Friday , 7 February 2025
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उत्तराखंड में लागू हुआ UCC, CM ने किया पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण, बना देश का पहला राज्य

उत्तराखंड के इतिहास में आज से एक नया पन्ना जुड़ गया है। राज्य में आज से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गया है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण किया। लागू होने की अधिसूचना भी जारी हो गई है। इस तरह उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया।

समान नागरिक संहिता (UCC) के लिए 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट दो फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी थी। इसके बाद आठ मार्च 2024 को विधानसभा में विधेयक पारित किया गया। विधानसभा से पास होने के बाद इस इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा गया।
 
यहां से 12 मार्च 2024 को इस अधिनियम पर राष्ट्रपति का अनुमोदन मिल गया। इसके बाद यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए तकनीक आधारित व्यवस्थाएं लागू की गईं। नागरिकों और अधिकारियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किए गए। बीती 20 जनवरी को यूसीसी की नियमावली को अंतिम रूप देकर कैबिनेट ने इसे पास कर दिया।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि समिति ने कई सालों की मेहनत के बाद यूसीसी को तैयार किया है। यह हमारे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। समाज पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पंजीकरण की प्रक्रिया को भी आसान किया गया है। UCC समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि पंजीकरण को आसान बनाया गया है। आप एक बार हमारे पोर्टल पर आइए। फिर आप सिस्टम के पास नहीं सिस्टम आपके पास आएगा।  

सीएम धामी ने कहा कि यह हमारे प्रदेश क ही नहीं बल्कि देश के लिए भी एतिहासिक दिन है। यूसीसी रूपी गंगा को निकालने का श्रेय देवभूमि की जानता को जाता है। आज अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है। मैं आज भावुक भी हो रहा हूं। इसी क्षण से समान नागरिक संहिता लागू हो रही है। सभी नागरिकों के अधिकार सामान हो रहे हैं।

 
सभी धर्म की महिलाओं के अधिकार भी समान हो रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भी धन्यवाद देता हूं उन्हीं के सहयोग से यह सब हो रहा है। जस्टिस प्रमोद कोहली और समिति का धन्यवाद करता हूं। विधानसभा के सभी सदस्यों का धन्यवाद है। आईटी विभाग और पुलिस गृह विभाग सबका धन्यवाद। जो हमने संकल्प लिया था। जो वादा किया था वह पूरा किया।
 

UCC के बाद बदलाव 

  • सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
  • 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
  • पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
  • पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
  • विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
  • महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
  • हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
  • कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
  • एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
  • पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
  • संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
  • जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
  • नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
  • गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
  • किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
  • कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
  • लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
  • युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
  • लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
  • लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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