Wednesday , 16 April 2025
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सिलक्यारा-पौलगांव टनल का 16 को होगा फाइनल ब्रेकथ्रू, CM धामी और केंद्रीय मंत्री रहेंगे मौजूद!

उत्तरकाशी : यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पौलगांव (बड़कोट) सुरंग एक बार फिर सुर्खियों में है। यह सुरंग, जो चारधाम सड़क परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आगामी 16 अप्रैल को अपने बहुप्रतीक्षित ब्रेकथ्रू के लिए तैयार है।  उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने सुरंग का स्थलीय निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस ऐतिहासिक क्षण को यादगार बनाने के लिए भव्य कार्यक्रम की योजना बनाई गई है, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय राज्य मंत्री के शामिल होने की संभावना है।

जिलाधिकारी डॉ. बिष्ट ने सिलक्यारा से पोलगांव तक सुरंग का विस्तृत निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के अधिकारियों और पुलिस अधीक्षक के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि ब्रेकथ्रू के दिन सभी व्यवस्थाएं सुचारू और सुरक्षित हों। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्यालना गांव में अस्थायी हेलीपैड का भी जायजा लिया, जो इस अवसर पर अतिथियों के आगमन के लिए महत्वपूर्ण होगा।

जिलाधिकारी ने कहा कि यह सुरंग न केवल यातायात को सुगम बनाएगी, बल्कि क्षेत्र के पर्यटन और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।” यह सुरंग गंगा और यमुना घाटी के बीच की दूरी को 40 किलोमीटर तक कम कर देगी, जिससे यात्रियों का समय बचेगा और क्षेत्र में व्यापार-पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

सिलक्यारा सुरंग से जुडी बड़ी बातें

सिलक्यारा-पौलगांव सुरंग, जिसकी लंबाई लगभग 4.5 किलोमीटर है, 853.79 करोड़ रुपये की लागत से बन रही है। यह सुरंग यमुनोत्री हाईवे पर स्थित है और चारधाम परियोजना के तहत हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थलों—बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री—को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका निर्माण कार्य 2018-19 में शुरू हुआ था और इसे मूल रूप से मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, कई चुनौतियों के कारण यह समयसीमा बढ़ गई।

सिलक्यारा सुरंग का नाम केवल इसके निर्माण के लिए ही नहीं, बल्कि नवंबर 2023 में हुए एक दुखद हादसे के लिए भी जाना जाता है। 12 नवंबर 2023 को दीपावली के दिन सुबह लगभग 5:30 बजे, सुरंग के सिलक्यारा छोर पर भूस्खलन के कारण मलबा गिर गया, जिससे इसका लगभग 60 मीटर का हिस्सा ढह गया। इस हादसे में 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए थे। यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई थी, क्योंकि मजदूरों को बचाने के लिए 17 दिनों तक एक जटिल और जोखिम भरा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।

हादसा तब हुआ, जब मजदूर अपनी शिफ्ट पूरी करने के बाद बाहर निकलने की तैयारी कर रहे थे। अचानक मलबे के गिरने से सुरंग का एक हिस्सा बंद हो गया, और मजदूर अंदर फंस गए। फंसे मजदूरों में झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लोग शामिल थे। प्रशासन को हादसे की सूचना ढाई घंटे बाद मिली, जिसके बाद तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।

रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, पुलिस, फायर सर्विस और अन्य एजेंसियां शामिल थीं। मजदूरों तक पहुंचने के लिए मलबा हटाने का काम शुरू किया गया, लेकिन लगातार भूस्खलन और तकनीकी समस्याओं ने इसे चुनौतीपूर्ण बना दिया। पहले दिन ऑक्सीजन पाइप के जरिए मजदूरों को हवा और पानी की आपूर्ति की गई। बाद में, एक छह इंच की पाइपलाइन के माध्यम से चने, मुरमुरे, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान भेजा गया।

रेस्क्यू के दौरान कई रणनीतियां अपनाई गईं, जिनमें हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग, वर्टिकल ड्रिलिंग और रैट होल माइनिंग शामिल थी। ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के दौरान कई बार रुकावटें आईं, जैसे मशीन का ब्लेड टूटना और लोहे की रॉड का सामने आना। अंततः, 28 नवंबर 2023 को रैट होल माइनिंग तकनीक की मदद से सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस ऑपरेशन में शामिल रैट होल माइनर्स और अन्य बचावकर्मियों की देशभर में सराहना हुई।

इस हादसे ने सुरंग निर्माण में सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए। विशेषज्ञों ने माना कि पर्यावरणीय प्रभावों और भूगर्भीय जोखिमों का आकलन ठीक से नहीं किया गया था। इसके बाद, नेशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने देशभर में निर्माणाधीन 29 सुरंगों की सेफ्टी ऑडिट का फैसला किया। उत्तराखंड सरकार ने भी इस हादसे की समीक्षा का आदेश दिया, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

हादसे के बाद सुरंग का निर्माण दो महीने तक रुका रहा। जनवरी 2024 में केंद्र सरकार की अनुमति के बाद काम फिर से शुरू हुआ। एनएचआईडीसीएल ने इस बार अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए सुरंग की स्ट्रेंग्थनिंग और मलबा हटाने का काम पूरा किया। अब, 16 अप्रैल 2025 को यह सुरंग अपने ब्रेकथ्रू के लिए तैयार है, जो इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होगा।

 

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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