बड़कोट: राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय बड़कोट, (उत्तरकाशी) की ओर से ‘हिंदी दिवस‘ के अवसर पर हिंदी भाषा: वर्तमान स्थिति संभावनाएं और चुनौतियां विषय एक दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें देश के साथ ही विदेश से भी साहित्यकार जुड़े। आयोजन के मुख्य संरक्षक उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. पीके पाठक और संरक्षक राजकीय महाविद्यालय बड़कोट के प्रचार्य संरक्षक डॉ एके तिवारी यह गोष्ठि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी की अध्यक्षता में हुई।
मुख्य अतिथि प्रो. मोहन कांत गौतम (मानव शास्त्री एवं भाषा वैज्ञानिक) नीदरलैंड शामिल रहे। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सविता मोहन (पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा), प्रमुख वक्ता और विशिष्ट अतिथि डॉ. नंदकिशोर हटवाल, डॉ. आरपी भट्ट (इंडोलॉजिस्ट हैम्बर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी), डॉ. सुशील उपाध्याय प्राचार्य एवं प्रोफेसर, (चमनलाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय लंढौरा हरिद्वार), नेत्रपाल सिंह यादव (फोर्ड फाउंडेशन फेलो देहरादून), एपिन चौहान असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग (राजकीय महाविद्यालय चौखुटिया, अल्मोड़ा) और कार्यक्रम के संयोजक डॉ. विजय बहुगुणा असिस्टेंट प्रोफेसर (विभागाध्यक्ष इतिहास), आयोजक सचिव दया प्रसाद गैरोला असिस्टेंट प्रोफेसर (विभागाध्यक्ष हिंदी) समन्वयक डॉ. डीएस मेहरा एसोसिएट प्रोफेसर (विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान) थे। आयोजन समिति में डॉ. पुष्पांजलि आर्या, प्रोफेसर युवराज शर्मा, डॉ विमल प्रकाश बहुगुणा, डॉ बी.एल. थपलियाल, डॉ. संगीता रावत, डॉ. विनय शर्मा, डॉ दिनेश शाह, डॉ. अर्चना कुकरेती तथा तकनीकी समिति में अखिलेश नेगी एवं राहुल राणा थे। वेबिनार नियत
इस आयोजन को सफल, सार्थक, आकर्षक, और मूल्यवान बनाने हेतु शिक्षा, साहित्य और वांग्मय तथा अन्य विषयों से संबंधित प्रतिबद्ध वक्ताओं ने महती भूमिका निभाई। कार्यक्रम के संरक्षक और प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय बड़कोट के उद्बोधन से इस ऑनलाइन पटल के व्याख्यान क्रम का आरंभ हुआ। डॉ. सविता मोहन (पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड) ने किया उन्होंने अपने ज्ञानवर्धक व्याख्यान से मंच को लाभान्वित किया। उसके बाद मानव शास्त्री एवं भाषा वैज्ञानिक प्रोफेसर मोहन कांत गौतम (नीदरलैंड्स) के सारगर्भित आख्यान से वेबिनार को नूतन दृष्टि प्राप्त हुई। उनके आख्यान में हिंदी भाषा की व्यापकता को लेकर अन्य शास्त्रों से हिंदी के अंतर संदर्भ की विशद विवेचना की गई। उन्होंने हिंदी भाषा के मानव शास्त्र का तुलनात्मक पक्ष के बारे में भी बताया।
डॉ. आरपी भट्ट ने हिंदी की भाषिक दृष्टि, व्याकरण की जटिलता, और शब्दकोश संबंधी बहुमूल्य मंतव्य पटल पर रखे। डॉ. सुशील उपाध्याय के द्वारा प्रवाहपूरित व्याख्यान सभी श्रोताओं और प्रतिभागियों के लिए सुखद था। उन्होंने अपने सारगर्भित व्याख्यान में हिंदी की अद्यतन समस्याओं को रेखांकित किया। हिंदी को समृद्ध बनाने के पक्ष में उनके विचार बड़े प्रासंगिक रहे। संगोष्ठी को नए भावों बोधों से संपृक्त करते हुए नेत्रपाल सिंह यादव ने बहुमूल्य शंकाओं और सुझाव को साझा किया। इसके पश्चात एपिन सिंह चौहान ने हिंदी भाषा की ऐतिहासिक पीठिका के प्रत्यावलोकन में प्रमुख समस्याओं को चिह्नहित किया।
उन्होंने हिंदी भाषा की चुनौतियों और संभावनाओं की तथ्यपरक सूचना मंच से साझा की इस संगोष्ठी के सर्वप्रिय व्यक्तित्व एवं सुप्रसिद्ध बहुव्यक्ति हिंदी कवि, साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कार्यक्रम के समापन समय के अवसर पर हिंदी भाषा के वैश्विक परिदृश्य पर सूक्ष्मता से प्रकाश डाला। हिंदी को किस प्रकार से मजबूत किया जाए इस समर्थन में महत्वपूर्ण निष्कर्षों से संगोष्ठी को लाभान्वित किया। उनके संबोधन ने संपूर्ण बेविनार की न केवल सार्थकता सिद्ध की अपितु इनकी गरिमामई उपस्थिति से इस संगोष्ठी को संरचनात्मक आयाम मिला।
इस पूरे आयोजन में संवाद संप्रेषण एवं संचालन का कार्य आयोजक सचिव श्री दया प्रसाद गैरोला ने किया अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एके तिवारी जी के द्वारा इस सफल आयोजन हेतु सभी विद्वान गणों की सराहना की गई एवं उनके बहुमूल्य सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया वस्तुतरू यह ऑनलाइन संगोष्ठी अपने ज्ञानवर्धक, मूल्यवान, अनुकरणीय और प्रासंगिक रही।