Friday , 22 November 2024
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उत्तरकाशी : बड़कोट डिग्री काॅलेज में होगा दो दिवसीय इंटरनेशनल वेबिनार, इन विषयों पर होगी चर्चा

बड़कोट : दो दिवसीय ऑनलाइन वेबीनार 28 और 29 अगस्त को राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय में दो दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया जाएगा। सेमिनार के मुख्य संरक्षक उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धर्म सिंह रावत, संरक्षक डॉ. पीके पाठक निदेशक उच्च शिक्षा एवं संरक्षक प्रोफेसर पीपी ध्यानी शिरकत करेंगे। जबकि मुख्य अतिथि के तौर पर राधा बहन वर्चुअल प्लेटफार्म पर उपस्थित होंगी।

विशेष अतिथि वक्ता के तौर पर डॉ. महेंद्र कुमार और प्रोफेसर एकलव्य शर्मा सम्मिलित होंगे। दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार पलायन, समावेशी विकास और आजीविका पर चर्चा होगी। 28 अगस्त को डॉ. महेंद्र कुंवर, संस्थापक हार्क पहाड़ी राज्य में कृषि उद्यमिता एवं आजीविका पर आधारित विषय पर बातचीत करेंगे।

जबकि निदरलैंड में मानव शास्त्री प्रोफेसर मनोहर कांत गौतम पलायन का सामाजिक जनसांख्यिकीय प्रभाव विषय पर बात रखेंगे। वर्चुअल प्लेटफार्म पर गहन चर्चा करेंगे। तृतीय सत्र में प्रसिद्ध भूगर्भ वेता डॉ. नवीन जुयाल, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित किए हैं जो समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं के इतिहास को रेखांकित करते उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का इतिहास कारण एवं परिणाम विषय पर गहन परिचर्चा करेंगे।

उन्होंने हाल ही में प्राकृतिक विपदा ऊपर आधारित शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं, वे समावेशी विकास पलायन एवं आजीविका जैसे आयाम रेखांकित करेंगे। प्रोफेसर मोहन कांत गौतम विख्यात मानव शास्त्री रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त की है। वह लंबे समय से नीदरलैंड में मानव शास्त्रीय समाजों का अध्ययन करते रहे हैं। कुलपति एवं अध्यक्ष के रूप में वे यूरोपीय विश्वविद्यालय वेस्ट एन्ड ईस्ट, नीदरलैंड से संबंध रहे हैं।

पलायन एक चिंतन के संयोजक रतन सिंह अस्वाल पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड के पलायन कारण एवं उपचार विषय पर सार्थक बातचीत करेंगे। वह लंबे समय से यमुना घाटी एवं नयार घाटी में पलायन के परिदृश्य को रेखांकित करने का प्रयास करेंगे। NDTV के वरिष्ठ पत्रकार सुशील बहुगुणा पंचेश्वर बांध एवं नैनीताल झील के खतरों एवं प्रभाव को दर्शाते हुए दो बेहतरीन डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। 28 अगस्त को वह हिमालय पहाड़ी राज्यों में समावेशी विकास को रेखांकित करने का प्रयास करेंगे।

कल्याण सिंह रावत मैती आंदोलन के संस्थापक रहे हैं। हाल ही में आजीविका के प्रश्न को रेखांकित करते हुए आए हैं। वह पर्यावरण संरक्षण में सामाजिक सहभागिता विषय पर गहन चर्चा करेंगे 28 अगस्ग को अंतिम वक्ता के तौर पर डॉ. पहलाद सिंह रावत मानस फेलो दून विश्वविद्यालय एवं शोध केंद्र देहरादून उत्तराखंड में कृषि उद्यमिता एवं आजीविका समस्याएं एवं उपचार विषय पर चर्चा करेंगे।

29 अगस्त को द्वितीय दिवस के अवसर पर दो दिवसीय ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार के पहले वक्ता एवं विशेष अतिथि प्रवक्ता के रूप में प्रोफेसर एकलव्य शर्मा कुलपति नई दिल्ली पहाड़ी राज्यों में प्राकृतिक आपदा एवं पलायन विषय पर गहन चर्चा करेंगे। प्रोफेसर एकलव्य शर्मा लंबे समय से आईसीआईएमडी से संबंध रहे हैं पहाड़ी राज्यों के समावेशी विकास एवं पलायन को समेटे हुए सार्थक पहल करेंगे।

द्वितीय सत्र में डॉ. एसपी सती एसोसिएट प्रोफेसर उत्तराखंड उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड में वन संसाधन एवं आजीविका विषय पर सार्थक पहल करेंगे वे जाने-माने भूगर्भ वेता है और हाल ही में उत्तराखंड में वनाग्नि विषय पर बेहतरीन कार्य किया है। डॉ. नेत्रपाल सिंह यादव फोर्ड फाउंडेशन फेलो देहरादून 29 अगस्त को तृतीय सत्र में सामाजिक उद्यमिता एवं समावेशी विकास पर गहन चर्चा करेंगे। वह अंजनीसैण स्थित भुवनेश्वरी महिला आश्रम से सम्बद्ध रहे हैं। उत्तरकाशी क्षेत्र में उन्होंने सामुदायिक विकास पर बेहतरीन कार्य किया है। वे 7 वर्षों से नीदरलैंड के समाज को देखा है। समावेशी विकास की संकल्पना को रेखांकित करने का प्रयास करेंगे।

अनूप नौटियाल एसडीएस फाउंडेशन देहरादून लंबे समय से हेल्थ सेक्टर एवं अपशिष्ट प्रबंधन,पर्यटन विकास एवं समावेशी विकास को रेखांकित करते हुए साथक पहल करेंगे। उनका मानना है कि अपशिष्ट प्रबंधन से आशय उस संपूर्ण संख्या से है, जिसके अंतर्गत अपशिष्ट के निर्माण से लेकर उसके संग्रहण व परिवहन के साथ प्रसंस्करण एवं निस्तारण तक की संपूर्ण प्रक्रिया को शामिल किया जाना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया रही है।

उक्त विषय पर अनूप नौटियाल पलायन समावेशी विकास एवं आजीविका विषय पर भी सार्थक चर्चा करेंगे। कल्याण सिंह रावत संस्थापक,मैती आंदोलन,चमोली लंबे समय से वृक्षारोपण एवं मैती आन्दोलन के प्रणेता रहे हैं। वे पर्यावरणीय संरक्षण में परिलक्षित सामुदायिक सहभागिता विषय पर गहन बातचीत करेंगे। कल्याण पाल, ग्रासरूट फाउंडेशन, रानीखेत आजीविका एवं पलायन विषय पर चर्चा करेंगे।श्री इंद्रेश मैखुरी, सामाजिक कार्यकर्ता, कर्णप्रयाग वे लंबे समय से समावेशी विकास एवं विकास परियोजना को रेखांकित करते हुए आये है। 29 अगस्त को वे विकास परियोजना एवं मानव अधिकार संरक्षण मुद्दे एवं चुनौतियां विषय पर अपनी बातचीत करेंगे। 29 अगस्त को अंतिम सत्र में श्री राम लाल चौहान,सेब उत्पादक,शिमला बागवानी क्षेत्र और आजीविका पर चर्चा करेंगे।

विचारात्मक स्वरूप:

राजेन्द् सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय बड़कोट में दो दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के अंतर्गत विभिन्न वक्तागण अपनी बातचीत रखेंगे। आयोजन सचिव इतिहाकार डॉ. विजय बहुगुणा,असिस्टेंट प्रोफेसर, इतिहास ने कहा कि ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के अंतर्गत पलायन, समावेशी विकास एवं आजीविका विषय पर तमाम विद्वतजन सार्थक पहल करेंगे। जान पड़ता है कि पलायन एवं विस्थापन अलग अलग आयाम हैं।

उत्तराखंड में पलायन की बात करें तो लगता है कि उत्तराखंड उत्तरकाशी, चमोली,पिथौरागढ़ की एक स्पंदनशील संस्कृति रही है,जहां की अर्थव्यवस्था कृषि एवं पशुपालन पर आधारित रही है। उक्त संस्कृति के बीज कहीं न कहीं पलायन, समावेशी विकास एवं आजीविका से जुड़े हैं। समाधान भी जौनपुर,रंवाई एवं जौनसारी समाज में मिल जाते हैं। कोरोना काल की दूसरी तरंग ने शेष उत्तराखंड को काल कवलित किया है जबकि इम्युनिटी बूस्टर तीन विशिष्ट संस्कृतियां जबरदस्त रही हैं।

इम्युनिटी कहां मिलती है? श्रम साध्य समाज हमेशा से ही इम्युनिटी बूस्टर की तुलना में बेहतर रही है।उत्तराखण्ड के तीन जिले प्राकृतिक आपदाओं से जूझते रहे हैं,उत्तरकाशी, चमोली,पिथौरागढ़ ।उत्तराखंड की तस्वीर का यह स्याह पक्ष रहा है।इन तीन जिलों के विकास को रेखांकित करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। पलायन सबसे कम यदि कहीं हुआ है तो इन तीन जिलों की आदर्श अवस्था है।जहां जीवन जीने के वस्तुगत आधार मौजूद रहेंगे। वहां पलायन न्यून रहेगा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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