उत्तरकाशी: उत्तराखंड में तीसरी संतान होने की वजह से दो और प्रधानों को पद से हाथ धोना पड़ेगा। इससे पहले पिछले माह टिहरी जिले के ग्राम पंचायत सेम के ग्राम प्रधान विक्रम सिंह नेगी को तीसरी संतान की वजह से पद से हटा दिया गया था। तीसरी संतान होने पर सेम गांव के ही एक ग्रामीण विकेंद्र सिंह ने इसकी शिकायत की थी।
जिसके बाद “पंचायत राज अधिनियम 2016 (यथा संशोधित-2019) की धारा 8 की उपधारा (1) द” का स्पष्ट दोषी पाए जाने पर डीएम इवा आशीष श्रीवास्तव ने 25 मार्च को ग्राम प्रधान को पद से पदमुक्त कर दिया था। अब उत्तरकाशी जनपद के दो गांवों में ग्राम प्रधान के तीन बच्चे होने का मामला सामने आया है। इस मामले में मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय से नोटिस जारी किया गया था।
उत्तरकाशी में विकासखंड नौगांव के कुथनौर गांव में ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान निर्वाचित हुई प्रधान की उस समय दो संतानें थी, लेकिन एक संतान प्रधान निर्वाचित होने के बाद हुई है। इस मामले में कुथनौर के एक ग्रामीण ने जिलाधिकारी से शिकायत की। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने मामले की जांच मुख्य विकास अधिकारी को सौंपी।
मामले की सुनवाई मंगलवार को होनी थी, लेकिन संबंधित प्रधान सुनवाई से पहले ही घर लौट गई। मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार ने बताया कि इस मामले में प्रधान की बर्खास्तगी की संस्तुति की फाइल तैयार कर जिलाधिकारी को भेजी जाएगी। इसी तरह का एक मामला मोरी ब्लाक के एक गांव का भी है। जिसकी जांच की जा रही है।गौरतलब है कि, प्रदेश में स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत के जन प्रतिनिधियों के लिए अधिकतम दो संतान की शर्त लागू है।
ये शासनादेश प्रदेश की सबसे पहली निर्वाचित एनडी तिवारी सरकार के समय यानि दो जुलाई 2002 से ही लागू है। इस शर्त के चलते ऐसे लोग प्रदेश में पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले सकते हैं, जिनकी जुलाई 2002 के बाद तीसरी संतान पैदा हुई है। वहीं चुनाव जीतने के बाद यदि किसी प्रतिनिधि की तीसरी संतान होती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
इसके साथ ही बीजेपी सरकार ने 2018 में पंचायती राज एक्ट में भी संशोधन करते हुए, इसमें न्यूनतम शिक्षा की शर्त भी लागू कर दी है। शैक्षिक योग्यता के प्रावधान में किए गए संशोधन के मुताबिक अब पंचायत प्रमुखों व सदस्यों के लिए सामान्य श्रेणी के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होनी अनिवार्य है। सामान्य श्रेणी की महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता आठवीं पास रखी गई है। ओबीसी को शैक्षिक योग्यता के मामले में सामान्य श्रेणी के अंतर्गत रखा है।