Wednesday , 4 December 2024
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उत्तराखंड VIDEO : ‘गंगा घाटी’ के किसानों को मालामाल करेगा ‘यमुना घाटी’ का “लाल चावल”

  • DM अभिषेक रूहेला की मुहीम.

  • गंगा घाटी में लाल धान का पहला प्रयोग सफल.

  • बढाया गायेगा उत्पादन का दायरा.

  • जियो टैगिंग से मिलेगा लाभ.

उत्तरकाशी: जिले की गंगा घाटी में लाल धान की खेती को बढावा देने के प्रयास पर नजर आने लगे हैं। इस मुहिम को शुरू करने के लिए जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने खुद खेतों में उतर कर ग्रामीणों के साथ जुताई व रोपाई की थी। अब फसल तैयार होने के बाद लाल धान की पैदावार के नतीजे नई उम्मीदों को जगा रहे हैं। इससे उत्साहित किसानों ने पहली उपज को बीजों के लिए सहेज कर रखते हुए अगले खरीफ के दौर में बड़े पैमाने पर लाल धान की खेती करने का इरादा जताया है। यमुना घाटी का लाल चावल अब गंगा घाटी के किसानों का मालामाल करेगा।

जिले की यमुना घाटी में परंपरागत रूप से बड़े पैमाने पर लाल धान (चरधान) की खेती की जाती है। रवांईं क्षेत्र में पुरोला ब्लॉक की कमल सिरांई व रामा सिरांई को लाल धान का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इसके साथ नौगांव व मोरी ब्लॉक के निचले इलाकों में भी लाल धान उगाया जाता है। इन इलाकों में लाल धान की सालाना उपज करीब 3000 टन है। पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर लाल चावल की रंगत और अनूठा स्वाद इसको आम चावलों की तुलना में खास और कीमती बनाता है। इसकी देश-विदेश में काफी मांग है। प्रसिद्धि और मांग में निरंतर वृद्धि तथा किसानों के फायदे को देखते हुए लाल धान का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत निरंतर महसूस की जा रही थी।

किसानों की बेहतरी की व्यापक संभावना को देखते हुए जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला की पहल पर कृषि विभाग ने पहली बार जिले की गंगा घाटी में भी लाल धान पैदा करने की योजना तैयार की थी। शुरूआती दौर में चिन्यालीसौड, डुंडा और भटवाड़ी ब्लॉक के पैंतीस गांवों के लगभग साढे चार सौ किसानों को इस प्रायोगिक मुहिम से जोड़ा गया। साठ कुंतल बीज की नर्सरी तैयार कर लगभग दो सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में लाल धान की रोपाई की गई थी।

इस इस पहल को जमीन पर उतारने के लिए खुद जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने गत 29 जून को भटवाडी ब्लॉक के उतरौं गाँव के सिमूड़ी तोक के श्सेरोंश् में जुताई व रोपाई की थी। मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी भी मातहतों के साथ धान की रोपाई करने खेतों में उतरे। अब फसलों की कटाई संपन्न होने पर यह मुहिम अंजाम तक पहुँची तो नतीजे उत्साहजनक और उम्मीदों के अनुरूप देखने को मिले हैं। वैज्ञानिक ढंग से एकत्र किए गए क्रॉप कटिंग के आंकड़ों तथा काश्तकारों की प्रतिक्रिया के आधार पर गंगा घाटी में लालधान उगाने का शुरुआती प्रयोग सफल माना जा रहा है।

इस मुहिम से जुड़े उतरौं गांव के किसान पूर्व सैनिक नरेन्द्र सिंह एवं उनकी माता श्रीमती शिव देई आदि लाल धान की पैदावार से काफी उत्साहित है। शिव देई कहती हैं कि उनके खेत में लालधान की पैदावार सामान्य धान के बराबर ही रही। लेकिन खाद व रसायनों की कम जरूरत तथा सामान्य धान की तुलना में दो से तीन गुना अधिक कीमत मिलने पर किसानों को इससे अधिक लाभ मिलना तय है।

सिमूणी के ही वीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि उनकी लाल धान की फसल तेज हवा या भारी बारिश के झोंकों में भी खड़ी रही और उपज लगभग दूसरे धान के बराबर ही रही, साथ ही इसकी पुआल पशुओं के चारे के लिए अपेक्षाकृत बेहतर मानी जा रही है। अन्य किसानों ने भी लाल धान की खेती को लाभप्रद मानते हुए इसे जारी रखने का इरादा जाहिर किया है। ज्यादातार किसानों ने अपनी पहली फसल को बीज के लिए सुरक्षित रख दिया है। इससे जाहिर होता है कि खरीफ के अगले दौर में यह मुहिम और रंग लाएगी गंगा घाटी में बड़े पैमाने पर लाल धान की फसल लहलहायेगी ।

जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने इस सफलता के लिए किसानों और कृषि विभाग के कर्मचारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि इस तरह के सार्थक व साझा प्रयास आम लोगों के जिन्दगी में बेहतर बदलाव ला सकते है। उन्होंने कहा कि लाल धान की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। श्री रूहेला ने कहा कि केन्द्र सरकार की पहल एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत उत्तरकाशी जिले के लाल धान को शामिल किया गया है। साथ ही जिओ टैगिंग के लिए भी आवेदन किया गया है। इससे जिले के लाल धान को देश-दुनिया में विशिष्ट पहचान मिलेगी और ब्रांडिंग व मार्केटिंग में लाभ मिलेगा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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