बड़कोट: एक तरफ सरकार देवभूमि को नशा मुक्त करने के दावे कर रही है। इसके लिए बाकायदा अभियान भी चलाया जा रहा है। दूसरी और शराब की दुकानों को जगह-जगह खोलने की अनुमति दी जा रही है। इसमें यह भी नहीं देखा जा रहा है कि दुकान कहां खोली जानी चाहिए, कहां नहीं? सवाल यह उठता है कि अखिर यह सब आबकारी विभाग के अधिकारी किसके कहने पर कर रहे हैं?
अब आबकारी विभाग ने नया कारनामा किया है। ऐसा कारनामा जिसके बारे में सोचकर आप देवभूमि के बारे में सोचना ही छोड़ देंगे। दरअसल, आबकारी विभाग ने यमुनोत्री धाम से करीब 17 किलोमीटर पहले शराब की दुकान खोली है, जिसका विरोध शुरू हो गया है। यह कोई पहला मामला नहीं है। देहरादून हों या फिर ऋषिकेश इस तरह की दुकानें खोली गई थी। लेकिन, लोगों के विरोध के बाद दुकानों को बंद करना पड़ा।
सवाल यह है कि आखिर यमुनोत्री धाम के अहम पड़ावों में शामिल रानाचट्टी में शराब की दुकान क्यों खोली गई। यात्रा के दौरान जिन शराब ठेकों को बंद रखा जाना चाहिए था। आबकारी विभाग उसके विपरीत काम कर रहा है।
कांग्रेस नेता विजयपाल रावत ने इससे पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि इस दुकान के खुलने से यमुनोत्री में धडल्ले से शराब बेची जा सकेगी और भक्ती में डूबे श्रद्धालुओं के साथ शराबी भी झूमते नजर आयेंगे।
चारों धामों में बद्रीनाथधाम के निकट शराब की दुकान लगभग 44 किमी दूर जोशीमठ में है, केदारनाथ धाम के निकट शराब की दुकान 62 किमी दूर अगस्तमुनि में है, गंगोत्री के निकट शराब की दुकान 60 किमी दूर भटवाड़ी में है। वहीं, यमुनोत्री धाम में अब शराब की दुकान मात्र 17 किमी की दूरी पर है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा पहले यमुनोत्री धाम में व्यवस्था के नाम पर धारा 144 लगाना फिर शराब की दुकान खोलने के इस निर्णय से आम जन मानस आहत है। सरकार और शराब माफिया के इस गठजोड़ के खिलाफ जल्दी जन आंदोलन खड़ा किया जाना जरूरी है। अन्यथा यमुनोत्री धाम की गरिमा धूमिल पड़ जायेगी।
उनका कहना है कि अगर तत्काल शराब की दुकान ना हटायी गयी तो इसके खिलाफ जन आंदोलन की रणनीति तैयार कर कांग्रेस पार्टी जन सहयोग के साथ सड़को पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर होगी।