Dehradun: उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय यानी ओपन यूनिवर्सिटी में नौकरियां अपनों में ही बांटी जा रही है। चहेतों को बैकडोर से नौकरी दी जा रही है। इसका खुलासा ऑडित रिपोर्ट में हुआ है। लेकिन, इस खुलासे पर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का अखबारों में छपा बयान बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने जो बयान दिया है, आतौर पर वो ऐसे बयान नहीं देते हैं। उनके बयानों में एक्शन होता है, लेकिन इस बार मंत्री जी का बयान दिखवा लेंगे वाला है। उन्हांेने यह भी कहा कि ऑडिट रिपोर्ट में तो बहुत सारी चीजें आती हैं।
इस दिखवा लेंगे के कई मायने निकाले जा रहे हैं। तमात सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर कैसे बगैर शासन की अनुमति के मुक्त विश्वविद्यालय में भर्ती हो जाती है और ना तो उच्च शिक्षा सचिव को पता चलता है और ना शासन के दूसरे अधिकारियों को। इससे एक बात तो साफ है कि बिना किसी संरक्षण के विश्वविद्यालय के अधिकारी भर्तियां नहीं करा सकता है।
बड़ा सवाल यह है कि जीरो टॉलरेंस की सरकार में ऑडिट में इसका खुलासा होने के बाद वित्त सचिव अमित नेगी ने उच्च शिक्षा सचिव को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिखा था। लेकिन, मामला नेताओं और अफसरों के चहेतों की नियुक्ति होने के कारण उस पत्र को कहीं कूड़े में फेंक दिया गया। एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
शासनादेश है कि यदि पद स्वीकृत हैं तो उन पर भी नियुक्तियां शासन के आदेश के बिना नहीं होंगी। यह नियम संविदा, दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक एवं तदर्थ नियुक्तियां पर लागू होगा। स्वीकृत पदों से इतर की गई नियुक्तियां शून्य मानी जाएंगी।
आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि इस तरह की कोई नियुक्तियां गई हों तो उनके पारिश्रमिक का भुगतान संबंधित अधिकारी के वेतन, पेंशन से किया जाएगा। इसके अलावा संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शासन के इस आदेश के बावजूद उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में पद और शासन के आदेश के बिना कई लोगों की तैनाती कर दी गई।
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय में पद सृजित किए बिना 30 तकनीकी, प्रशासनिक, अकादमिक एवं परामर्शदाताओं की भर्ती की गई, जिनके वेतन पर हर महीने 44 लाख खर्च आ रहा है। जबकि इन नियुक्तियों को लेकर कोई शासनादेश नहीं था। नियुक्तियां बिना पद और शासनादेश के अनियमित रूप से की गई हैं।
विश्वविद्यालय में वर्ष 2017-18 व 2018-19 में बिना पद-सृजन के आउटसोर्सिंग के माध्यम से 18 लिपिक, एक योग प्रशिक्षक एवं नौ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों कुल 26 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। इन नियुक्तियों के लिए किसी भी तरह की स्वीकृति नहीं थी।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक सभी नियुक्तियां उच्च स्तर से मौखिक आदेश पर हुई हैं। इनमें रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) के सलाहकार के पुत्र की भी नियुक्ति भी शामिल है। जबकि विभागीय मंत्री के स्टाफ के भी कुछ लोगों एवं उनके रिश्तेदारों को नियुक्तियां दी गई हैं।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ओम प्रकाश सिंह नेगी ने कहा कि पद और शासन के आदेश के बिना विश्वविद्यालय में नियुक्तियों का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। विश्वविद्यालय ने आउटसोर्स से कुछ लोगों को अपने खर्च पर रखा, लेकिन ऑडिट से इसका कोई मतलब नहीं है। नियुक्तियों के मामले में मेरे पास शासन से कोई पत्र नहीं आया।