Tuesday , 4 February 2025
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110 साल के संत सियाराम बाबा ने त्यागी देह, चंदन की लकड़ी से होगा अंतिम संस्कार

मध्यप्रदेश में निमाड़ के संत सियाराम बाबा ने बुधवार सुबह देह त्याग दी है। वे कुछ दिनों से बीमार थे, आश्रम में ही उनका इलाज चल रहा था। रात को उनकी हालत काफी कमजोर हो रही थी और उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था। उनके निधन की खबर मिलते ही खरगोन के भट्यान स्थित आश्रम में भक्तों की भीड़ लग गई। दोपहर तीन बजे उनका डोला निकलेगा।

उनकी अंत्येष्टी के लिए सेवादारों ने चंदन की लकड़ी की व्यवस्था की है। बीते तीन दिन से आश्रम में एकत्र भक्त उनके स्वास्थ्य के लिए जाप कर रहे थे और भजन गा रहे थे। मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश के बाद डाक्टरों की टीम उनके स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखे हुए थे।

सियाराम बाबा की अंत्येष्टी बुधवार शाम को आश्रम के समीप नर्मदा नदी किनारे की जाएगी। उनके निधन की खबर के बाद बड़ी संख्या में भक्तों के आश्रम पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। सीएम मोहन यादव की बाबा के अंतिम दर्शन के लिए आएंगे। बता दें कि बाबा को निमोनिया हो गया था, लेकिन वे अस्पताल में रहने के बजाए आश्रम में रहकर अपने भक्तों से मिलना चाहते थे। इस कारण चिकित्सकों ने उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया था।

12 वर्षों तक मौन धारण किया

संत सियाराम बाबा ने नर्मदा किनारे अपने आश्रम बनाया। उनकी उम्र 110 साल बताई जाती थी। बाबा ने बारह वर्षों तक मौन भी धारण कर रखा था। जो भक्त आश्रम में उनसे मिलने आता है और ज्यादा दान देना चाहता थे तो वे इनकार कर देते थे। वे सिर्फ दस रुपये का नोट ही लेते थे। उस धनराशि का उपयोग भी वे आश्रम से जुड़े कामों में लगा देते थे।

बाबा ने नर्मदा नदी के किनारे एक पेड़ के नीचे तपस्या की थी और बारह वर्षों तक मौन रहकर अपनी साधना पूरी की थी। मौन व्रत तोड़ने के बाद उन्होंने पहला शब्द सियाराम बाबा कहा तो भक्त उन्हें उसी नाम से पुकारने लगे। हर माह हजारों भक्त उनके आश्रम में आते है।

 

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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