Monday , 16 June 2025
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उत्तराखंड : विधानसभा भर्ती घोटाला, लिस्ट देखो और चुप हो जाओ…चहेतों कि जांच कौन कराएगा?

देहरादून: उत्तराखंड में स्नातक स्तरीय भर्ती घोटाले के खुलासे के बाद अब कई भर्तियों के मामले जोर पकड़ने लगे हैं। सोशल मीडिया में उत्तराखंड विधानसभा भर्ती में मंत्रियों के चहेतों की नौकरी की लिस्ट वायरल है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस मामले में सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। सोशल मीडिया में वायरल लिस्ट और कांग्रेस के दावों को सही मानें तो आम आदमी के लिए कहीं जगह ही नहीं बची है। हर कहीं बस नेता, मंत्री, विधायक और अधिकारियों के परिवालों से ही सीटें फुल हैं। लोग राज्य में अब तक हुई सभी भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल के समय हुई 129 पदों पर भर्ती मामले को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने उठा तो दिया, लेकिन यह नहीं जाना कि क्या इनमें तत्कालीन नेतापक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व सीएम हरीश रावत का कोई आदमी भर्ती किया गया या नहीं? यह भी पता चला है कि प्रेमचंद अग्रवाल ने जो भर्तियां की, उनकी वित्त से स्वीकृति नहीं मिली थी। वित्त सचिव अमित नेगी ने तीन महीने बाद स्वीकृति दी। इसके बाद ही इन्हें वेतन मिला।

विधानसभा सचिवालय हाईप्रोफाइल लोगों के लिए अपने लोगों की भर्ती करने और पैसे लेकर लगाने का बैक डोर है। सच यही है विधानसभा में कई पत्रकारों और नेताओं की पत्नियां या रिश्तेदार समीक्षा अधिकारी से लेकर अनुसचिव तक काम कर रहे हैं। उनकी योग्यता है पालिटिकल अप्रोच। बाकी जो हैं, उनमें से अधिकांश को या स्पीकर की अनुकंपा पर नियुक्ति दी गयी या फिर पैसों का खेल हुआ। 70 विधानसभा सीटों वाली छोटी सी विधानसभा के पास 560 कर्मचारी हैं जबकि बताया जा रहा है कि यूपी विधानसभा सचिवालय में 543 ही कर्मचारी हैं।

 

प्रकाश पंत, गोविंद सिंह कुंजवाल, यशपाल आर्य के कार्यकाल में भी ऐसी ही बैक डोर से भर्ती हुई हैं। यानी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। इन भर्तियों में हुआ यह है कि कांग्रेस सत्ता में रही तो उसके स्पीकर ने विपक्ष के एक-दो लोगों के रिश्तेदारों को नौकरियां दे दी और ऐसा ही भाजपा ने भी किया। कुछ खुरचन पत्रकारों के हिस्से भी आ गयी। यानी नेता, अफसर, दलाल और पत्रकार मिल गये और हो गया भर्ती कांड। आखिर वह कौन सा नियम है जिसके तहत विधानसभा में सीधी भर्ती का अधिकार है? आयोग या किसी भर्ती एजेंसी की मदद क्यों नहीं ली जाती? इस भारी-भरकम फौज पर होने वाला खर्च गरीब राज्य कैसे उठाता होगा?

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यदि आयोग की भर्तियों पर जांच बिठा सकते हैं तो ये बड़ा सवाल है कि विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच भी करवाएं? यह बड़ा साहस का कार्य है। इसमें पक्ष-विपक्ष की पोल खुलेगी। क्या धामी सरकार में इतना साहस है कि वह इन भर्तियों की जांच करवाएंगे?

केवल विधानसभा ही नहीं। 2022 में हुई प्रवक्ता भर्ती परीक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया में लगातार इस तरह की पोस्टें वायरल हो रही हैं। जिस तरह से अब तक के मामलों में सोशल मीडिया के वायरल पोस्टें सही साबित हुई हैं। उससे तो लग रहा है कि प्रवक्ता भर्ती की जांच भी करा लेनी चाहिए।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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