Tuesday , 3 December 2024
Breaking News

उत्तराखंड: वायरल हो रहा केदारनाथ धाम का वीडियो, BKTC अध्यक्ष ने बताया इसका सच

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में सम्पादित हो रही पूजा व्यवस्थाओं को लेकर वायरल हो रहे एक वीडियो के सम्बन्ध में  बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि कुछ महिला यात्रियों का सोशियल मीडिया में वायरल हो रहा एक वीडियो जो कि वस्तुतः वर्ष 2020 यात्राकाल का है, जब वैश्विक कोरोना महामारी कोरोना चरम पर थी। तब पूजा/दर्शन के लिए एसओपी जारी की गयी थी, जिसके अनुपालन में किसी भी प्रकार से मन्दिरों में जलाभिषेक, पूजाएं करना, प्रसाद चढाना, टीका आदि लगाना, मूर्तियों/घण्टियों/वस्तुओं को छूना पूर्णतः प्रतिबन्धित था। इसी एसओपी के तहत धाम में आने वाले यात्रियों को मात्र सम्बन्धित पक्षकारों द्वारा दर्शन उपलब्ध कराये जा रहे थे।

परम्परानुसार केदारनाथ मन्दिर के कपाट प्रातः काल में खुलने एवं सायं काल में कपाट बन्द होने का समय निश्चित है। इस दौरान आदिकाल से चली आ रही समस्त पूजाएं, नित्य-नियम भोग, श्रृंगार एवं धर्म दर्शन की परम्परा अनवरत जारी है। सामान्यतः प्रातः काल में मन्दिर खुलने के बाद सभी श्रद्वालुओं को दर्शन (धर्म-दर्शन) उपलब्ध कराये जाते हैं, जिसमें किसी भी प्रकार का शुल्क/फीस नहीं लिया जाता है। परम्परानुसार श्रद्वालुओं द्वारा श्री केदारनाथ मन्दिर में महाभिषेक, रूद्राभिषेक, षोडषोपचार पूजा, प्रातः कालीन पूजा, सांय कालीन आरती एवं अर्चना पाठ सम्पादित करवाने का विधान है, जो आदिकाल से चली आ रही है।

मन्दिर समिति इस व्यवस्था को इस ढंग से सम्पादित करती है कि सामान्य दर्शन (धर्म दर्शन) अनवरत रुप से अबाधित एवं परम्परा को अक्षुण रखते हुए पूजाएं (महाभिषेक, रूद्राभिषेक, षोडषोपचार पूजा, प्रातः कालीन पूजा, सांय कालीन आरती एवं अर्चना पाठ) भी सम्पादित होती रहे। इन पूजाओं के लिए निश्चित समयावधि एवं संख्या मन्दिर समिति द्वारा निर्धारित की जाती है, जो सामान्यतः रात्रि के 12ः00 बजे से 03ः00 बजे के मध्य सम्पादित की जाती हैं। ताकि सामान्य रुप से आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन में किसी भी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न न हो।

पूजाएं (महाभिषेक, रूद्राभिषेक, षोडषोपचार पूजा, प्रातः कालीन पूजा, सांय कालीन आरती एवं अर्चना पाठ) सम्पादित करवाना बाध्यकारी नहीं होती हैं, जो श्रद्धालु स्वेच्छा से पूजाएं, अर्चना एवं पाठ सम्पादित करवाना चाहते हैं, उन्हें ही प्राथमिकता दी जाती है। जिसका सम्पादन मन्दिर समिति के आचार्य एवं वेदपाठीगण करते हैं। पूजा सम्पादन के लिए श्रद्धालुओं को मन्दिर समिति द्वारा पूजार्थ द्रव्य, जलाभिषेक कलश, प्रसाद, रूद्राक्ष माला आदि दिये जाते हैं, जिसके एवज में श्रद्धालुगण समिति को सम्पादित होने वाले पूजाओं की समय अवधि को ध्यान में रखते हुए एक सहयोग राशि देते हैं।

स्वेच्छिक रुप से सम्पादित पूजाओं के उपरान्त श्रद्धालुओं द्वारा दी गयी सहयोग राशि से भगवान के नित्य नियम भोग, पूजा, प्रसाद, पूजार्थ द्रव्य, भण्डारा, चिकित्सा व्यवस्था, यात्री विश्राम गृह निर्माण एवं रख-रखाव, संस्कृत महाविद्यालयों का संचालन, विद्यालयों में अध्ययरत् छात्र-छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन आदि की व्यवस्था एवं मन्दिर समिति के पूजारी, अधिकारी, कर्मचारी, सेवाकारों को वेतन उपलब्ध कराई जाती है।

पूजा की उक्त व्यवस्था वर्ष 1939 श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति के गठन से चली आ रही है, वरन् इससे पूर्व जब रावल व्यवस्था कायम थी तब से यह परम्परा/व्यवस्था चली आ रही है, जिसकी अपनी धार्मिक मान्यता एवं परम्परा है, जिसका निर्वहन करना मन्दिर समिति के अधिनियम के तहत भी उल्लिखित है। केदारनाथ धाम में जो यात्री/श्रद्धालुगण दर्शन करते हैं, उनके द्वारा भगवान को अर्पित किये जाने वाले पूजार्थ द्रव्य वे बाजार से क्रय करते हैं। जिसका नियंत्रण समिति के अधीन नहीं रहता है।

कोरोना काल को छोड कर सामान्य स्थिति में मन्दिर में प्रवेश वाले श्रद्धालुगणों का विभिन्न पूजा/दर्शन स्थलों यथा गर्भगृह, पार्वती जी, लक्ष्मी नारायण आदि स्थानों में टीका चन्दन समिति के आचार्य, वेदपाठी गणों द्वारा मंत्रोचार के साथ किया जाता है। श्रद्धालुओं से किसी भी प्रकार की धनराशि नहीं ली जाती है। श्रद्धालु स्वेच्छा से धनराशि दान पात्रों में धनराशि अर्पित की जाती है, जिसकी निगरानी समिति के अधिकारियों/कर्मचारियों की ओर से लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से की जाती है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

Check Also

उत्तराखंड में बनेगी सड़क सुरक्षा नियमावली, हादसों के बाद ही क्यों खुलती है नींद?

देहरादून: उत्तराखंड में अक्सर हादसे होते रहते हैं। इन हादसों में हर दिन कई लोगों …

error: Content is protected !!