Friday , 22 November 2024
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उत्तरकाशी: ‘रवांल्टी कविता विशेषांक’ का विमोचन, लोकभाषा को बचाने पर किया चिंतन

नौगांव: यमुना वैली पब्लिक स्कूल में हिमांतर प्रकाशन से प्रकाशित रवांल्टी कविता विशेषांक का विमोचन और सम्मान समारोह आयोजित किया गया। देश के ख्यातिलब्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा को वाल्मीकीय रामायण का रवांल्टी में संक्षिप्त अनुवाद करने के लिए सम्मानित किया गया। इस दौरान गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।

इस मौके पर महावीर रवांल्टा ने कहा कि अपनी भाषा को बचाने के लिए हमें और अधिक गंभीर और सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने रवांल्टी में कविता लेखन करने वाले युवाओं को प्रेरित करने के साथ यह संदेश भी दिया कि वे गंभीरता से लेखन करें। साथ ही यह भी कहा कि लेखन तभी अच्छा होगा, जब अध्ययन गहन होगा। इस दौरान महावीर रवांल्टा ने अपने प्रेरक संस्मरण भी सुनाए।

जय प्रकाश सेमवाल ने कहा कि अपनी भाषा पर सबको गौरव होना चाहिए। अपनी लोकभाषा हमें अपनों से जोड़ने का काम करती है। डॉ. वीरेंद्र चंद ने कहा कि हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि हम अपनी रवांल्टी भाषा को अपने बच्चों को कैसे सिखाएंगे।

ध्यान सिंह रावत ‘ध्यानी’ ने कहा कि रवांल्टी भाषा के संवर्धन को लेकर महावीर रवांल्टा ने जो सपना देखा था, वह अब साकार होता नजर आ रहा है। रवांल्टी भाषा में साहित्य रचने की जो यात्रा शुरू हुई है, वह और तेजी से आगे बढ़ रही है।

 

समाजिक सरोकारों के लिए समर्पित श्वेता बंधानी ने कहा कि आज हमारी लोक भाषा अपनी अलग पहचान बना रही है। इसके लिए साहित्यकारों के साथ ही समाज को भी अपनी भागीदारी तय करनी होगी। साहित्यकार जो भी सृजन करते हैं। उसको लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी समाज की है।

पत्रकार और रंगकर्मी तिलक रमोला ने रवांल्टी गीतों के नाम पर अन्य भाषाओं को थोपे जाने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि रवांल्टी गीतों के नाम पर कुछ भी गा दिया जा रहा है और लोग उसे स्वीकार भी कर रहे हैं। एसे में नई पीढ़ी अपनी भाषा को कैसे सीख पाएगी।

मंच संचालन कर रहे शिक्षक और साहित्यकार दिनेश रावत ने कहा कि रवांल्टी के लिए आज जिस तरह का उत्साह देखा जा रहा है, वह हमें ऊर्जा देता है। लेकिन, इसके साथ कुछ निरसता और निष्क्रियता नजर आती है, जो चिंता की बात है। उन्होंने भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए हिमांतर के प्रयासों की सराहना की। हिमांतर प्रकाशन लगातार रवांल्टी के संवर्धन में अहम भूमिका निभा रही है।

प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’ ने भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पण भाव से काम करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि जब भी कोई सामूहिक प्रयास हों, उसमें सभी को बराबर की भागीदारी निभानी होगी। लोकभाषा के लिए काम करना किसी तपस्या से कम नहीं है। शशि मोहन रवांल्टा ने सभी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि अपनी भाषा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।

 

इस मौके पर कुलवंती रावत, ललीता रावत, अनिल बेसारी, अनोज ‘बनाली’, राजुली बत्रा, केशव रावत, डॉ. जय प्रकाश रावत, अनुरूपा ‘अनुश्री’, नरेश नौटियाल, नवीन चौहान, धीरेन्द्र चौहान और अमन बंधानी मौजूद रहे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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