Friday , 22 November 2024
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45 साल बाद घर लौटे दादा, दादी को आया गुस्सा, उम्मीद थी कि जिंदा होंगे

उत्तरकाशी: कोरोना महामारी जहां लोगों की जान की दुश्मन बनी है। कोरोना से मौतों को आंकड़ा पूरी दुनिया में लाखों पहुंच गया है। भारत में भी मौतों का सिलसिला जारी है। कोरोना जान तो ले रही है। लेकिन, लाॅकडाउन के दौरान अपनों से सालों से दूर और बिसरे लोग वापस लौट आए हैं। ऐसे ही एक बुजुर्ग चिन्यालीसौड़ जेष्ठवाड़ी गांव में 45 सालों बाद लौट आए। फिलहाल उनको क्वारंटीन किया गया है।

बुजुर्ग लौट आए
बुजुर्ग लौट तो जरूर आए, लेकिन उनके आने से दादी को गुस्सा आ गया। नाती-पोतों को खुशी जैसा एहसास भी नहीं हुआ। परिवार ने उनको 45 सालों से ना तो देखा और ना उनके बारे में कभी चर्चा हुई। इसके चलते उनका उनसे कोई भावनात्मक लगाव भी नहीं रहा। उनकी उम्र लगभग 84 साल हो चुकी है। जितने साल वो घर से दूर रहे। उससे ज्यादा उनके बेटों की उम्र हो चुकी है। उनकी पत्नी ने उनको बड़ी कठिनाइयों से पाला।

दादी गुस्सा हो गई
वृद्ध ने बताया कि वह ब्यास (जालंधर) के एक गुरुद्वारे में रह रहा था। लॉकडाउन के चलते गुरुद्वारा बंद होने पर वह सोलन (हिमाचल प्रदेश) पहुंच गया। वहां से प्रशासन ने उसे उत्तरकाशी भेजने की व्यवस्था की। उनके नाती ने बताया कि दादी को जब यह बात पता चली तो वो गुस्सा हो गई। उनका गुस्सा होना स्वाभाविक था। मुश्किल समय में वह दादी को छोड़कर चले गए और इतने सालों तक कोई खबर तक नहीं दी। अजय कहते हैं कि दादा से उनका खून का रिश्ता तो है, लेकिन भावनात्मक लगाव कतई नहीं रहा।

दादा घर छोड़कर चले गए थे
ग्राम पंचायत जेष्ठवाड़ी के प्रधान अजय चैहान ने बताया कि उनके दादा सूरत सिंह चैहान तब घर छोड़कर कहीं चले गए थे, जब उनके पिता कल्याण सिंह की उम्र महज ढाई साल और ताऊ त्रेपन सिंह की उम्र पांच साल थी। आज उनके पिता की उम्र 47 वर्ष है। बताया कि वर्षों तक काफी ढूंढ-खोज के बाद भी दादा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। लेकिन, शुक्रवार को उनके पास तहसीलदार का फोन आया कि उनके दादा जिंदा हैं और सोलन से रविवार को उत्तरकाशी पहुंच रहे हैं।

उनकी एक बेटी भी थी
वृद्ध ने बताया कि उनकी एक बेटी भी थी, जो दोनों बेटों से बड़ी थी। उन्हें गांव का सेठ कहा जाता था। दुर्भाग्य से उनके माता-पिता के साथ ही बेटी की भी मौत हुई। पत्नी व बेटों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वृद्ध के बेटे कल्याण सिंह ने बताया कि उनका गांव में घराट भी था, जिसे सेठों का घराट नाम से जाना जाता था। उनकी बड़ी बहन की मौत ढाई-तीन साल की उम्र में ही हो गई थी।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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