Friday , 22 November 2024
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जारी हुई अब तक की सबसे बड़ी और डरावनी चेतावनी, देहरादून का नाम भी शामिल

नई दिल्ली : पूरे हिमालय क्षेत्र में आने वाले वक्त में एक के बाद एक कई भीषण भूकंप आ सकते हैं । ये बेहद खरनाक हो सकते हैं। इनकी तीव्रता 8 या उससे ज्यादा भी हो सकती है। यह पूरा क्षेत्र बहुत ही सघन आबादी वाला है, इसलिए इतनी ज्यादा तीव्रता के भूकंप से कई जिंदगियां जा सकती हैं। वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार इससे इतनी तभी हो सकती है, जितनी पहले कभी भी किसी भूकंप में नहीं हुई होगी। यह चेतावनी एक स्टडी में की गई है। इसमें जिओलॉजिकल, हिस्टोरिकल और जियोफीजिकल डेटा की समीक्षा कर भविष्यवाणी की गई है। एक्सपर्ट्स ने बताया है कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होगी अगर ये भीषण भूकंप हमारे जीवनकाल में ही आ जाए। बताया गया है कि भविष्य में हिमालय क्षेत्र में आने आने भूकंप की सीक्वेंस वैसी ही हो सकती है, जैसी 20वीं सदी में एलेयूटियन जोन में थी। यह जोन अलास्का की खाड़ी से पूर्वी रूस के कमचटका तक फैला हुआ है।

 

इन शहरों में मच सकती है तबाही
सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में आई स्टडी के मुताबिक पूरे हिमालयन क्षेत्र में आ 8 से अधिक तीव्रता के भूकंप आ सकते हैं। कई बड़े भूकंप हिमालयन क्षेत्र अरुणाचल से लेकर नेपाल और पाकिस्तान तक फैला हुआ है। घनी आबादी की वजह से तबाही मच सकती है। चंडीगढ़, देहरादून और नेपाल के काठमांडू जैसे बड़े शहर इस भयंकर भूकंप की जद में आ सकते हैं। इतना ही नहीं झटकों से दिल्ली में भी तबाही मच सकती है।

सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में छपी है स्टडी
NBT की रिपोर्ट के अनुसार सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में अगस्त में आई इस स्टडी में चट्टानों के सतहों के विश्लेषण (स्ट्रैटिग्राफिक), स्ट्रक्चरल ऐलानिलिस, मिट्टी के विश्लेषण और रेडियोकार्बन ऐनालिसिस जैसे बेसिक जिओलॉजिकल सिद्धांतों का इस्तेमाल किया गया है। इन विश्लेषणों के जरिए प्रागैतिहासिक काल (प्रीहिस्टोरिक) में आए भूकंपों की टाइमिंग और तीव्रता का अनुमान लगाते हुए भविष्य में भूकंप के जोखिम का आकलन किया गया है।

 

एक्सपर्ट की चेतावनी
स्टडी लिखने वाले स्टीवन जी. वोस्नोस्की ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘पूरा हिमालयन क्षेत्र पूरब में भारत के अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में पाकिस्तान तक फैला हुआ है। अतीत में यह क्षेत्र बड़े भूकंप का स्रोत रह चुका है।’ उन्होंने आगे बताया, ‘ये भूकंप फिर आएंगे और वैज्ञानिक आधार पर कहा जा सकता है कि अगर हमारे जीवनकाल में ही अगला भीषण भूकंप आ गया तो इसमें हैरानी नहीं होगी।’ वोस्नोस्की अमेरिका के रेने स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नवादा में जिऑलजी और सिस्मोलॉजी के प्रफेसर हैं।

 

मच सकता है कोहराम
वेस्नोस्की ने बताया कि भारत के चंडीगढ़ और देहरादून और नेपाल में काठमांडू जैसे बड़े शहर सीधे इन भूकंपों की जद में होंगे। इतना ही नहीं, ये भूकंप इतने तेज होंगे कि इनके झटकों से दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक भारत की राजधानी दिल्ली में भी भारी तबाही मच सकती है। सिर्फ दिल्ली की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा है।

 

बड़े भूकंप की आहट तो नहीं?
उत्तर भारत में पिछले 4 महीनों में कम तीव्रता के कई भूकंप आ चुके हैं। इससे उन अटकलों को बल मिला है कि क्षेत्र में जल्द ही बहुत ज्यादा तीव्रता का कोई भूकंप आ सकता है। तो क्या कम तीव्रता के भूकंपों का बार-बार आना किसी विनाशक भूकंप के आने का संकेत है? वेस्नोस्की के मुताबिक, वैज्ञानिकों को अभी तक हल्ते भूकंपों के आने और भविष्य में किसी विनाशकारी भूकंप की आशंका के बीच कोई सीधा संबंध नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘ये हल्के भूकंप उन भीषण भूकंपों की तुलना में हजार गुना छोटे हैं, जिनका हम अध्ययन कर रहे हैं।’

 

आ चुके हैं विनाशकारी भूकंप
सिस्मोलॉजिस्ट सुप्रियो मित्रा के मुताबिक यह रिसर्च भी पिछले अध्ययनों से मिलता है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च कोलकाता में अर्थ साइंस डिपार्टमेंट में प्रफेसर मित्रा ने बताया कि ताजा रिसर्च में हिमालयन क्षेत्र में अतीत में आए भूकंपों का व्यापक अध्ययन किया गया है और उसके नतीजों के आधार पर भविष्य में आने वाले भूकंपों के बारे में पूर्वानुमान जताया गया है। उन्होंने कहा कि हिमालयन क्षेत्र में 8 से ज्यादा तीव्रता के भूकंप का खतरा बना हुआ है। यह अब से कितने साल बाद आएगा, ये कोई नहीं बता सकता। मित्रा इस स्टडी में शामिल नहीं थीं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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