Friday , 22 November 2024
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उत्तरकाशी से बड़ी खबर : टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को निकाला गया, चिन्यालीसौड़ अस्पताल के लिए रवाना

उत्तरकाशी: सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचा लिया गया है। दीपावली के दिन 12 नवंबर को टनल में अचानक हुए लैंडस्लाइड के कारण वहां काम कर रहे 41 मजदूर कैद हो गए थे, जिनको बचाने के लिए पिछले 17 दिनों से लगातार दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था। अब तक सभी 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया।

आखिरकार 17 दिनों की दिन रात की मेहनत के बाद जैसे ही मजदूरों को बाहर निकल गया, सभी को एक-एक कर एंबुलेंस के जरिए चिन्यालीसौड़ सीएचसी में ले जाया गया, जहां पहले से ही सभी सुविधाएं चाक-चौबंद कर ली गई थी। विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती के साथ ही मेडिकल से जुड़ी सभी सुविधा उपलब्ध करा दी गई थी।

मजदूरों को टनल से बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ के जवान एस्केप पाइप के जरिए टनल में घुसे और फिर मजदूरों को एक-एक करके बाहर निकल गया। अच्छी बात यह रही की सभी मजदूरों की हालत फिलहाल ठीक है। उनको कुछ दिन निगरानी में रखने के बाद अगला फैसला लिया जाएगा।

टनल से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिक ऑगर मशीन को लगाया गया था। ऑगर मशीन ने अपना काम तो किया, लेकिन उसमें काफी लंब वक्त भी लग गया। जब मशीन ने हाथ खड़े कर दिए तो सेना की इंजीनियरिंग विंग के रैट माइनर्स को बुलाया गया। रैट माइनर्स ने आखिरी कुछ मीटर की दूरी को बहुत कम समय में अपने हाथों से खोदकर पाइप को आर-पार करा दिया।

मजदूरों की बाहर निकालते ही उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। टपन के भीतर ही अस्थाई अस्पताल बनाया गया। उनके लिए काले चश्मों की व्यवस्था भी की गई। कई दिनों टपल में बंद रहने के कारण उनको बाहर सन लाइन में आते ही देखते में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसको देखते हुए सभी तरह के अंतजाम किए गए।

इस रेस्क्यू अभियान में SDRF, NDRF, NHIIDCL, THDC, BRO, ONGC, RVNL और विदेशी एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स समेत वैज्ञानिकों को भी तैनात किया गया था। साथ ही PMO से लेकर उत्तराखंड सरकार के सचिव स्तर के अधिकारियों की भी तैनाती की गई थी।

यह अपनी तरह का शायद देश में पहला ऐसा रेस्क्यू अभियान है, जिसमें किसी टनल के भीतर एक साथ बड़ी संख्या में लोग फंसे हों और उनको निकालने के लिए 17 दिनों तक रेस्क्यू अभियान चलाया गया हो, जिसकी चर्चा देश के साथ ही विदेश में भी हुई। हालांकि, उत्तराखंड में टनल से जुड़ा कोई पहल हादसा नहीं है। इसी टनल में पहले भी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसके अलावा जोशीमठ, तपोवन और रैणी हादसा भी शामिल है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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