Tuesday , 21 October 2025
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नियमों की अनदेखी, अब मुफ्त में देनी पड़ रही सूचना! बड़ा सवाल उत्तरकाशी जिला सूचना कार्यालय क्यों कर रहा आनाकानी?

उत्तरकाशी: सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत सूचना मांगने वाली एक महिला को उत्तरकाशी के प्रथम अपीलीय अधिकारी ने राहत दी है। अधिकारी ने लोक सूचना अधिकारी/जिला सूचना अधिकारी, उत्तरकाशी को निर्देश दिया है कि वे महिला को मांगी गई सभी जानकारी एक सप्ताह के भीतर निःशुल्क उपलब्ध कराएं।

यह आदेश अपीलकर्ता साधना डोभाल द्वारा दायर की गई अपील के बाद आया, जिन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें 30 दिनों के भीतर कोई जानकारी नहीं दी गई, जबकि उन्होंने आरटीआई आवेदन के साथ शुल्क भी संलग्न किया था। यह पूरा मामला सूचना के अधिकार अधिनियम के नियमों के उल्लंघन और पारदर्शिता की कमी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

क्या है पूरा मामला?

देहरादून की निवासी साधना डोभाल ने 8 मई, 2025 को एक RTI आवेदन के माध्यम से उत्तरकाशी के जिला सूचना कार्यालय से 14 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। उन्होंने आवेदन के साथ 10 रुपये का शुल्क और 200 रुपये के पोस्टल ऑर्डर भी संलग्न किए थे।

नियमों के अनुसार, लोक सूचना अधिकारी को 30 दिनों के भीतर जवाब देना होता है। लेकिन, डोभाल को कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने प्रथम अपीलीय अधिकारी/अपर जिलाधिकारी, उत्तरकाशी के समक्ष अपील दायर की।

अपीलीय अधिकारी के सामने क्या हुआ?

प्रथम अपीलीय अधिकारी ने सुनवाई के लिए 21 जुलाई और 4 अगस्त, 2025 की तारीखें तय कीं। अपीलकर्ता डोभाल व्यक्तिगत कारणों से उपस्थित नहीं हो सकीं, लेकिन उन्होंने लिखित में अपनी शिकायत दर्ज कराई।

दूसरी ओर, लोक सूचना अधिकारी/जिला सूचना अधिकारी, उत्तरकाशी उपस्थित हुए और अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि उन्होंने 29 मई, 2025 को ही डोभाल को एक पत्र भेजा था, जिसमें 532 पृष्ठों की जानकारी के लिए 1074 रुपये का अतिरिक्त शुल्क (10 रुपये आरटीआई शुल्क और 2 रुपये प्रति पृष्ठ की दर से 1064 रुपये) जमा करने को कहा गया था। उन्होंने यह भी कहा कि डोभाल द्वारा भेजे गए 200 रुपये के पोस्टल ऑर्डर को कुल राशि में से घटाकर शेष 874 रुपये मांगे गए थे।

नियमों का उल्लंघन और लापरवाही के आरोप

प्रथम अपीलीय अधिकारी ने दोनों पक्षों के दस्तावेजों की गहन जाँच की। जाँच में यह पाया गया कि लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआई अधिनियम, 2005 के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन किया है:

विलंब से जवाब

सूचना अनुरोध 8 मई, 2025 को प्राप्त हुआ, लेकिन शुल्क जमा करने का पत्र 29 मई, 2025 को भेजा गया, जो 22 दिनों बाद था। नियमानुसार, अतिरिक्त शुल्क के बारे में सात दिनों के भीतर सूचित करना चाहिए था।

आंशिक सूचना नहीं दी गई

अपीलकर्ता ने 200 रुपये का शुल्क पहले ही जमा कर दिया था। इस राशि के बदले में, लोक सूचना अधिकारी कम से कम आंशिक जानकारी दे सकते थे, जैसा कि 14 बिंदुओं में से 8 बिंदुओं में किया जा सकता था।

पारदर्शिता की कमी

अधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि अतिरिक्त शुल्क मांगने में इतना विलंब क्यों हुआ।

सवाल, क्या छिपाना चाहते थे अधिकारी?

अपीलीय अधिकारी के फैसले ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है: आखिर जिला सूचना अधिकारी ने निर्धारित नियमों के अनुरूप सूचना क्यों नहीं दी? क्या वे जानबूझकर नियमों का उल्लंघन कर रहे थे?

एक नागरिक को उसके अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के लिए इतना परेशान क्यों किया गया? क्या कुछ ऐसा था जिसे वे छिपाना चाहते थे? 532 पृष्ठों की जानकारी में क्या था कि उसे देने में इतनी आनाकानी की गई?

यह मामला सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगाता है। यह दर्शाता है कि आम नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों का उपयोग करने में भी कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

निःशुल्क जानकारी देने का आदेश

अपीलीय अधिकारी, अपर जिलाधिकारी मुक्ता मिश्र, ने इस पूरे मामले में लोक सूचना अधिकारी को दोषी पाया। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि लोक सूचना अधिकारी ने निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं किया और न ही आंशिक जानकारी उपलब्ध कराई।

इसीलिए, उन्होंने अपील स्वीकार करते हुए लोक सूचना अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे एक सप्ताह के भीतर साधना डोभाल को उनके आवेदन में मांगी गई समस्त जानकारी निःशुल्क प्रदान करें।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
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