Monday , 16 June 2025
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उत्तरकाशी: गांधी दर्शन, वैश्विक शांति और समावेशी विकास पर मंथन, वेबिनार में देश-विदेश से जुड़ेंग लोग

बड़कोट: राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय बड़कोट और नोबेल पीस फाउंडेशन की ओर से 2 दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। वेबीनार का विषय गांधी दर्शन वैश्विक शांति एवं समावेशी विकास पर आधारित है। दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार की मुख्य अतिथि प्रख्यात गांधीवादी कार्यकर्ता राधा बहन होंगी, जिन्होंने शराबबंदी के खिलाफ और खनन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने ग्राम स्वराज ग्राम उद्योग की संकल्पना के साथ ही उन्होंने लक्ष्मी आश्रम की स्थापना भी की है।

वे वैश्विक शांति, गांधी दर्शन एवं समावेशी विकास के पक्षधर रही हैं। जमनालाल बजाज पुरस्कार से नवाजी जा चुकी हैं। दो दिवसीय वेबीनार का आयोजन दिनांक 2 और 3 अक्टूबर को शाम 5 बजे से 8 बजे तक होगा। इस आयोजन के समन्वयक टेक्नोक्रेट दया प्रसाद गैरोला होंगे, जो तकनीकी पक्ष को संभालेंगे। इस आयोजन के विशिष्ट अतिथि कमला पंत सेवानिवृत्त उपनिदेशक विद्यालय शिक्षा उत्तराखंड सुशील उपाध्याय प्राचाय और प्रो. चमनलाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय लंढौरा हरिद्वार एवं अन्य विशिष्ट अतिथि कुसुम रावत गांधीवादी कार्यकर्ता देहरादून यह सभी विशिष्ट अतिथि और वक्ता के तौर पर 2 अक्टूबर 2021 को अपनी बात रखेंगे।

3 अक्टूबर को इस आयोजन के मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुदर्शन आएंगे। प्रख्यात गांधीवादी विचारक पूर्व कुलपति गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद संचालक, गांधी शांति पंेशन जलगांव महाराष्ट्र। इस आयोजन की अध्यक्षता मोहन सिंह रावत गांववासी सामाजिक कार्यकर्ता पौड़ी गढ़वाल करेंगेे। मुख्य वक्ता राजीव नयन बहुगुणा सामाजिक कार्यकर्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार भी अपनी बात रखेंगे। डॉ. गिरजा पांडे निदेशक क्षेत्रीय सेवाएं उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी और विशिष्ट अतिथि डॉ. विजय शंकर शुक्ल पूर्व संयुक्त निदेशक उत्तराखंड ग्रामीण विकास संस्थान एवं विशिष्ट अतिथि डॉ योगेश धस्माना इतिहासकार देहरादून इस विषय पर गहन चर्चा करेंगे।

राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय बड़कोट के तत्वावधान में 2 अक्टूबर एवं 3 अक्टूबर 2021 को दो दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुरान की पहली एवं दूसरी लहर ने वायरस की दस्तक थी। कोरोना की दूसरी लहर ने जिस तरह खलबली मचाई। और ग्लोबल स्तर पर चिंता जाहिर की गई, वह चिंता का विषय है। एक वायरस ने इटली स्पेन इंग्लैंड पुर्तगाल जैसे यूरोपीय देश को चिंता में डाल दिया। वहीं, चीन, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे अन्य देश भी प्रभावित रहे।

उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में वायरस की दस्तक चिंताजनक थी और वहीं, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में वायरस का असर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं था स्थानीय बाशिंदों की जबरदस्त रही है और के इस्तेमाल से पॉजिटिव होने के कारण भी ज्यादा प्रभावित नहीं हुए। कृषि एवं पशुपालन वाली अर्थव्यवस्था इसका आधर रही है। परिणाम स्वरूप खतरा गांधी जी हमेशा कहा करते थे कि आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्थाओं को बचा सकते हैं। गांधी जी ने अपने राजनीतिक विचार विभिन्न स्रोतों से लिए हेनरी डेविड थोरो जॉन रस्किन रोल वाल्डो एमरसन और लैब टॉलस्टॉय को पढ़कर उनसे प्रेरणा ली।

लियो टॉलस्टॉय नैतिकता सत्य और अहिंसा को मनुष्य के उत्थान के लिए नितांत आवश्यक बताया था गांधी जी की विचारधारा पर टॉलस्टॉय की पुस्तक द किंगडम ऑफ गॉड इज विधु का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा था इस पुस्तक में लेखक ने हिंसा की महत्ता को दर्शाया था और संदेश दिया। अन्याय हिंसा का प्रतिकार अहिंसा से और पशु बल का सामना नैतिक बल से करना चाहिए। गांधीजी ने सादगी भरा नैतिकता पूर्ण जीवन निर्वाह करने की प्रेरणा भी टॉलस्टॉय से ली। ब्रह्मचर्य का सिद्धांत भी उन्होंने टॉलस्टॉय से लिया था।

गांधी जी के जीवन दर्शन पर पाश्चात्य चिंतकों इमर्शन थारो एवं टॉलस्टॉय का व्यापक प्रभाव था। हेनरी डेविड थोरो को अमेरिका में दास प्रथा के उन्मूलन की वैचारिक पृष्ठभूमि तैयार करने का श्रेय दिया जाता है। गांधी जी की विचारधारा के दर्शन का प्रभाव था। अन्याय के विरुद्ध शांतिपूर्ण विरोध की रणनीति का विकास करने में गांधी ने चोरों के सिद्धांतों को अपनाया गांधी की शिक्षा का उद्देश्य किताबी ज्ञान नहीं अपितु अपने कर्तव्यों का बोध कराना है।

दक्षिण अफ्रीका और लंदन में वह एमरसन क्लब के सक्रिय सदस्य रहे इंडियन ओपिनियन का प्रकाशन नटाल दक्षिण अफ्रीका में 1903 को इस पत्र का प्रकाशन आरंभ हुआ जो, सरकार की दमनकारी एवं रंगभेद नीति को उजागर करने का काम करता था। इसी सिद्धांत को आत्मसात करते हुए गांधी जी ने ग्राम विकास, ग्राम स्वराज विषयक विचार रखे के जीवन दर्शन का खासा प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा। 1910 में उन्होंने ट्रांसफार्म की स्थापना की गीता की निष्काम कर्म तथा गांधी जी के विचारों तथा उनके जीवन पर गहरा प्रभाव था गांधीजी अहिंसा नैतिक ब्रह्मचर्य ग्राम विकास, राज ग्राम स्वराज विषयक विचार टॉलस्टॉय के विचारों का प्रभाव था।

वैश्विक शांति के संदर्भ में जान पड़ता है कि वैश्विक स्तर पर व्याप्त हिंसा उन्माद सांप्रदायिकता मतभेद बेरोजगारी महंगाई तथा तनावपूर्ण वातावरण में बार-बार यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि गांधी के सत्य और अहिंसा पर आधारित दर्शन और विचारों की आज कितनी प्रासंगिकता एवं उपाय बता महसूस की जा रही है। आर्थिक मंदी भूख गरीबी निर्धनता बेरोजगारी और नफरत जैसे तमाम हालात में उलझता जा रहा है। दुनिया को न केवल गांधी के दर्शन याद आ रहे हैं। बल्कि गांधी दर्शन को आत्मसात करने की नितांत आवश्यकता भी बड़ी शिद्दत के साथ महसूस की जाने लगी है।

अमेरिका पर 9/11 के आतंकवादी हमले में दुनिया की राजनीति का रुख ही बदल कर रख दिया। 9/11 के आतंकी आक्रमण के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वितीय ने कुछ ऐसा ही किया कि अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के को अमेरिकी स्वाभिमान पर हमला मांनते हुए राष्ट्रपति बुश ने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर डाली थी। जाहिर है शांतिप्रिय संसार की मनोकामना करने वाले विश्व के अधिकांश देश अमेरिका पर आए संकट के अवसर की इतनी इस गंभीरता को समझते हुए राष्ट्रपति बुश ने अपने आवास पर अमेरिका के साथ हो लिए परंतु दुनिया के शांतिप्रिय देशों द्वारा अमेरिका का साथ दिए जाने का मकसद आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की राष्ट्रपति बुश की घोषणा का समर्थन करता था।

आतंकवाद से पीड़ित एवं प्रभावित कई देश दर्शन यो चाहते थे कि केवल आतंकवाद के विरुद्ध अमेरिकी नेतृत्व में एक विश्वव्यापी निर्णायक जंग लड़ी जाए अफगानिस्तान इराक इजराइल फिलिस्तीन में हिंसा आज भी जारी है और अलकायदा जैसे आतंकी संगठन पहले से और मजबूत हुए हैं। अमेरिकी राजनीति में आए इस क्रांतिकारी परिवर्तन के पीछे आकर 11 श्वेता महाबली सर्वशक्तिमान तथा ऐसी और न जाने कितने उपाधियों से पुकारे जाने वाली अमेरिका की जनता आखिर जॉर्ज बुश की तथाकथित आतंकवाद विरोधी युद्ध से उठकर शांति की बात करने वाले ओबामा के समर्थन में एक मौत हो गई।

किसी ऐतिहासिक परिवर्तन ने एक बार फिर इस प्रश्न अर्थ राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित करने की आवश्यकता है कहीं आज के हिंसा पूर्ण वातावरण में महात्मा गांधी के आदर्शों की प्रासंगिकता तो महसूस नहीं की जा सकती जा रही है जहां तक ओबामा का प्रश्न है। कि ओबामा का जीवन महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित रहा है राष्ट्रपति चुनाव के समय ओबामा ने अपने शरीर कार्यालय में महात्मा गांधी की वह तस्वीर लगा रखी थी, जिसमें गांधी शांति का संदेश देते हुए नजर आ रहे हैं विभिन्न लेखकों और उनके लेखन में गांधी जी के शक्ति प्राप्त करने अथवा 19 और 20 के दौरान राष्ट्रीय नेतृत्व का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया को बड़े विस्तार से समझाया गया है।

इनमें सदैव इस बात पर बल दिया गया कि और सर्वाेच्च स्तर के अत्यंत कुशल राजनीतिक खेल से अधिक कुछ नहीं ऐतिहासिक दृष्टिकोण को देखें तो जान पड़ता है कि 1919 और 20 में उस्मानिया साम्राज्य पर संधि की कड़ी शर्तें लादे जाने की अफवाह तेजी से सत्य होती जा रही थी। तब खिलाफ आग तेजी से जोर पकड़ता जा रहा था। इसकी तीन मुख्य मांगे थे, जिन्हें मोहम्मद अली ने पेरिस में राजनीति के सामने रखा था। यह थी मुसलमानों के पवित्र स्थानों पर तुर्की के सुल्तान खलीफा का नियंत्रण रहे खलीफा के अधीन इतना भूभाग रहे कि वह इस्लाम की रक्षा कर सकें और जो जजीरतुल अरब, सीरिया, फिलिस्तीन, इराक पर मुसलमानों की संप्रभुता बनी रहे इतिहास स्वयं को दोहराता है कि इस्लामिक स्टेट को बनाने का अभिक्रम उक्त संगठनों की ओर से कोशिश की गई गांधी जी हिंदूःमुस्लिम एकता के हमेशा पैरोकार रहे।

गांधीजी ने आजीवन रचनात्मक कार्य पर ध्यान केंद्रित किया इसके अंतर्गत बाढ़ इत्यादि संकट के काल में प्रभावी राहत कार्य राष्ट्रीय विद्यालयों का संचालन खादी एवं अन्य ग्रामीण हस्तकला को बढ़ावा देना शराब विरोधी प्रचार और निम्न जातियों एवं अछूत के बीच समाज कार्य सम्मिलित थे। आज भी इस तमाम गांधीवादी कार्यकर्ता उक्त गतिविधियों के निष्पादन में रहे गांधीजी मानते थे कि स्वराज्य के बाद लोगों को कोई नया शब्द नया विचार चाहिए। सर्वाेदय की संकल्पना है कि सर्व का उदय। मेरे अकेले का ही नहीं सबका जब तक सर्वाेदय नहीं होता, तब तक शोषण कायम रहता है। स्वराज्य को यथार्थ बनाने के लिए सर्वाेदय की आवश्यकता है। यही समावेशी विकास है विभिन्न पदों संप्रदायों वर्गों में जातियों के बीच इकाई स्थापित करना रहेगा।

प्राचार्य राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय बड़कोट उत्तरकाशी डॉक्टर ए के तिवारी जी ने कहा कि 21 वीं शताब्दी के दौर में कोविड-19 से आम जनमानस दुखी रहा हाल में अफगानिस्तान के अंदर तालिबान की हुकूमत बनी जो वैश्विक शांति के लिए एक खतरा साबित हो सकता है अतः गांधी दर्शन वैश्विक शांति एवं समावेशी विकास को रेखांकित किया जा सके दो दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय विभिन्न आर के विभिन्न प्रवक्ता गण अपनी सार्थक बातचीत करेंगे जिनमें गांधीवादी कार्यकर्ता राधा बहन डॉ विजय शंकर शुक्ला प्रोफेसर मोहन का गौतम डॉ गिरजा पांडे शिवपाल सिंह यादव कुसुम रावत डॉक्टर सुशील उपाध्याय आदि तमाम वक्ता गण अपनी बातचीत करेंगे। गांधी दर्शन वैश्विक शांति एवं समावेशी विकास विषय पर गहन चर्चा करेंग,े ताकि उक्त विषय पर आधारित व्याख्यान एक दस्तावेज का प्रकाशन हो सके।

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के दौरान इस आयोजन में मुख्य संरक्षक माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, संरक्षक प्रो. पीपी ध्यानी कुलपति श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, संरक्षक डॉ. पीके पाठक निदेशक उच्च शिक्षा और संरक्षक डॉ. एके तिवारी प्राचार्य राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय बड़कोट उत्तरकाशी मौजूद रहेंगे। प्रो. मोहन कांत गौतम, मानवशास्त्री एवं भाषाविद रहे हैं, जबकि आयोजन सचिव की जिम्मेदारी डॉ. विजय बहुगुणा, असिस्टेंट प्रोफेसर इतिहास निभाएंगे।इस आयोजन के सचिव नेत्रपाल सिंह यादव ,फोर्ड फाउंडेशन फेलो होंगे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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