Thursday , 19 June 2025
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‘जय हो’ के इस अभियान की हुई जय-जयकार, 111 दिनों तक बना ‘बेजुबानों’ का सहारा

बड़कोट : नगर पालिका परिषद क्षेत्र में लाॅक डाउन प्रथम से लेकर 111 दिनों तक सामाजिक चेतना की बुलन्द आवाज ‘जय हो’ ग्रुप के स्वयंसेवियों ने बेजुबान जानवरों को रोटी दान मांगकर खिलाने का काम किया। ग्रुप ने नगर के सभी रोटी दानदाताओं का आभार जताते हुए मौहल्लों में जाकर आवारा बेजुबान जानवरों को रोटी या घर में बचा हुआ भोजन देने का आहवान किया। ग्रुप की इस मुहीम के बाद लोग मदद की लिए आगे आ रहे हैं।

जय हो ग्रुप ने पेश की मिसाल

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19 ) के चलते देश में हुए लाॅक डाउन के दौरान बाजार सहित आम लोग अपने घरों में कैद हो गयें थे। सड़को और गलियों में घूमने वाले इन बेजुबान जानवरों की कोई सुध लेने वाला नही था , ऐसे मेे जय हो ग्रुप के युवा बेसहारा जानवरों के सहारा बन नई मिसाल पेश की, जानवरों के लिए घर घर से रोटी दान मांगकर खिलाना और उनकी देखभाल करना ग्रुप का दिनचर्या में शामिल रहा। जय हो ग्रुप ने 27 मार्च से 15 जुलाई तक 111 दिनों तक नगर के 35 से अधिक कुत्तों और 25 से अधिक गाय, बैल, खच्चर को दर्जनों घरों से मिलने वाली रोटी या बचा हुआ भोजन मांगकर खिलाने का काम किया। जय हो ग्रुप का उद्देश्य ‘कोई भूखा न रहे’ को लेकर आम लोगों के बीच जन जागरूकता फैलाना भी था ।

बेजुबानों के लिए अन्न दान मांगा

नगर के वार्ड-6, वार्ड-5, वार्ड-4 और वार्ड-3 के नगर वासियों ने बढ़-चढ़ कर महामारी के दौर में बेजुबान जानवरों के लिए रोटी या अन्य भोज्य पदार्थ दान करने का काम किया। जय हो ग्रुप के संयोजक सुनील थपलियाल और संरक्षक रणवीर सिंह रावत ने बताया कि जय हो ग्रुप ने नगर पालिका ही नहीं पुरे यमुनाघाटी में अन्न दान मांगकर भुखे व जरूरतमन्द लोगों तक राशन पहुंचाने का कार्य किया , लाॅक डाउन में बीमार लोगों के लिए जीवन रक्षक दवाईयों को उनके घरों तक पहुचाया, जिनके घरों में भोजन बनाने की व्यवस्था नही थी उनके घरों तक भोजन बनाकर टिफिन में भोजन पहुचानें का काम किया।

111 दिनों तक अभियान

उन्होने बताया कि महामारी से भयभीत मजदूरों को उनके गृह जनपद व प्रदेश भेजने के लिए प्रशासन की मद्द से अनुमति पत्र बनवाकर, वाहन मालिकों से कम से कम किरायें पर यूपी, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल सहित उत्तराखण्ड के अन्य जनपदों में भेजा गया। बाजार में गाय और कुत्तों को दिवारों पर पोस्टर व जमीन पर पड़े गत्तों को खाते देख रोटी दान मांगने सहित चारा मांगने का निर्णय लिया गया और 27 मार्च से 15 जुलाई तक 111 दिनों तक ग्रुप के स्वयंसेवियों ने उम्दा तरीके से सभी बेजुबान जानवरों को घर-घर घुमकर रोटी एकत्र कर खिलाने का शानदार काम किया।

ये हैं ‘जय हो’ के स्वयंसेवी

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण हुए लाॅकडाउन और अब अनलाक में कार्य करने वालों स्वंयेसवियों में सुशील पीटर, प्रदीप सिंह उर्फ मस्तराम, सुनील थपलियाल, मोहित अग्रवाल, महिताब धनाई, विनोद नौटियाल, आषिश पंवार, रणवीर सिंह रावत, उत्तम रावत, रविन्द्र रावत, अमर शाह, जय सिंह, अजय सिंह रावत, मदन पैन्यूली, भगवती रतुड़ी, आषिश काला, प्रवेश रावत, प्रदीप विष्ट, जय प्रकाश बहुगुणा, शान्ति रतुड़ी, राम प्रसाद विजल्वाण, रोशन राणा, नितिन चौहान, मनमोहन सिंह चौहान, सुमन रावत, मनवीर रावत, नवीन जगुड़ी, गिरीश चौहान, अमित रावत, दीपक राणा, रजत अग्रवाल, अंकित असवाल, दिनेश रावत, प्रदीप जैन, मुकेश राणा, त्रिलोक राणा, संजय पंवार और अनिल रावत समेत अन्य लोगों ने इस अभियान में हिस्सा लिया।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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