतम करने और युद्धक्षेत्र में बेहतर निर्णय क्षमता हासिल करने के उद्देश्य से हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ये तकनीकें दुश्मन देशों से निपटने की तैयारी में मील का पत्थर साबित होंगी।

ह्यूमनोइड रोबोट

DRDO के पुणे स्थित रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (इंजीनियर्स) ने एक ह्यूमनोइड रोबोट विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह रोबोट खतरनाक मिशनों में सैनिकों को जोखिम से बचाने के लिए डिजाइन किया जा रहा है। इसके ऊपरी और निचले हिस्सों के प्रोटोटाइप पहले ही तैयार हो चुके हैं। रोबोट खतरनाक वस्तुओं को संभालने, अवरोधों को हटाने और दरवाजे खोलने-बंद करने जैसे कार्य कर सकेगा। यह दिन-रात दोनों स्थितियों में कार्य करने में सक्षम होगा।

AI -आधारित हथियार

DRDO और अन्य भारतीय संस्थाओं द्वारा विकसित हो रही एआई-आधारित हथियार प्रणालियां युद्ध के परिदृश्य को बदलने वाली हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • गन ऑन ड्रोन: DRDO ने ऐसी ड्रोन प्रणाली विकसित की है, जिसमें ड्रोन पर लगी बंदूक लक्ष्य की पहचान कर कमांड सेंटर से मिले आदेश पर निशाना साध सकती है।

  • एक्सोस्केलेटन सूट: यह शक्ति-वर्धक पोशाक सैनिकों की थकान कम करेगी और उनकी कार्य अवधि बढ़ाएगी। वर्तमान में विकास के चरण में है।

  • सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) के प्रोजेक्ट्स: इसमें इंटेलिजेंट अनमैन्ड सिस्टम्स, कंप्यूटर विजन, पाथ-प्लानिंग, स्लैम (सिमुल्टेनिअस लोकलाइजेशन एंड मैपिंग), टैक्टिकल सेंसर नेटवर्क और स्वार्म रोबोटिक सिस्टम शामिल हैं।

  • दक्ष: बम निष्क्रिय करने वाला रोबोट, जो खतरनाक वस्तुओं की पहचान कर उन्हें सुरक्षित रूप से निष्क्रिय करता है।

कब तक तैयार?

ह्यूमनोइड रोबोट प्रोजेक्ट का लक्ष्य 2027 तक महत्वपूर्ण परीक्षण और विकास पूरा करना है। हालांकि, तकनीकी चुनौतियां, विश्वसनीयता, नियंत्रण प्रणाली और नैतिक-कानूनी दिशा-निर्देशों के कारण सेना में शामिल होने में और समय लग सकता है। अन्य एआई प्रणालियां भी क्रमिक परीक्षण के बाद ही परिचालन में आएंगी।

सैनिकों की जान बचाने से लेकर सीमा सुरक्षा तक

ये तकनीकें सैनिकों को सीधे खतरे से बचाएंगी। आतंकवाद विरोधी अभियानों, बम निष्क्रियण, खतरनाक इलाकों में गश्त जैसे कार्यों में उपयोगी साबित होंगी। मनुष्यों की जान जोखिम में डाले बिना मिशन पूरे किए जा सकेंगे। एआई-सेंसर और स्वचालित लक्ष्य पहचान से निगरानी, गश्त और सीमा सुरक्षा जैसे दैनिक कार्यों में दक्षता बढ़ेगी। सतर्कता और निर्णय लेने की गति में वृद्धि होगी, जिससे युद्धक्षेत्र में भारत को मजबूत बढ़त मिलेगी। समाज के लिए भी यह मानव जीवन की रक्षा सुनिश्चित करेगी।

जोखिम और चिंताएं

इन तकनीकों के साथ चुनौतियां भी जुड़ी हैं। एआई गलत जानकारी दे सकता है या सेंसर/डेटा फ्यूजन में त्रुटियां हो सकती हैं। मानव नियंत्रण का स्तर, गलतियों की जिम्मेदारी और नैतिक मुद्दे प्रमुख चिंताएं हैं। इसके अलावा, उच्च लागत, प्रशिक्षण, मरम्मत और डेटा संचालन जैसी व्यावहारिक कठिनाइयां भी हैं। डीआरडीओ इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए निरंतर शोध कर रही है।

डीआरडीओ के ये प्रयास भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये तकनीकें न केवल सैन्य क्षमता बढ़ाएंगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की तकनीकी पहचान को मजबूत करेंगी।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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